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अब पहले साल में भी मिलेगा सरेंडर रिफंड, बदल गया लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी से जुड़ा ये नियम

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Ishwar Khatri
Ishwar Khatri
ईश्वर एक वैश्विक अर्थशास्त्री, इंटरनल ऑडिटर तथा अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग. बीमा, वित्तीय विश्लेषक हैं, वे भारत तथा मध्य-पूर्व (खाड़ी) देशो, यूरोप, एशिया-प्रशांत (APAC), अमेरिका स्थित बिजनेस कॉर्पोरेट हाउस और कंपनियों मे फायनेंस कन्ट्रोल, फायनेंस एनालिस्ट, इन्वेस्टमेंट प्लानिंग, आतंरिक अंकेक्षण, डिजिटल ट्रांसफोर्मेशन, एकाउंटिंग एंड फायनेंस के लिये इंटरप्राएसेस रिसौर्स प्लानिंग, EPM and SaaS कन्सल्टिंग जैसी सेवाओं को देने के लिये कुल 24 वर्षो का अनुभव रखते हैं |

LIC New Rule: अक्टूबर 2024 से देश में कई बदलाव लागू किए गए हैं, इनमें से एक बदलाव लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी से जुड़ा हुआ है।

अब बीमाधारकों के लिए लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी को सरेंडर करना और भी फायदेमंद हो गया है।

नए नियम के मुताबिक यदि कोई पॉलिसीहोल्डर अपनी पॉलिसी सरेंडर करता है तो उसे पहले से अधिक राशि रिफंड में मिलेगी।

पहले 3 साल था लॉक-इन पीरियड

अक्टूबर महीने से देश में कई बदलाव लागू हुए हैं, जिनमें लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी से जुड़ा नियम भी शामिल है।

बीमा नियामक IRDAI के नए नियम के तहत अब एक साल बाद भी पॉलिसी सरेंडर पर गारंटेड वैल्यू मिलेगी।

अगर पॉलिसीधारकों को होने वाले फायदे की बात करें तो अगर आप अपनी पॉलिसी पहले साल में सरेंडर करते हैं।

ऐसे में अब आपको अपने द्वारा जमा किया गया पूरा जीवन बीमा प्रीमियम नहीं खोना पड़ेगा।

LIC New Rule
LIC New Rule

बल्कि अब भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने साफ कर दिया है कि पॉलिसीधारकों को पहले साल से ही गारंटेड सरेंडर मूल्य मिलेगा।

भले ही पॉलिसीहोल्डर ने सिर्फ एक वार्षिक प्रीमियम का भुगतान क्यों न किया हो।

बीमा नियामक द्वारा किया गया ताजा बदलाव राहत भरा है क्योंकि पुराने दिशा-निर्देशों के तहत पहले वर्ष में कोई सरेंडर वैल्यू दिए जाने का प्रावधान नहीं था।

इससे पहले इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने के बाद पूरे 3 साल तक लॉक इन पीरियड होता था।

यानी 3 साल प्रीमियम का भुगतान करने के बाद ही पॉलिसी को सरेंडर करने की सुविधा मिलती थी।

नए नियम के मुताबिक जानें कैलकुलेशन

अभी तक के नियमों के अनुसार अगर पॉलिसी चौथे और सातवें साल के बीच सरेंडर की जाती है, तो कुल प्रीमियम का 50 फीसदी भुगतान किया जाना चाहिए।

अब आपको बता देते हैं नए नियम के मुताबिक कैलकुलेशन कैसे होगा?

मान लीजिए कि आपकी किसी पॉलिसी का कुल प्रीमियम 5 लाख रुपये है।

अगर आप 4 साल बाद पॉलिसी सरेंडर करते हैं तो पिछले सरेंडर मूल्य नियमों के अनुसार आपको सरेंडर वैल्यू के रूप में 2.75 लाख रुपये (5 लाख रुपये का कुल प्रीमियम और 50 हजार रुपये और बोनस की 50 फीसदी रकम) वापस मिलती।

LIC New Rule
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वहीं नए नियमों के मुताबिक अब पॉलिसी सरेंडर करने पर ज्यादा पैसा मिलेगा।

अक्टूबर 2024 के बाद पॉलिसी शुरू होने के चौथे से सातवें साल के बीच में पालिसी सरेंडर करने पर 3.30 लाख रुपये वापस मिलेंगे।

यदि आप एक साल बाद अपनी पॉलिसी सरेंडर करते हैं तो आपको ज्यादा सरेंडर मूल्य मिलेगी।

अभी तक अगर कोई पॉलिसीधारक एक साल बाद जीवन बीमा पॉलिसी सरेंडर करता था, तो उसे कुछ भी रकम नहीं मिलती थी।

ठीक ऐसे ही एक पॉलिसीधारक ने 10 लाख रुपये की बीमा राशि के साथ 10 साल की पॉलिसी खरीदी।

वह पहले वर्ष में 1 लाख रुपये का प्रीमियम चुकाता है।

पुराने नियमों के अनुसार अगर वह एक साल बाद पॉलिसी छोड़ता है तो उसे बीमाकर्ता से कोई रिफंड नहीं मिलेगा और उसे 1 लाख रुपये का नुकसान होगा।

LIC New Rule
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लेकिन, नए नियमों के अनुसार वह एक साल बाद पॉलिसी छोड़ने पर भी उसे रिफंड मिलेगा।

अगर बीमा कंपनी ने पूरे साल का प्रीमियम प्राप्त किया है तो उसे पॉलिसीधारक को 62,590 रुपये तक वापस करने होंगे।

इसके साथ ही बीमा दावों की राशि पर 5% TDS आयकर काटने के प्रावधान को अक्टूबर 2024 से 2% किया गया है।

पॉलिसी पर मिलने वाले रिटर्न पर असर

इंश्योरेंस पॉलिसी सरेंडर का मतलब होता है पॉलिसीधारक इसे मैच्योरिटी तक चलाना नहीं चाहता है और पहले बंद करते हुए इस पॉलिसी से बाहर निकलना चाहता है।

जब ऐसा होता है, तो पॉलिसीधारक को सरेंडर वैल्यू या अर्ली एग्जिट पेआउट नामक पेमेंट दिया जाता है।

जिसका मूल्य गारंटीड सरेंडर वैल्यू (GSV) या स्पेशल सरेंडर वैल्यू (SSV) में से जो ज्यादा हो, उतना होता है।

कैलकुलेशन में उपयोग की जाने वाली ब्याज दर 10-वर्षीय सरकारी सिक्योरिटीज पर वर्तमान यील्ड और अतिरिक्त 50 बेसिस पॉइंट से अधिक नहीं हो सकती।

LIC New Rule
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IRDAI द्वारा लागू किए गए इस नियम से लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी रखने वाले निवेशकों को लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट में कम फायदा हो सकता है।

दरअसल, सरेंडर वैल्यू में इजाफे से जीवन बीमा कंपनियों के लिए लागत बढ़ सकती है।

वहीं इससे संभावना है कि लंबे समय तक पॉलिसी रखने वालों को पहले की तुलना में कम रिटर्न मिल सकता है।

Non PAR पॉलिसियों पर रिटर्न में 0.3-0.5 फीसदी, जबकि PAR Policies में बोनस पेमेंट कम हो सकता है।

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