लाल चुनरी
दुर्गा मां को लाल रंग सबसे प्रिय है, इसलिए उनके सोलह श्रृंगार में लाल चुनरी जरूर शामिल करें। इससे मां प्रसन्न होकर आपको समृद्धि का आशीवार्द देगीं।
लाल बिंदी
माता के सोलह श्रृंगार में शामिल लाल बिंदी को महिलाएं अपने माथे के बीचों-बीच लगाती हैं। ये सुंदरता बढ़ाने के साथ ही उनके तेज को भी बढ़ाती हैं। .
सिंदूर
सिंदूर को सुहाग का प्रतिक माना गया है। विवाहित महिलाओं के सिंदूर लगाने से पति की आयु में वृद्धि होती है। मां को चढ़ाया हुआ सिंदूर महिलाएं अपनी मांग में भी लगाती हैं।
मांग टीका
मान्यता है कि सोलह श्रृंगार में शामिल मांग टीका पहनने से नववधु जीवनसाथी के साथ सही और सीधे रास्ते पर चलती है।
काजल
सोलह श्रृंगार में काजल भी शामिल हैं, मां को चढ़ाने के बाद महिलाएं उस काजल को खुद भी लगाती हैं। यह काजल महिलाओं को बुरी नजर से बचाता है।
गजरा
कहा जाता है कि गजरा सोलह श्रृंगार की शान बढ़ाता है। मोगरे के फूल से बना हुआ गजरा माता को बेहद पसंद है, आप इसमें गुलाब के फूल भी शामिल कर सकते हैं।
नथ या नथुनी
माता के सोलह श्रृंगार में नथ भी शामिल है, नाक में पहने जाने वाला ये आभूषण विवाहित महिलाओं के सुहाग की निशानी है।
झुमके
सोलह श्रृंगार में शामिल झुमके कान में पहने जाते हैं, सुहागन स्त्री को झुमके पहनाने का अर्थ है कि वह किसी भी तरह की बुराई न सुने।
मंगलसूत्र
सोलह श्रृंगार में मंगलसूत्र को बेहद खास माना जाता है। मंगलसूत्र के काले मोती महिलाओं को बुरी नजर से बचाते हैं। इसे सुहाग की प्रमुख निशानी माना गया है।
बाजूबंद
सोलह श्रृंगार में शामिल बाजूबंद को महिलाएं अपनी बांह में बांधती हैं। जिसकी वजह से इसे बाजूबंद कहा जाता है। ऐसा करने से परिवार के धन की रक्षा होती है।
चूड़ियां
माता के सोलह श्रृंगार में चूड़ियों का विशेष महत्व है। महिलाएं भी इसे खूब पहनती हैं। लाल रंग की चूड़ियां सुहाग की निशानी होती है जबकि हरे रंग की चूड़ियां परिवार की समृद्धि का प्रतीक होती हैं।
मेहंदी
मेहंदी के बिना कोई भी श्रृंगार अधूरा माना जाता है। मेहंदी की तासीर ठंडी होती है जो शरीर को शीतलता प्रदान करती है।
कमरबंद
माता के सोलह श्रृंगार में कमरबंद भी शामिल है, जिसे विवाहित महिलाएं कमर में पहनती हैं।
कमरबंद मे चाबी का गुच्छा भी लटकाया जाता है, जो इस बात का प्रतीक है कि घर में आई बहु अब घर की मालकिन है।
पायल
माता के सोलह श्रृंगार में सोने और चांदी की पायल भी शामिल है लेकिन आम महिलाओं को चांदी की पायल ही पहनना चाहिए।
महावर
पैरों में लगाया जाने वाला लाल रंग का महावर या आल्ता भी सोलह श्रृंगार में शामिल है और मां को प्रमुखता से चढ़ाया जाता है।
बिछुआ या बिछिया
माता के सोलह श्रृंगार में शामिल बिछुआ सुहागन होने का प्रतीक है। माना जाता है कि बिछुआ पहनना से महिलाएं अपने गृहस्थ जीवन में आने वाली सभी समस्याओं का हिम्मत से सामना करेंगी।