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पितृपक्ष में रोजाना ऐसे करें पितरों का तर्पण, जान लें श्राद्ध के नियम और जल चढ़ाने का सही तरीका

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Pitru Paksha Niyam Tarpan Vidhi: 18 सितंबर को पितृपक्ष का पहला श्राद्ध है।

आज से अगले 15 दिन तक पितरों के नाम से तर्पण और श्राद्ध किया जाएगा।

पितृपक्ष में पितर 15 दिनों तक धरती लोक पर निवास करते हैं।

ऐसे में कुछ खास बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। क्योंकि पितृपक्ष के कुछ अहम नियम होते हैं, जिनका पालन करना बेहद जरूरी हैं।

अगर आपने सही तरीके से इन नियमों का पालन किया तो आपके पितर आपसे प्रसन्न होंगे और आपको उनका आशीवार्द मिलेगा

लेकिन अगर आपने ये नियम नहीं माने तो हो सकता है कि आपके पितर नाराज हो जाएं और आपको उनकी नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है।

तो आइए जानते हैं पितृपक्ष के नियम, पितरों की श्राद्ध की विधि, तर्पण और पितरों को जल देना का सही तरीका…

पितृपक्ष के नियम (Pitru Paksha Ke Niyam)

  • परिवार में जो कोई भी पितृपक्ष के दौरान पितरों का श्राद्ध करता है उन्हें इस दौरान सिर्फ सात्विक भोजन खाना चाहिए।
  • पितृपक्ष के दौरान बाल और नाखून नहीं काटना चाहिए।
  • पितृपक्ष में प्याज, लहसुन और मांस-मदिरा का सेवन न करें।
  • साथ ही दूध का प्रयोग भी कम से कम करें।
  • पितृपक्ष में हल्की खुशबू वाले फूल पितरों के नाम से अर्पित करने चाहिए और खुश्बू वाले फूलों का इस्तेमाल न करें।
  • पितरों के नाम से जो भी तर्पण आदि किया जाता है वह दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके ही जल अर्पित करें।
  • पितृपक्ष में रोजाना गीता का पाठ जरूर करें।
  • पितरों को प्रसन्न करने के लिए रोजाना पितृ चालीसा का भी पाठ करें।
  • इस बात का ध्यान रखे कि श्राद्ध करने के लिए किसी से कर्ज आदि न लें। अपने सामर्थ के अनुसार, ही श्राद्ध करें।

कौन चढ़ा सकता है पितरों को जल (pitaron ko jal kaise chadhye) 

घर के सबसे वरिष्ठ पुरुष के द्वारा ही नित्य तर्पण यानी पितरों को जल चढ़ाया जाना चाहिए।

अगर घर में कोई वरिष्ठ न हो तो पौत्र या नाती भी तर्पण कर सकते हैं।

पितरों की पूजा करने का सही समय (pitaron ke pooja karane ka samay)

पितरों की पूजा, श्राद्ध कर्म और जल चढ़ाने के लिए दोपहर का समय सबसे उत्तम माना जाता है।

सुबह-शाम जलाएं दीपक

पितृपक्ष में सुबह-शाम पितरों के नाम से सरसो के तेल का दीपक दक्षिण दिशा में जलाएं।

पितरों को जल देने का सही तरीका (pitaron ko jal dene ka sahi tarika)

  • पितरों को हमेशा दक्षिण दिशा में मुंह करके ही जल दें।
  • इसके बाद लोटे में थोड़ा गंगाजल, सादा जल और दूध लेकर उसमें काले तिल डाल लें।
  • फिर कुश की जूड़ी को हाथ में ले और सीधे हाथ के अंगूठे से जल गिराए और मंत्रों का उच्चारण करें।
  • पहला मंत्र- ओम पितृ देवतायै नम:
  • दूसरा मंत्र- ओम पितृ गणाय विद्महे जगत धारिणे धीमहि तन्नो पित्रो प्रचोदयात्।
  • इन दोनों में से किसी भी मंत्र का जप आप कर सकते हैं।

ब्राह्मण भोज के दौरान ध्यान रखें ये बात

  • पितृपक्ष में ब्राह्मण को भोजन कराते समय इस बात का ख्याल रखें की आप खाने के बर्तन को दोनों हाथ से पकड़कर लाएं।
  • ब्राह्मण जब भोजन ग्रहण करें तो वह मौन (चुप) रहे क्योंकि, जब तक ब्राह्मण मौन रहता है तब तक पितर भोजन ग्रहण करते हैं।
  • साथ ही भोजन परोसने वाले को भी मौन ही रहना चाहिए।
  • पितरों का श्राद्ध सिर्फ अपने ही घर में करें
  • दूसरों की जमीन पर भूलकर भी पितरों का श्राद्ध नहीं करना चाहिए।
  • श्राद्ध कर्म के कार्यों में ब्राह्मण को भोजन कराने के साथ ही गाय, कौए, कुत्ते और चीटियों के लिए भी भोजन निकालें और उन्हें खिलाएं।
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