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उज्जैनः शिप्रा नदी में प्रदूषित जल मिलाने का विरोध, नाले के पानी में बैठे कांग्रेस उम्मीदवार महेश परमार और फिर लगाई डुबकी

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उज्जैन। शिप्रा नदी में गंदे नाले का पानी मिलाने के विरोध में तराना से कांग्रेस विधायक और उज्जैन लोकसभा सीट से उम्मीदवार महेश परमार नदी में बहने वाले नाले के पानी में बैठ गए।

परमार इतने पर ही नहीं रूके। उन्होंने नदी में मिल रहे गंदे पानी में डुबकी भी लगाई और आचमन कर विरोध दर्ज कराया।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उज्जैन की शिप्रा नदी में सोमवार की शाम साढ़े 6 बजे से ही नाले का गंदा पानी गिर रहा है और इसे रोकने का कोई उपाय नहीं किया गया है।

कांग्रेस विधायक महेश परमार ने कहा कि

ये लड़ाई राजनीतिक नहीं, हमारे गौरव और अस्तित्व की है। पिछले 20 साल से मध्य प्रदेश में और 10 साल से देश में भाजपा की सरकार है। लगातार सालों से इनके सांसद, विधायक और महापौर हैं। भाजपा और शासन-प्रशासन के लोग हमें कलंकित कर रहे हैं। 500 करोड़ खर्च करने के बाद भी ये स्थिति है फिर से 600 करोड़ का नया बजट आया है। हमारे भाजपा के सांसद पिछले 5 साल में यहां एक बार भी नहीं आए हैं। धर्म के नाम पर राजनीति करने वाले लोग कहां हैं? 40-50 लाख इंदौर वासियों का मल-मूत्र रोज इसमें मिलता है।

भाजपा के एजेंट बन गए हैं कलेक्टर

उन्होंने उज्जैन कलेक्टर पर आरोप लगाते हुए कहा कि कलेक्टर साहब कह रहे हैं कि पीने के पानी की पाइपलाइन फूटी है। वे भाजपा के एजेंट बन गए हैं।

कसा तंज, कहा- दिख रहा है सांसद का विकास

भाजपा अनिल फिरोजिया को लेकर उन्होंने कहा कि सांसद अनिल फिरोजिया का विकास दिख रहा है। वे बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, 5 लाख पार (वोट से जीत का दावा), भगवान महाकाल और मां शिप्रा उन्हें शिप्रा से पार कर देंगी।

इस कारण मिल रहा गंदा पानी

सोमवार शाम साढ़े 6 बजे रामघाट क्षेत्र सिंह द्वार के पास पीएचई की 750 एमएम की मेन राइजिंग पाइपलाइन (गंभीर वाली) लीकेज हो गई थी। तेजी से बहे पानी से 1600 एमएम की सीवरेज पाइपलाइन के चैंबर ओवरफ्लो हो गए। तब से ही शिप्रा में लगातार गंदा पानी मिल रहा है।

सनातन की बात करने वाले मां शिप्रा को शुद्ध नहीं कर पाए

कांग्रेस विधायक परमार ने कहा कि मां शिप्रा अशुद्ध हो रही हैं। सीएम ने मां शिप्रा को शुद्ध करने की शपथ ली थी। टिकट मिलने पर डुबकी लगाई थी। 600-1000 करोड़ खर्च हो गए। बात सनातन, महाकाल और प्रभु श्रीराम की करते हैं, मां शिप्रा को शुद्ध नहीं कर पाए।

कमलनाथ ने गलती पर संभागायुक्त-कलेक्टर को हटाया था

कमलनाथ सरकार की तारीफ करते हुए विधायक परमार ने कहा कि जब कमलनाथ सरकार थी, तब शनिचरी अमावस्या के स्नान के दिन गलती होने पर संभागायुक्त और कलेक्टर को हटा दिया गया था, कर्मचारियों पर बड़ी कार्रवाई की गई थी। मुख्यमंत्री जी दृढ़ इच्छाशक्ति दिखाइए।

जानकारी के लिए बता दें कि 2019 में शनिचर अमावस्या पर शिप्रा में गंदा पानी मिलने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कलेक्टर और कमिश्नर दोनों को हटा दिया था।

अधिकारी बोले- साफ पानी है, हल्का सा कचरा है

पीएचई के असिस्टेंट इंजीनियर एनके भास्कर ने शिप्रा में गंदा पानी मिलने के सवाल पर कहा कि गंदा पानी नहीं है। पीने के पानी की पाइपलाइन लीकेज हुई है। यही पानी ओवरफ्लो हुआ है। कचरा और बदबूदार पानी के सवाल पर उनका कहना था कि हल्का सा कचरा है।

दूसरी तरफ, उज्जैन कलेक्टर नीरज सिंह की ओर से प्रेस नोट जारी कर कहा गया है कि पानी गंभीर नदी की पाइपलाइन का है। वहीं, विधायक परमार ने कलेक्टर की शिकायत निर्वाचन आयोग से करने की बात कही है।

39 साल की उम्र में अरेंज मैरिज करने जा रही हैं ‘Bigg Boss 13’ फेम आरती सिंह, मंदिर में करेंगी शादी

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Arti Singh pre wedding
Arti Singh pre wedding

Arti Singh Wedding टीवी एक्ट्रेस और बिग बॉस 13 की कंटेस्टेंट आरती सिंह जल्द ही शादी के बंधन में बंधने जा रही हैं। शादी की रस्में जोर-शोर से हो रही हैं। बीते रोज ही आरती की हल्दी सेरेमनी हुई, जहां उनकी फैमिली और फ्रैंड्स के खूब धमाल मचाया। इस फंक्शन के फोटोज और वीडियो काफी वायरल हो रहे हैं, जिनमें आरती धमाकेदार डांस करती और भाई-भाभी कृष्णा अभिषेक और करिश्मा के साथ मस्ती करती भी दिख रही हैं। इतना ही नहीं उन्होंने होने वाले पति दीपक चौहान के साथ भी खूब धूम धड़ाका किया।

आरती का स्टाइलिश अंदाज
39 साल की आरती ने हल्दी सेरेमनी में गुलाबी रंग की ब्रालेट-चोली के साथ हल्के हरे रंग की टोन वाली मल्टीकलर लहंगा स्कर्ट पहना था। मिनिमल मेकअप और ओपन हेयर में आरती काफी खूबसूरत लग रही थी। उन्होंने दोनों हाथों में फूलों की लड़िया पहनी थी, जो उन्हें परफेक्ट ब्राइडल लुक दे रही थी।

 

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शेयर की रोमांटिक फोटो
हल्दी सेरेमनी के बाद आरती ने होने वाले पति दीपक चौहान के साथ रोमांटिक फोटोज शेयर की। दोनों की केमिस्ट्री काफी क्यूट लग रही है।

 

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अरेंज मैरिज कर रही हैं आरती
दीपक चौहान मुंबई के एक बिजनेसमैन हैं। ये एक्ट्रेस की अरेंज मैरिज है और उनके मंगेतर ने उन्हें मंदिर में अंगूठी के साथ प्रपोज किया था।

arti singh pre wedding

भाई-भाभी के साथ की मस्ती
आरती सिंह की हल्दी सेरेमनी में भाई कृष्णा अभिषेक ने रंग जमाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इस मौके पर आरती ने परिवार के साथग भी फोटोज क्लिक कराईं। इस दौरान सबने हिमाचली टोपी लगाई थी। आरती सिंह का परिवार हिमाचल प्रदेश से है। आरती सिंह की हल्दी सेरेमनी में दूल्हे राजा दीपक चौहान भी नजर आए।

arti singh pre wedding

बैचलरेट पार्टी में मचाया धमाल
3 दिन पहले ही आरती की बैचलरेट पार्टी हुई थी, जिसमें ब्लू शॉर्ट ड्रेस में आरती काफी सुंदर लग रही थी। इस दौरान आरती की फैमिली और खास दोस्त भी मौजूद थे।

 

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 इस्कॉन टेंपल में होगी शादी
आरती सिंह मंदिर में शादी करने वाली हैं। वह इस्कॉन टेंपल में दीपक चौहान के साथ फेरे लेंगी। उनका कहना है कि वह अपनी शादी को बेहद सिंपल रखना चाहती हैं। बता दें कि दोनों ने इस साल जनवरी में सगाई की थी और अब कपल शादी के बंधन में बंधने जा रहा है।

गिरजाबंध: दुनिया का इकलौता हनुमान मंदिर जहां स्त्री रूप में विराजे हैं बजरंग बली, देवी की तरह होता है श्रृंगार

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Girjabandh Hanuman Templ
Girjabandh Hanuman Templ

दुनियाभर में हनुमान जी की कई रूपों में पूजा होती है, जिनकी अपनी मान्यताएं और महत्तव है लेकिन क्या आपको पता है कि हमारे देश में एक ऐसा अनोखा मंदिर भी है जहां हनुमान जी पुरुष नहीं बल्कि स्त्री के रूप में विराजमान हैं और उनकी पूजा देवी की तरह पूरे साजों श्रृंगार के साथ होती है। जी हां, ये मंदिर छत्तीसगढ़ के रतनपुर में मौजूद है जो बिलासपुर से 25 कि. मी. दूरी पर स्थित है। इसका नाम है गिरजाबंध हनुमान मंदिर।

10 हजार साल पुरानी है मूर्ति
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यहां पर जो हनुमान जी की मूर्ति है, वह स्वयं प्रकट हुई थी और करीब 10 हजार साल पुरानी है। हर साल बड़ी संख्या में लोग यहां दर्शन करने के लिए आते हैं। हनुमान जयंती के मौके पर यहां भव्य आरती का भी आयोजन किया जाता है।

रतनपुर के राजा पृथ्वी देवजू ने करवाया था निर्माण

इस देवस्थान के बारे में ऐसी मान्यता है कि यह लगभग दस हजार वर्ष पुराना है। लोककथा के अनुसार यहां के राजा पृथ्वी देवजू को कोढ़ था। इस वजह से वह किसी को नहीं छू पाता था। अनेक इलाज करवाया पर कोई दवा काम नहीं आई।

एक दिन सपने में राजा ने देखा कि संकटमोचन हनुमान जी उनके सामने हैं, मगर देवी रूप में, पर देवी है नहीं, लंगूर हैं पर पूंछ नहीं उनके एक हाथ में लड्डू से भरी थाली है तो दूसरे हाथ में राम मुद्रा अंकित है। कानों में भव्य कुंडल हैं। माथे पर सुंदर मुकुट माला। हनुमानजी ने राजा से कहा कि हे राजन् मैं तेरी भक्ति से प्रसन्न हूं। तुम्हारा कष्ट अवश्य दूर होगा। तू मेरे मंदिर का निर्माण करवाकर उसमें मुझे बैठा। मंदिर के पीछे तालाब खुदवाकर उसमें स्नान कर और मेरी विधिवत् पूजा कर। इससे तुम्हारे शरीर में हुए कोढ़ का नाश हो जाएगा।

इसके बाद राजा ने विद्धानों से सलाह ली। उन्होंने राजा को मंदिर बनाने की सलाह दी। राजा ने गिरजाबन्ध में मंदिर बनवाया। जब मंदिर पूरा हुआ तो राजा ने सोचा मूर्ति कहां से लायी जाए। एक रात स्वप्न में फिर हनुमान जी आए और कहा मां महामाया के कुण्ड में मेरी मूर्ति रखी हुई है। तू कुण्ड से उसी मूर्ति को यहां लाकर मंदिर में स्थापित करवा। दूसरे दिन राजा अपने परिजनों और पुरोहितों को साथ देवी महामाया के दरबार में गए। वहां राजा व उनके साथ गए लोगों ने कुण्ड में मूर्ति की तलाश की पर उन्हें मूर्ति नहीं मिली। हताश हो राजा महल में लौट आए।

संध्या आरती पूजन कर विश्राम करने लगे। मन बैचेन हनुमान जी के दर्शन देकर कुण्ड से मूर्ति लाकर मंदिर में स्थापित करने को कहा है। और कुण्ड में मूर्ति मिली नहीं इसी उधेड़ बुन में राजा को नींद आ गई। नींद का झोंका आते ही सपने में फिर हनुमान जी आ गए और करने लगे- राजा तू हताश न हो मैं वहीं हूं तूने ठीक से तलाश नहीं किया। जाकर वहां घाट में देखो जहां लोग पानी लेते हैं, स्नान करते हैं उसी में मेरी मूर्ति पड़ी हुई है। राजा ने दूसरे दिन जाकर देखा तो सचमुच वह अदभुत मूर्ति उनको घाट में मिल गई। यह वही मूर्ति थी जिसे राजा ने स्वप्न में देखा था। जिसके अंग प्रत्यंग से तेज पुंज की छटा निकल रही थी। अष्ट सिंगार से युक्त मूर्ति के बायें कंधे पर श्री राम लला और दायें पर अनुज लक्ष्मण के स्वरूप विराजमान, दोनों पैरों में निशाचरों को दबाये हुए।

इस अदभुत मूर्ति को देखकर राजा मन ही मन बड़े प्रसन्न हुए। फिर विधिविधान पूर्वक मूर्ति को मंदिर में लाकर प्रतिष्ठित कर दी और मंदिर के पीछे तालाब खुदवाया जिसका नाम गिरजाबंध रख दिया। मनवांछित फल पाकर राजा ने हनुमान जी से वरदान मांगा कि हे प्रभु, जो यहां दर्शन करने को आये उसका सभी मनोरथ सफल हो।

देवी की तरह होता है श्रृंगार
यहां हनुमान जी की प्रतिमा का श्रृंगार पूरी तरह से महिलाओं की तरह किया जाता है। उन्हें जेवर भी पहनाए जाते हैं। यहां तक कि हनुमान जी प्रतिमा को नथ भी पहनाई गई है। यहां पर बजरंग बली को चोला की जगह अष्ट सिंगार का सामान अर्पित किया जाता है। जो भी भक्त सच्चे मन से यहां पूजा और प्रार्थना करता है। भगवान उसके सभी कष्ट दूर करते हैं।

मुसलमानों पर 2006 में दिया गया मनमोहन सिंह का वो बयान, जिसे 18 साल बाद PM मोदी ने बनाया चुनावी मुद्दा

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भोपाल। इस बार लोकसभा का चुनावी परिदृष्य अलग ही रंग में रंगा नजर आ रहा था। सत्ताधारी दल अपनी जीत सुनिश्चित मान उतना एग्रेसिव नजर नहीं आ रहा जिस एग्रेशन के लिए वो जाना जाता है तो विपक्षी दल खासतौर से कांग्रेस भी हथियार डाल चुनाव लड़ने की मुद्रा मे दिखाई दे रहा था।

हां, राहुल गांधी जरूर भाजपा को आड़े हाथ लिए हुए थे। ऐसा ही जा रहा था इस बार का चुनाव तभी अचानक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अतीत की किताब में दबे एक ऐसे पत्ते को हरा कर दिया है जिसने इस चुनावी रण को हंगामाखेज बना दिया है।

आइए पहले जानते हैं पीएम मोदी का वो बयान जिसने सियासत में एक तरह का भूचाल ला दिया है –

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को राजस्थान के बांसवाड़ा में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति को मुसलमानों में बांट देगी। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार ने कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है।

पीएम मोदी ने रैली में कहा कि ये शहरी-नक्सली मानसिकता मेरी माताओं और बहनों का मंगलसूत्र भी नहीं छोड़ेगी। कांग्रेस के घोषणापत्र में कहा गया है कि वे माताओं और बहनों के साथ गोल्ड का हिसाब करेंगे, उसके बारे में जानकारी लेंगे और फिर उस संपत्ति को अल्पसंख्यकों को बांट देंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब कांग्रेस की सरकार सत्ता में थी तो उन्होंने कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। इसका मतलब है कि ये संपत्ति एकत्र कर किसे बांटेंगे? जिनके ज्यादा बच्चे हैं, ये संपत्ति उनको बांटेंगे। ये संपत्ति घुसपैठियों को बांटेंगे, क्या आपकी मेहनत की कमाई घुसपैठियों को दिया जाएगा? क्या आपको यह मंजूर है?

पीएम मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के 2006 में दिए उस बयान का जिक्र कर कांग्रेस पर हमला बोला है जिसमें बकौल मोदी मनमोहन सिंह ने कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है।

आइए अब सुनते है पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का बयान जिसको लेकर पीएम मोदी ने राजस्थान में कांग्रेस पर निशाना साधा है।

मनमोहन सिंह ने नौ दिसंबर 2006 को ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना और विकास पर चर्चा के लिए राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) की 52वीं बैठक को संबोधित करते हुए कहा था कि मेरा मानना है कि हमारी सामूहिक प्राथमिकताएं बहुत स्पष्ट हैं. कृषि, सिंचाई एवं जल संसाधन, स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यकों, महिलाओं एवं बच्चों के उत्थान के लिए कार्यक्रम हमारी प्राथमिकताएं हैं। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजातियों के लिए योजनाओं को नए सिरे से तैयार करने की जरूरत है। हमें ये सुनिश्चित करने के लिए नई योजनाएं बनानी होंगी कि अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुस्लिमों को विकास में समान भागीदारी मिले। संसाधनों पर पहला हक उन्हीं का होना चाहिए।

उन्होंने कहा था कि योजना आयोग निश्चित रूप से ऐसे कार्यक्रमों को खत्म करने के लिए उनकी समीक्षा करेगा, जिनका अब कोई औचित्य नहीं रह गया है। लेकिन हम इस तथ्य से बच नहीं सकते कि आगामी भविष्य में केंद्र के संसाधनों का विस्तार होगा और राज्यों की जिम्मेदारियां बढ़ेगी।

उन्होंने कहा था कि 11वीं पंचवंर्षीय योजना ऐसे पड़ाव पर शुरू हो रही है, जब हमारे देश की आर्थिक क्षमता ने हमारे संस्थापकों के सपनों को साकार करना संभव बनाया है। एक ऐसे भारत का सपना, जो समृद्ध और न्यायसंगत हो। एक ऐसा भारत जो समावेशी हों। एक ऐसा भारत जो प्रत्येक नागरिक को अपने कार्यक्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति करने का अवसर दे। 11वीं पंचवर्षीय योजना से यकीनन वह सपना पूरा होगा। यह हमारे लोगों की उम्मीदों और आकांक्षाओं पर खरा उतरेगा।

कांग्रेस पहले ही कर चुकी है खंडन – 

हालांकि कांग्रेस ने उस वक्त भी मनमोहन सिंह के बयान का स्पस्टीकरण किया था और कहा था कि मनमोहन सिंह का तात्पर्य अल्पसंख्यकों के सशक्तिकरण से था। इधर पीएम मोदी ने राजस्थान में कांग्रेस पर खुला हमला बोला और कहा कि कांग्रेस सत्ता में आती है तो लोगों की संपत्ति मुसलमानों में बांट देगी।

विपक्षी नेताओं ने बीजेपी-मोदी को लिया आड़े हाथों – 

इधर क्रिया की बहुत तेज प्रतिक्रिया हुई है राहुल गांधी से लेकर मल्लिकार्जुन खरगे और असदुद्दीन ओवैसी तक ने पीएम मोदी और बीजेपी को आड़े हाथों लिया है। खरगे ने मोदी के बयान को हेट स्पीच करार दिया है तो ओवैसी कह रहे हैं कि पीएम मोदी की एक ही गारंटी है मुसलमानों को गाली दो और वोट बटोरो। राहुल गांधी ने कहा कि पीएम मोदी के झूठ का स्तर बहुत गिर गया है।

कुल जमा चुनाव में एक दूसरे को घेरने और तोहमत लगाकर वोटर्स को रिझाने का ये सिलसिला सियासत में नया नहीं है, लेकिन मोदी के हालिया बयान ने इस सियासत की रिवायत को नई हवा दे दिया है, कहना गलत नहीं होगा।

साल में 2 बार क्यों मनाते हैं Hanuman Jayanti, बाल हनुमान की पूजा से मिलेगा मनचाहा वरदान। जानें पूजन विधि और मुहूर्त

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baal hanuman story
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Hanuman Jayanti 2024: इस साल हनुमान जयंती  23 अप्रैल मंगलवार के दिन है। मंगलवार का दिन भगवान हनुमान को समर्पित होता है, इसलिए इस बार हनुमान जयंती और भी खास होने वाली है। जयंती का मतलब है जिस दिन उनका जन्म हुआ था। वैसे हनुमान जयंती साल में दो बार मनाई जाती है। पहली हिन्‍दू कैलेंडर के अनुसार चैत्र शुक्‍ल पूर्णिमा को अर्थात ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक मार्च या अप्रैल के बीच और दूसरी कार्तिक कृष्‍ण चतुर्दशी अर्थात नरक चतुर्दशी को अर्थात सितंबर-अक्टूबर के बीच। इसके अलावा तमिलानाडु और केरल में हनुमान जयंती मार्गशीर्ष माह की अमावस्या को तथा उड़ीसा में वैशाख महीने के पहले दिन मनाई जाती है। आखिर सही क्या है?

इसलिए मनाते है दो बार जयंती
एक तिथि को विजय अभिनन्दन महोत्सव के रूप में जबकि दूसरी तिथि को जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है।

चैत्र पूर्णिमा जन्म कथा

कहते हैं कि त्रेतायुग के अन्तिम चरण में चैत्र पूर्णिमा को मेष लग्न और चित्रा नक्षत्र में मंगलवार के दिन प्रातः 6:03 बजे हनुमानजी का जन्म एक गुफा में हुआ था। मतलब यह कि चैत्र माह में उनका जन्म हुआ था। इस मान्यता को उत्तर भारत में मान्यता प्राप्त है। अधिकतर क्षेत्र में इसी दिन हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है। लेकिन कई विद्वानों का मानना है कि चैत्र माह की तिथि को उनका जन्म नहीं हुआ था।

दरअसल इस दिन हनुमानजी सूर्य को फल समझ कर खाने के लिए दौड़े थे, उसी दिन राहु भी सूर्य को अपना ग्रास बनाने के लिए आया हुआ था। राहु सूर्य को ग्रहण लगाने वाले थे, लेकिन वे सूर्य को ग्रहण लगा पाते उससे पहले ही हनुमान जी ने सूर्य को निगल लिया। राहु कुछ समझ नहीं पाए कि हो क्या रहा है? उन्होने इंद्र से सहायता मांगी। इंद्रदेव के बार-बार आग्रह करने पर जब हनुमान जी ने सूर्यदेव को मुक्त नहीं किया तो, इंद्र ने वज्र से उनके मुख पर प्रहार किया जिससे सूर्यदेव मुक्त हुए। वहीं वज्र के प्रहार से पवन पुत्र मूर्छित होकर पृथ्वी पर आ गिरे और उनकी ठुड्डी टेढ़ी हो गई। जब पवन देवता को इस बात की जानकारी हुई तो वे बहुत क्रोधित हुए। उन्होंने अपनी शक्ति से पुरे संसार में वायु के प्रवाह को रोक दिया, जिसके परिणामस्वरूप पृथ्वी पर जीवों में त्राहि-त्राहि मच उठी।

इस विनाश को रोकने के लिए सारे देवगण पवनदेव से आग्रह करने पहुंचे कि वे अपने क्रोध को त्याग पृथ्वी पर प्राणवायु का प्रवाह करें। सभी देवताओं ने पवन देव की प्रसन्नता के लिए बाल हनुमान को पहले जैसा कर दिया और साथ ही बहुत सारे वरदान भी दिए। देवताओं के वरदान से बालक हनुमान और भी ज्यादा शक्तिशाली हो गए। लेकिन वज्र के चोट से उनकी ठुड्ढी टेढ़ी हो गई, जिसके कारण उनका नाम हनुमान पड़ा। क्योंकि एक तरह से उन्हें नया जीवनदान मिला था इसलिए इस दिन भी उनकी जयंती मनाते हैं। इसलिए इस दिन को विजय अभिनन्दन महोत्सव के रूप में मनाते हैं।

Hanuman Jayanti 2024:

कार्तिक चतुर्दशी जन्म कथा

वाल्मीकि रामायण के अनुसार हनुमानजी का जन्म कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मंगलवार के दिन, स्वाति नक्षत्र और मेष लग्न में हुआ था। कहते हैं कि इस तिथि को ही हनुमान जी का जन्मदिवस मनाया जाता है।
– एक अन्य मान्यता के अनुसार माता सीता ने हनुमानजी की भक्ति और समर्पण को देखकर उनको अमरता का वरदान दिया था। यह दिन नरक चतुर्दशी का दिन था।

पवन पुत्र हनुमान की जन्म कथा

वेदों और पुराणों के अनुसार, हनुमान जी के पिता का नाम वानरराज राजा केसरी थे। इनकी माता का नाम अंजनी थी। रामचरितमानस में हनुमान जी के जन्म से संबंधित बताया गया है कि हनुमान जी का जन्म ऋषियों द्वारा दिए गए वरदान से हुआ था। मान्यता है कि एक बार वानरराज केसरी प्रभास तीर्थ के पास पहुंचे। वहां उन्होंने ऋषियों को देखा जो समुद्र के किनारे पूजा कर रहे थे। तभी वहां एक विशाल हाथी आया और ऋषियों की पूजा में खलल डालने लगा। सभी उस हाथी से बेहद परेशान हो गए थे। वानरराज केसरी यह दृश्य पर्वत के शिखर से देख रहे थे। उन्होंने विशालकाय हांथी के दांत तोड़ दिए और उसे मृत्यु के घाट उतार दिया। ऋषिगण वानरराज से बेहद प्रसन्न हुए और उन्हें इच्छानुसार रुप धारण करने वाला, पवन के समान पराक्रमी तथा रुद्र के समान पुत्र का वरदान दिया।

भगवान शिव ने हनुमान जी के रूप में लिया था जन्म

एक अन्य कथा के अनुसार, माता अंजनी एक दिन मानव रूप धारण कर पर्वत के शिखर की ओर जा रही थीं। उस समय सूरज डूब रहा था। अंजनी डूबते सूरज की लालिमा को निहारने लगी। इसी समय तेज हवा चलने लगी और उनके वस्त्र उड़ने लगे। हवा इतनी तेज थी वो चारों तरफ देख रही थीं कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है। लेकिन उन्हें कोई दिखाई नहीं दिया। हवा से पत्ते भी नहीं हिल रहे थे। तब माता अंजनी को लगा कि शायद कोई मायावी राक्षस अदृश्य होकर यह सब कर रहा था। उन्हें क्रोध आया और उन्होंने कहा कि आखिर कौन है ऐसा जो एक पतिपरायण स्त्री का अपमान कर रहा है।

तब पवन देव प्रकट हुए और हाथ जोड़ते हुए अंजनी से माफी मांगने लगे। उन्होंने कहा, “ऋषियों ने आपके पति को मेरे समान पराक्रमी पुत्र का वरदान दिया है इसलिए मैं विवश हूं और मुझे आपके शरीर को स्पर्श करना पड़ा। मेरे अंश से आपको एक महातेजस्वी बालक प्राप्त होगा।” उन्होंने यह भी कहा कि मेरे स्पर्श से भगवान रुद्र आपके पुत्र के रूप में प्रविष्ट हुए हैं। वही आपके पुत्र के रूप में प्रकट होंगे। इस तरह की वानरराज केसरी और माता अंजनी के यहां भगवान शिव ने हनुमान जी के रूप में अवतार लिया।

Hanuman Jayanti 2024:

हनुमान जयंती 2024 तिथि और समय

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल चैत्र शुक्ल पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 23 अप्रैल, 2024 दिन मंगलवार सुबह 03.25 मिनट पर होगी।
इसका समापन 24 अप्रैल, 2024 दिन बुधवार सुबह 05, 18 मिनट पर होगा।
उदया​तिथि को देखते हुए इस बार हनुमान जयंती 23 अप्रैल को मनाई जाएगी।

हनुमान जयंती पूजन मुहूर्त

सुबह 06.06 मिनट से 07.40 मिनट तक
अभिजित मुहूर्त- दोपहर 12.02 से दोपहर 12.53 तक

भोग-
इस दिन हनुमान जी को केले, बेसन या बूंदी के लड्डुओं और पान के बीड़े का भोग लगाना शुभ रहेगा।

प्रिय पुष्प व रंग-
हनुमान जयंती के दिन पूजा के समय लाल या पीले रंग के वस्त्र पहनना अत्यंत शुभ रहेगा। वहीं, हनुमान जी का प्रिय रंग लाल माना जाता है। इसलिए प्रभु को लाल गुलाब के फूल और माला चढ़ाएं।

हनुमान जयंती पूजा-विधि

-इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और लाल रंग के साफ सुथरे कपड़े पहन लें।
-इसके बाद बजरंगबली को लाल रंग के पुष्प अर्पित करें, सिंदूर में चमेली का तेल मिलाकर चोला चढ़ाएं, चना, गुड़ और नारियल भी चढ़ाएं।
-प्रभु को बेसन के लड्डू या फिर बूंदी के लड्डू का भोग लगा सकते हैं।
-इसके बाद घी का दीपक जलाएं और सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का पाठ करें।
-इसके बाद आरती करें और व्रत रखने का संकल्प लें।
-हनुमान जी के साथ-साथ प्रभु श्री राम और माता सीता की भी उपासना करें।अंत में क्षमा प्रार्थना करें।

हनुमान जयंती की व्रत कथा

एक बार अग्निदेव से मिली खीर को राजा दशरथ ने अपनी तीनों रानियों को बांट दिया। कैकयी को जब खीर मिली तो चील ने झपट्टा मारकर उसे छीन लिया और उसे अपने मुंह में लेकर उड़ गई। उड़ते-उड़ते रास्‍ते में जब चील अंजना माता के आश्रम के ऊपर से गुजर रही थी तो माता अंजना ऊपर की ओर देख रही थी और उनका मुंह खुला होने की वजह से खीर उनके मुंह में गिर गई और उन्‍होंने उस खीर को गटक लिया। इससे उनके गर्भ में शिवजी के अवतार हनुमानजी आ गए और फिर उनका जन्‍म हुआ।

हनुमानजी के जन्‍म के विषय में दूसरी कथा यह है कि समुद्रमंथन के बाद जब भगवान शिव ने भगवान विष्णु का मोहिनी रूप देखने को कहा था जो उन्होंने समुद्र मंथन के दौरान देवताओं और असुरों को दिखाया था। उनकी बात का मान रखते हुए भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर लिया। भगवान विष्णु का आकर्षक रूप देखकर शिवजी आकर्षित होकर कामातुर हो गए और उन्होंने अपना वीर्य गिरा दिया। जिसे पवनदेव ने शिवजी के वानर राजा केसरी की पत्नी अंजना के गर्भ में प्रविष्ट कर दिया। इस तरह माता अंजना के गर्भ से वानर रूप में हनुमानजी का जन्म हुआ। उन्हें शिव का 11वां रूद्र अवतार माना जाता है।

Illustration of lord hanuman for hanuman jayanti festival card background

हनुमान जी के बाल रूप की पूजा से मिलेगा विशेष वरदान

कहा जाता है कि इस दिन भगवान हनुमान के बाल रूप की पूजा करने से मनचाहा वरदान प्राप्त होता है तो आइए पूजा नियम के बारे में जानते हैं –

हनुमान जी के बाल रूप की पूजा विधि

-इस दिन सुबह उठकर स्नान करें।
-भगवान के सामने व्रत का संकल्प लें।
-एक चौकी पर हनुमान जी के बाल रूप की प्रतिमा स्थापित करें।
-हनुमान जी को सिंदूर अर्पित करें।
-इसके बाद चमेली के तेल का दीपक जलाएं।
-तुलसी व गुलाब के फूलों की माला चढ़ाएं।
-पीपल के 11 पत्तों पर चंदन व कुमकुम से श्री राम लिखकर चढ़ाएं।
-गुड़, लड्डू आदि का भोग लगाएं।
-सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ भाव के साथ करें।
-आरती से पूजा को समाप्त करें।
-पूजा के बाद शंखनाद करें।
-पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगे।

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ED के 19 साल का लेखा-जोखाः NDA और UPA सरकार में ED ने की कितनी और क्या-क्या कार्रवाई

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ED action in NDA and UPA governments
ED action in NDA and UPA governments

नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय यानी Enforcement Directorate (ED) ने बीते कुछ सालों में भारत में काफी सुर्खियां बटोरी हैं और इसकी वजह है हालिया कुछ समय में इसके द्वारा की गई कार्रवाई। ईडी की ये सारी कार्रवाइयां लोकसभा चुनाव 2024 में विपक्षी पार्टियों द्वारा उठाया जा रहा सबसे बड़ा मुद्दा है।

देश में लोकसभा चुनाव 2024 में सत्तारूढ़ राजग और विपक्षी इंडी गठबंधन, ईडी की कार्रवाई को अपनी-अपनी तरह से समझाते हुए अपने-अपने वोटर्स को साधने में जुटे हुए हैं।

बीते दिनों पश्चिम बंगाल की एक रैली में पीएम नरेंद्र मोदी ने ईडी का कार्रवाई का जिक्र करते हुए कहा कि तीसरी बार एनडीए की सरकार बनने पर जांच एजेंसी द्वारा जब्त किए गए सभी पैसे गरीबों में बांट दिए जाएंगे और इसके लिए यदि कानून बनाने की नौबत भी आई तो उस पर भी विचार करेंगे।

दूसरी तरफ, विपक्षी इंडी गठबंधन जांच एजेंसी (ईडी) की इन कार्रवाइयों को राजनीति से प्रेरित बताते हुए उनके नेताओं को डराने-धमकाने का इस्तेमाल करना बताती है।

विपक्षी पार्टियां ये भी आरोप लगाती हैं कि बीते 10 साल में ईडी ने 90 फीसदी से ज्यादा कार्रवाई सिर्फ विपक्षी नेताओं पर की हैं। चुनावी रैलियों में विपक्षी इंडी गठबंधन के कई नेता सत्ता में आने पर इसे सुधारने की बात कहते सुने जा सकते हैं।

तीन गुना ज्यादा कार्रवाई

वैसे अगर आंकड़ों पर गौर किया जाए तो ईडी की कार्रवाई का नया डाटा बताता है कि यूपीए सरकार की तुलना में एनडीए सरकार के शासनकाल में ईडी की कार्रवाई में तीन गुना से ज्यादा की बढ़ोत्तरी हुई है और गिरफ्तारी में 2500 फीसदी का इजाफा हुआ है।

कैसे अमल में आई थी ईडी, जांच एजेंसी के पास हैं ये शक्तियां

  • प्रवर्तन निदेशालय यानी Enforcement Directorate (ED) का गठन 1956 में किया गया था। इसका मकसद मनी लॉन्ड्रिंग रोकना है इसलिए इसे भारत की कानून प्रवर्तन खुफिया एजेंसी भी कहते हैं।
  • साल 2002 में पहली दफा प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) बनाया गया और इससे ईडी को और ज्यादा शक्ति देने की कोशिश की गई। हालांकि, यह कानून 2005 में अमल में आया था।
  • प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) का उद्देश्य था कि भारत के बाहर या यूं कहें कि स्विस बैंकों में जो पैसे भेजे जा रहे हैं, उसको रोकना और इसके साथ ही पैसे को जहां भेजा जा रहा है उसके बारे में जानकारी इकट्ठा करना।
  • ईडी के पास वर्तमान में जो सबसे अहम शक्ति है, वो बिना आधार बताए किसी मामले में गिरफ्तारी करना है। ईडी जब किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी करता है तो उसे कोर्ट में खुद को निर्दोष साबित करना होता है। अन्य जांच एजेंसियों और पुलिस की कार्रवाई में ऐसा नहीं होता है। यही कारण है कि ईडी के शिकंजे में आने वाले शख्स को अदालत से जल्दी जमानत नहीं मिल पाती है।
  • हालांकि, कानूनी जानकारों के मुताबिक, किसी अन्य एजेंसी या पुलिस की तरफ से जब कोई एफआईआर दर्ज की जाएगी, तभी प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी किसी मामले में एक्शन ले सकेगा।
  • इसके ढांचे की बात की जाए तो ईडी के प्रमुख को निदेशक कहा जाता है। इसके कामकाज को आसान बनाने के लिए ईडी के पूरे सिस्टम को 9 भाग में बांटा गया है जिसमें 5 जोन और 4 विभाग आते हैं।

क्या है PMLA और कितनी सजा हो सकती है

  1. साल 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के लिए धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) पारित किया था। मनी लॉन्ड्रिंग का मतलब है गैर-कानूनी तरीकों से कमाए गए पैसों को कानूनी तरीके से कमाए गए धन के रूप में बदलना।
  2. 1 जुलाई 2005 को केंद्र सरकार द्वारा इस अधिनियम को लागू किया गया। इस एक्ट के अंतर्गत अपराधों की जांच की जिम्मेदारी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की है। इस केस में अगर कोई दोषी पाया जाता है, तो कम से कम 3 वर्ष के कठोर कारावास की सजा का प्रवाधान है, जिसे 7 वर्ष तक बढ़ाया भी जा सकता है।

2005 से 2014 तक 1797 केस दर्ज हुए और 29 गिरफ्तारियां

  • ईडी ने 2005 से 2014 तक प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत 1797 केस दर्ज किए जबकि 29 लोगों को गिरफ्तार किया था। इन 9 सालों में ईडी ने छापेमारी की 84 कार्रवाई को अंजाम दिया जिनमें से अधिकांश बिजनेस से जुड़े बिचौलियों पर की गई थी।
  • 2005 से 2014 तक ईडी ने तकरीबन 5100 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की थी और 104 मामलों में चार्जशीट फाइल की थी। हालांकि, इन 9 सालों में एक भी मामले में किसी भी आरोपी को दोषी नहीं ठहराया गया।

2014 से 2024 तक 5155 केस दर्ज हुए और 755 गिरफ्तारियां

  1. विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, इन 10 सालों में ईडी ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत 5155 केस दर्ज किए जो 2005-14 के मुकाबले तीन गुना से भी ज्यादा था। इन 10 सालों में ईडी ने छापेमारी की 7200 कार्रवाई की जिसमें 755 लोगों को गिरफ्तार किया गया और 12618 करोड़ रुपये जब्त किए गए।
  2. केंद्र सरकार के मुताबिक, 2014 से 2024 तक प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) केस में 63 लोग दोषी ठहराए गए हैं, मनी लॉन्ड्रिंग केस में ईडी की सजा दर 96 फीसदी से ज्यादा है जो अब तक का रिकॉर्ड भी है।

Hanuman Jayanti 2024: MP में मौजूद हैं हनुमान जी के ये 6 चमत्कारी मंदिर, कहीं जुड़ती है हड्डी तो कहीं सुनते हैं अर्जी

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Hanuman Jayanti 2024
Hanuman Jayanti 2024

Hanuman Jayanti 2024: 23 अप्रैल को पूरे देशभर में धूमधाम से हनुमान जयंती मनाई जाएगी। कहते हैं कलयुग में राम भक्त हनुमान जी ही ऐसे अकेले देवता है जो जागृत अवस्था में है और भक्तों की पुकार बड़ी जल्दी सुन लेते हैं। साथ ही कही भी जब रामायण का पाठ होता है तो हनुमान जी वहां अदृश्य रूप से मौजूद होते हैं। मंगलवार और शनिवार को बजरंगबली की पूजा का विशेष फल मिलता है और इस बार हनुमान जयंती भी मंगलवार को पड़ रही है। जिसके सभी मंदिरों में जोर-शोर से तैयारी हो रही है।

यूं तो देशभर में हनुमान जी के कई अद्भुत और चमत्कारिक मंदिर है लेकिन हनुमान जयंती के मौके पर हम आपको बता रहे हैं मध्य प्रदेश में मौजूद हनुमान जी के चमत्कारिक धामों के बारे में, जहां भक्तों के हर दुख दर्द दूर होते हैं।

1. भविष्य बताने वाले हनुमान जी
सिद्धवीर खेड़ापति (शाजापुर)

Siddhveer Khedapati Hanuman

एमपी के शाजापुर जिले के बोलाई गांव में सिद्धवीर खेड़ापति हनुमान मंदिर मौजूद है। करीब 600 साल पुराना यह मंदिर अपने चमत्कारी किस्सों के लिए जाना जाता है। खेड़ापति हनुमान मंदिर रतलाम-भोपाल रेलवे ट्रेक के बीच बोलाई स्टेशन से करीब 1 किमी की दूरी पर मौजूद है। इस मंदिर में हनुमान जी की प्रतिमा की बाईं तरफ भगवान गणेश जी प्रतिमा विराजमान हैं, जिसके चलते यहां मंगलवार, बुधवार और शनिवार को दर्शन के लिए भारी भीड़ पहुंचती है।

भविष्य बताते हैं हनुमान जी
स्थानीय लोगों का कहना हैं कि इस मंदिर में जो भी आता है, भविष्य में उसके साथ क्या घटेगा हनुमान जी की कृपा से भक्त को पहले ही इसका आभास हो जाता है, जिसके चलते उनके भक्त सतर्क हो जाते हैं।

ट्रेन की स्पीड होती है कम
सालों पहले मंदिर के पास दो मालगाड़ियों में टक्कर हो गई थी, हादसे के बाद मालगाड़ियों के पायलट ने बताया कि उन्हें एक्सीडेंट के बारे में पहले ही पूर्वाभास हो गया था। उन्हें ऐसा लगा कि कोई उन्हें ट्रेन की रफ्तार कम करने के लिए कह रहा है, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया जिसके कारण दोनों ट्रेनों की टक्कर हो गई। उस हादसे के बाद से अब मंदिर के पास से गुजरने वाली हर ट्रेन धीमी रफ्तार में यहां से गुजरती है। हनुमान जी के भविष्य बताने के चलते यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं। मंदिर को बेहद सिद्ध और चमत्कारी माना जाता है

2. हड्डी जोड़ने वाले हनुमान
(कटनी)

haddi jodne wale Hanuman

कटनी जिले से करीब 35 किमी दूर मोहास गांव में हनुमान जी का प्रसिद्ध मंदिर हैं। इस मंदिर को हड्डी जोड़ने वाले हनुमान धाम के नाम से भी जाना जाता है। यहां मरीज टूटी हड्डी लेकर आते हैं और स्वस्थ होकर घर जाते हैं। मंदिर में मौजूद साधु हड्डी टूटने से पीड़ित लोगों को एक जड़ी खिलाते हैं जड़ी के प्रभाव से टूटी हड्डियां कुछ ही समय में जुड़ जाती हैं। भक्तों को ये जड़ी नि:शुल्क खिलाई जाती है।

3. जामसांवली के लेटे हुए हनुमान जी
(छिंदवाड़ा)

Jamsanwali Chhindwara

छिंदवाड़ा जिले के जामसांवली में हनुमान जी का एक बेहद चमत्कारी मंदिर मौजूद है। यहां राम भक्त हनुमान की करीब 15 फीट की मूर्ति निद्रा अवस्था में विराजमान हैं। मंदिर का इतिहास 100 साल से भी पुराना बताया जाता है, हालांकि इसकी स्थापना किसने की थी इसका कोई प्रमाण नहीं मिलता। हनुमान जी की इस प्रतिमा को स्वयंभू माना जाता हैं।

शयन मुद्रा में हनुमान जी
इस मंदिर को लेकर कई किस्से प्रचलित हैं। कहा जाता है कि जहां आज हनुमान जी की प्रतिमा शयन मुद्रा में हैं वहां खजाना छुपा है। उसी खजाने की रक्षा करने के लिए यहां सालों पहले हनुमान जी की प्रतिमा खड़ी अवस्था में विराजमान थी, लेकिन एक बार कुछ चोर इस जगह में चोरी करने आए। उस खजाने को बचाने के लिए हनुमान जी यहां पर लेट गए, तब से लेकर आज तक यहां हनुमान जी पीपल के पेड़ के नीचे विश्राम अवस्था में ही विराजमान हैं।

नाभि से निकलती है अनवरत जलधारा
जामसांवली मंदिर की एक खास बात ये भी है कि यहां विराजमान हनुमान जी की मूर्ति की नाभि से जलधारा निकलती है। पानी कहां से आता है इसके स्त्रोत के बारे में किसी को नहीं पता। ये जलधारा लगातार बहती रहती है। मंदिर में आने वाले श्रद्धालु इस जलधारा को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। लोगों का मानना है कि इस जल को पीने से चर्मरोगों से मुक्ति मिल जाती है।

4. सारे दुख हरने वाले उल्‍टे हनुमान जी
(इंदौर)

Ulte Hanuman Ji

इंदौर से 30 किमी दूर सांवेर गांव में हनुमान जी की एक अनोखी मूर्ति स्थापित है जो कि उल्टी है। दुनिया भर में उल्टे हनुमान वाली ये इकलौती मूर्ति है। मंदिर में बजरंगबली की इस दुर्लभ प्रतिमा के दर्शन करने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। मान्‍यता है कि इस मंदिर में 3 या 5 मंगलवार तक लगातार दर्शन करने से सारे दुख दूर हो जाते हैं और हनुमान जी भक्‍तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। मंदिर में चोला चढ़ाने की भी परंपरा है।

पाताल लोक में गए थे हनुमान जी
मंदिर में स्थापित हनुमान जी की उल्टी प्रतिमा के संबंध में एक पौराणिक कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि त्रेतायुग में भगवान राम और रावण के युद्ध के दौरान अहिरावण ने रूप बदलकर राम जी की सेना में प्रवेश कर लिया था। रात को जब सभी लोग सो रहे थे। तब अहिरावण ने राम और लक्ष्मण को बेहोश कर दिया और अपने साथ पाताल लोक ले गया था। इस घटना के पता चलने के बाद हनुमान जी पाताल लोक में भगवान की खोज करने गए थे। कहा जाता है कि हनुमान जी ने सांवेर से ही पाताल लोक में प्रवेश किया था इसलिए यहां उनके पैर ऊपर और सिर धरती की ओर है।

5. रोगों से बचाने वाले छींद धाम के दादाजी
(रायसेन)

Chhind Dham

रायसेन जिले की बरेली तहसील के ग्राम छींद में प्रसिद्ध हनुमान मंदिर है। ये मंदिर भोपाल से 40 किमी की दूरी पर है। यहां हनुमान जी को छींद वाले दादाजी के नाम से जाना जाता है। करीब 200 साल पुराने मंदिर में हनुमान जी एक पीपल के पेड़ के नीचे विराजमान हैं। मंदिर में हनुमान जी की प्रतिमा दक्षिण मुखी है। छींद वाले हनुमान जी को रोगों से बचाने वाले हनुमान भी कहा जाता है।

स्वयंभू है प्रतिमा
मंदिर में स्थापित प्रतिमा को स्वयंभू माना जाता है। कहा जाता है कि गांव के एक किसान को खेत में हनुमान जी की प्रतिमा मिली थी, जिसे उसने उसी जगह एक छोटी सी मढ़िया बनवाकर स्थापित कर दिया था। आज मंदिर ने विशाल रूप ले लिया है, जिसकी ख्याति दूर-दूर तक फैली हैं। हनुमान जयंती के अवसर पर यहां लाखों की तादाद में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं।

5. अर्जी वाले हनुमान जी
(जबलपुर)

Arji Wale Hanuman

जबलपुर के ग्वारीघाट क्षेत्र में प्रसिद्ध रामलला मंदिर स्थापित हैं। इस मंदिर को अर्जी वाले हनुमान मंदिर के नाम से भी जाना जाता हैं। मंदिर में हनुमान जी की एक विलक्षण प्रतिमा है जिसके दर्शन केवल साल में एक दिन हनुमान जन्मोत्सव पर श्रद्धालुओं को करने मिलते हैं। इस प्रतिमा में हनुमान जी का बालरुप विद्यमान हैं। रामलला मंदिर के गर्भगृह में स्थापित प्रतिमा बेहद छोटी है। इसका आकार केवल पांच अंगुल का है। मंदिर में हनुमान जी की एक अन्य प्रतिमा भी स्थापित है, जिसके दर्शन श्रद्धालु साल भर कर सकते हैं।

ऑनलाइन भी लगती है अर्जी
कहते हैं जो भी भक्त मंदिर में सच्चे मन से अर्जी लगाता है उसकी मुराद जरूर पूरी होती है। यही वजह है कि मंदिर में देश के साथ ही विदेशों से भी हनुमान भक्त इस मंदिर में अर्जी लगाते हैं। भक्तों की मनोकामनाओं को एक रजिस्टर में लिखकर हनुमान जी को सुनाया जाता है। इस मंदिर में ऑनलाइन अर्जी भी लगाई जाती है।

6. पर्ची से बताते हैं भविष्य (बालाजी हनुमान)
(बागेश्वर धाम, छतरपुर)

Balaji Bageshwar Dham

बागेश्वर धाम मध्य प्रदेश में छतरपुर जिले के गढ़ा गांव में स्थित है, यहां पर स्वंयभू हनुमान जी विराजमान हैं। स्वयंभू का अर्थ है कि जो स्वयं प्रकट हुए हैं. यहां पर बालाजी महाराज का मंदिर है, जहां पर मंगलवार और शनिवार के दिन काफी संख्या में भक्त दर्शन करने आते हैं।

कहा जाता है कि बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर हनुमान जी की विशेष कृपा है। उस कृपा की वजह से वे लोगों की समस्याओं को सुनते हैं और उनका समाधान करते हैं। हनुमान जी की कृपा से जिसकी अर्जी स्वीकर हो जाती है, उसकी पर्ची बिना पूछे ही पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी बना देते हैं।

आसान नहीं है पेशी लगाना
बागेश्वर धाम में अर्जी एक नारियल से लगाते हैं। यह अर्जी लोग घर से लगाते हैं और धाम पर जाकर भी लगाते हैं। य​ह अर्जी मंगलवार और शनिवार को ​लगाई जाती है। पेशी या अर्जी लगाना भी आसान नहीं है जो लोग अर्जी या पेशी लगाना चाहते हैं, उनको मांसाहार, लहसुन, प्याज, शराब जैसी चीजों का सेवन बंद करना होता है। पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से मिलने के लिए टोकन लगता है। उनसे मिलने के लिए कई दिनों या महीने तक इंतजार करना पड़ता है।

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Ramniwas Rawat U-Turn: कांग्रेस आलाकमान ने रामनिवास रावत को मनाया, भाजपा में शामिल होने की थी अटकलें

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Ramniwas Rawat U-Turn
Ramniwas Rawat U-Turn

भोपाल। कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना। जी हां, शायद ऐसा ही कुछ कहना है 6 बार के विधायक रामनिवास रावत जिन्होंने बीजेपी में शामिल होने की अटकलों को खारिज कर दिया है।

कहा ये भी जा रहा है कि पार्टी से नाराज चल रहे रामनिवास रावत ने कांग्रेस से किनारा करने का पूरा मन बना लिया था, लेकिन दिल्ली आलाकमान ने उन्हें आखिरकार मना लिया है।

कांग्रेस आलाकमान से हुई बातचीत से नाराज चल रहे रामनिवास रावत की नाराजगी दूर हो गई है और वे सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के चुनाव प्रचार के लिए राजगढ़ भी पहुंच गए।

कांग्रेस कार्यकर्ताओं को बताया सीधा और सरल – 

नाराज कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत की नाराजगी दूर, दिल्ली आलाकमान ने की फोन पर बातचीत, BJP में शामिल होने की थी अटकलें - Lalluram

राजगढ़ पहुंचे रावत ने चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी की तुलना में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को सीधा और सरल बताया और दिग्विजय सिंह को वोट करने की अपील की।

दरअसल, मुरैना लोकसभा सीट पर कांग्रेस के टिकट वितरण को लेकर रामनिवास रावत पार्टी से नाराज थे और 25 अप्रैल को मोदी की रैली में उनके बीजेपी में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही थीं जिनपर अब विराम लग गया है।

2019 में लड़ चुके हैं मुरैना लोकसभा सीट से चुनाव – 

लोकसभा चुनाव 2019: कांग्रेस ने एमपी की मुरैना सीट पर नरेंद्र सिंह तोमर के खिलाफ रामनिवास रावत को उम्मीदवार बनाया - द इंडियन वायर

वर्तमान में श्योपुर के विजयपुर से कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत 2019 में मुरैना लोकसभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं जिसमें वह नरेंद्र सिंह तोमर से 1 लाख से ज्यादा वोटों से हार गए थे।

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के प्रदेश अध्यक्ष के कार्यकाल में रामनिवास रावत मध्यप्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष भी रहे। जीतू पटवारी के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने कार्यकारी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था।

कांग्रेस की अनदेखी से नाराज चल रहे थे रावत – 

मुरैना में कांग्रेस में फूट, लोकसभा प्रत्याशी सत्यपाल सिंह सिकरवार का विरोध, जीतू पटवारी से की ये मांग - opposition to morena lok sabha candidate satyapal singh sikarwar ...

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि रावत को प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व और पार्टी आलाकमान की अनदेखी से नाराज हुए क्योंकि ना ही उन्हें प्रदेश अध्यक्ष का पद दिया गया और ना ही नेता प्रतिपक्ष का। शायद यही सब कारण है जिसकी वजह से ये अटकलें लगाई जाने लगी थी कि अपनी ही पार्टी से नाराज होकर रावत अब भाजपा में शामिल हो सकते हैं।

खुलकर जताई थी नाराजगी – 

बता दें कि रामनिवास रावत ने मुरैना लोकसभा चुनाव का टिकट घोषित होने के बाद खुलकर अपनी नाराजगी जताई थी और तब कहा था कि वह मुरैना लोकसभा को छोड़कर भी किसी भी लोकसभा में काम करने को तैयार हैं। उनका साफ इशारा मुरैना, श्योपुर लोकसभा या किसी दूसरी भी सीट से टिकट की इच्छा थी, लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने वहां भी इनको नजरअंदाज किया।

कांग्रेस की रणनीति पर उठा चुके हैं सवाल –

रावत ने कांग्रेस की रणनीति पर भी लेकर सवाल उठाते हुए कहा था कि ऊपर बैठे हुए लोगों को कांग्रेस के कार्यकर्ता व सदस्यों से भी राय लेनी चाहिए ताकि सही व्यक्ति को चुनाव लड़ने का मौका मिल सके।

बताया जा रहा है कि रामनिवास रावत लगातार भाजपा नेताओं के संपर्क में बने हुए हैं। श्योपुर के सेसईपुरा में हुई मुख्यमंत्री की आम सभा के दौरान मंच पर रामनिवास रावत ने इशारों-इशारों में मुख्यमंत्री को विजयपुर आने की बात भी कही थी, तो वहीं मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी रामनिवास रावत को अपना बड़ा भाई कहते हुए मंच पर साथ में ही खड़ा किया था और गले लगाया था।

दक्षिण कोरियाई BTS बैंड के दुनिया भर में हैं दीवाने, 50 करोड़ फैंस वाले इस बैंड को कहा जाता है BTS Army

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korean band BTS
korean band BTS

इन दिनों दक्षिण कोरिया का बुलेट प्रूफ बॉय स्काउट्स बैंड यानि BTS पॉप बैंड दुनिया भर में सुर्खियां बटोर रहा है। इस बैंड के सदस्यों के लिए उनके फैंस की दीवानगी इस कदर है कि इन्हें छींक भी आ जाए या इनके लव अफेयर, या फिर जिम न जाने जैसी छोटी से छोटी खबर भी वायरल हो जाए तो इनसे जुड़ी कंपनियों के शेयर 30% तक गिर जाते हैं।

इस कोरियन बैंड के विश्व भर में 50 करोड़ से भी अधिक प्रशंसक हैं। इस बैंड का कारोबार 42 हजार करोड़ रुपये से अधिक है जिसमें 12 फीसदी की दर से सालाना वृद्धि का अनुमान है। दुनियाभर में तगड़ी फैन फॉलोइंग वाले इस बैंड को बीटीएस आर्मी भी कहा जाता है। इसमें आजकल के युवा सबसे ज्यादा शामिल हो रहे हैं।

2010 में हुई बैंड की शुरुआत

इस कोरियन बैंड की शुरुआत साल 2010 में हुई थी, लेकिन बहुत ही कम समय में ये ग्रुप दुनियाभर में फेमस हो चुका है जो आज दुनिया के सबसे बड़े म्यूज़िक ग्रुप में से एक है। ये बैंड दुनिया क्यों इतना मशहूर हुआ। इस बैंड के सदस्य 35 साल की उम्र होने पर बैंड छोड़कर सेना में क्यों जाएंगे। संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस बैंड को क्यो सराहा। ऐसी अनेक रोचक जानकारी के लिए आपको इंतजार करना होगा हमारे अगले आर्टिकल का। फिलहाल नजर डालते हैं इस बैंड से जुड़े कुछ रोचक किस्सों पर…

बुलेट प्रूफ बॉय स्काउट्स बैंड यानि BTS बैंड के जुड़े रोचक किस्से

  • इस बैंड के दक्षिण कोरिया की बजाय ब्राजील, तुर्की तथा रूस मैं फैंस है। भारत और अमेरिका भी इस लिस्ट में शामिल है।
  • BTS बैंड की प्रसिद्धि की वजह से हर साल लाखों पर्यटक दक्षिण कोरिया घूमने जाते हैं।
  • बीटीएस में केवल जे-होप ही अकेले ऐसे कलाकार है जो कानों में बाली नहीं पहनते हैं।
  • ग्रुप लीडर RM ने अमेरिकन वेब सीरीज “Friends” देखकर अंग्रेजी सीखी।
  • BTS Band ने 3 बार यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली को एड्रेस किया है।
  • BTS सिंगर्स जल्द ही साउथ कोरियाई मिलिट्री में कंपल्सरी सर्विस देने के लिए बैंड से अलग हो जाएंगे।
  • डेब्‍यू परफॉर्मेंस के दौरान सिंगर जिन की पैंट नीचे गिर गई थी।
  • बैंड से मिलने के पागलपन में तमिलनाडु की तीन स्‍कूली छात्राएं घर से भाग गईं थीं।
  • NASA ने अपने मून मिशन के लिए बैंड के तीन गानों का चयन किया।

आइए अब जानते हैं इस BTS बैंड के सदस्यों के बारे में छोटा सा परिचय…

  1. Jeon Jung-kook- singer, songwriter, dancer
    26 साल के जियोन जंग-कुक, बीटीएस बैंड में गायक हैं। उनके तीन गाने बिगिन, यूफोरिया और माय टाइम ने दुनिया भर में तहलका मचाया
  2. Kim Nam-joon (RM), Main Rapper, BTS Leader
    किम नाम-जून 30 साल के हैं उन्हें आरएम के नाम भी जानते हैं, वे म्यूजिशिन हैं, लेखक हैं, बीटीएस बैंड को लीड करते हैं।
  3. Kim Tae-hyung (V), Singer, BTS
    29 साल के किम ताए ह्युंग का निक नेम V है। वे बीटीएस बैंड में सिंगर, डांसर एक्टर भी हैं, वे गाने भी लिखते हैं।
  4. Jung Ho-seok, Rapper
    30 साल के जंग हो-सेओक को जे-होप के नाम से जाना जाता है। वे बीटीएस में रैपर, गायक-गीतकार, डांसर निर्माता हैं।
  5. Park Ji-min, Singer
    29 साल के पार्क जी-मिन, जिन्हें जिमिन के नाम से जाना जाता है, वे बीटीएस बैंड में सिंगर और डांसर हैं।
  6. Kim Seok-jin, Singer, Song Writer
    मशहूर बीटीएस बैंड के छठवें सदस्य हैं 32 साल के किम सोक-जिन, जिन्हें पेशेवर रूप से जिन के नाम से जाना जाता है, वे सिंगर और सॉन्ग राइटर हैं।
  7. Min Yoon-gi (Suga), Lead Rapper
    31 साल के मिन यूं-गी, जिनका स्टेज नाम सुगा और अगस्ट डी है। वे रैपर, गीतकार और निर्माता हैं।

Ekadashi 2024: एकादशी पर क्यों नहीं खाते चावल? जानें इसका धार्मिक और वैज्ञानिक कारण

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Ekadashi aur chawal
Ekadashi aur chawal

Ekadashi 2024: हिंदू धर्म में एकादशी और इसके व्रत का बहुत महत्तव है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। जिनसे भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और घर में सुख आती है लेकिन इस व्रत के कुछ नियम भी है, जिनका पालन करना बेहद जरूरी है। ऐसा ही एक नियम है इस दिन चावल न खाने का। ये बात तो सभी को मालूम है कि एकादशी के दिन न सिर्फ व्रत करने वालों तो बल्कि सभी को चावल खाने की मनाही होती है। शास्त्रों के अनुसार, जो लोग एकादशी के दिन भोजन में चावल को शामिल करते हैं, वो नरकगामी कहलाए जाते हैं लेकिन क्या आपको पता है इसके पीछे कारण क्या है। अगर नहीं तो हम आपको बताएंगे एकादशी के दिन चावल न खाने का धार्मिक और वैज्ञानिक कारण…

चावल न खाने का धार्मिक कारण
एकादशी के एक दिन पहले और एकादशी (ekadashi aur chawal) के दिन चावल खाने की मनाही होती हैं। कथाओं के अनुसार माता शक्ति के क्रोध से बचने के लिए महर्षि मेधा ने शरीर का त्याग कर दिया था। उनके अंश पृथ्वी में समा गए और बाद में उसी स्थान पर चावल और जौ के रूप में महर्षि मेधा उत्पन्न हुए। जिस दिन महर्षि मेधा का अंश पृथ्वी में समाया था, उस दिन एकादशी तिथि थी। इसलिए एकादशी के दिन चावल खाना वर्जित माना गया। ऐसा माना जाता है कि एकादशी के दिन चावल खाना महर्षि मेधा के मांस और रक्त का सेवन करने के बराबर है। इस कारण चावल और जौ को जीव माना जाता है। इसलिए एकादशी को भोजन के रूप में चावल ग्रहण करने से परहेज किया गया है, ताकि सात्विक रूप से एकादशी का व्रत संपन्न हो सके।

Milled rice in a bowl and a wooden spoon on the black cement floor.

एकादशी के दिन चावल न खाने का वैज्ञानिक कारण
एकादशी के दिन चावल ना खाने का एक वैज्ञानिक कारण भी है। ऐसा माना जाता है कि चावल में जल की मात्रा ज्यादा होती है, वहीं जल पर चंद्रमा का प्रभाव अधिक पड़ता है और चंद्रमा मन का कारक ग्रह होता है। चावल को खाने से शरीर में जल की मात्रा बढ़ जाती है, इससे मन विचलित और चंचल होने लगता है। जिससे व्रत के नियमों का पालन करने में बाधा आती है। यही वजह है कि एकादशी के दिन चावल और उससे बनी चीजों को खाने से परहेज करना चाहिए।

a sack of rice seed with white rice on small wooden spoon and rice plant

द्वादशी को चावल खाने से होगा ये
धार्मिक कथाओं के अनुसार जो लोग एकादशी के दिन चावल ग्रहण करते हैं उन्हें अगले जन्म में रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म मिलता है। हालांकि द्वादशी को चावल खाने से इस योनि से मुक्ति भी मिल जाती है। इसलिए व्रत करने वालों को एकादशी के अगले दिन द्वादशी को चावल खाने को कहा जाता है।

Top view of raw rice inside bag and plate on grey surface

एकादशी पर करें दान
एकादशी के दिन वैसे तो सभी को दान करना अच्छा माना गया है, लेकिन व्रती को इस दिन सामर्थ्य के अनुसार अन्न, वस्त्र, जल, जूता, आसन, पंखा, छतरी और फल इत्यादि का दान करना चाहिए। मान्यता है कि इस दिन जल से भरे कलश का दान करने से बहुत अधिक पुण्य प्राप्त होता है।

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