आतंकवाद विश्व के लिए बहुत बड़ी समस्या है, पूरी दुनिया में कई आतंकी संगठन हैं जो दुनिया में अशांति फैलाते का काम करते हैं। कई संगठनों की जड़ें बहुत मजबूत हैं तो कई संगठन अभी अपने पांव पसार रहे हैं।
लश्कर-ए-तैयबा आतंकी संगठन की जड़ें भी बहुत मजबूत हैं। यह संगठन कई आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे चुका है। यह सबसे विवादित आतंकी संगठन है। लश्कर-ए-तैयबा ने कई कमांडर पैदा किए हैं।
मुंबई ताज आतंकी हमलों का मास्टरमाइंड हाफिज सईद भी इसी संगठन का कमांडर है। लश्कर ने ही भारत के लोकतंत्र के मंदिर, संसद भवन पर हमला किया था। इस इस्लामिक संगठन का मुख्य उद्देश्य कश्मीर का पाकिस्तान में विलय का है।
कैसे बना लश्कर-ए-तैयबा –
लश्कर-ए-तैयबा का शाब्दिक अर्थ धर्म की सेना या शुद्ध सेना होता है। यह पाकिस्तान में स्थित एक उग्रवादी इस्लामिक संगठन है। इसकी स्थापना 1985 में लाहौर विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग के प्रोफेसर रहे हाफिज सईद और उसके दो अन्य साथी जफर इकबाल शाहबाज, अब्दुल्ला अज्जाम और कई अन्य इस्लामी मुजाहिदीनों द्वारा की गई थी।
यह पाकिस्तान का सबसे कट्टर जिहादी संगठन है। प्रारंभ में इसका उद्देश्य अफगानिस्तान से रूसी सेनाओं को हटाना था। संगठन ने अपने को वहाबी इस्लाम के आदर्श पर स्थापित किया।
वहाबी अरब में यति आधारित पंथ है। सोवियतों के हटने के बाद इसका उद्देश्य भारतीय कश्मीर पर अपना शासन स्थापित करना और जो बाद में कश्मीर को भारतीय शासन से मुक्त कराना हो गया।
लश्कर के कई ट्रेनिंग सेंटर थे, जिसमें से अधिकांश ट्रेनिंग सेंटर उत्तर पश्चिम सीमांत प्रांत (खैबर पख्तूनख्वा) में स्थित थे और कई को कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए कमांडरों को प्रशिक्षित करने के एकमात्र उद्देश्य के लिए पाकिस्तान अधिकृत जम्मू और कश्मीर (पीओजेके) में स्थानांतरित कर दिया गया था।
1991 के बाद से कश्मीर में आतंकवाद बढ़ गया क्योंकि पाकिस्तानी सेना और आईएसआई की मदद से लश्कर-ए-तैयबा के कई कमांडरों को पाकिस्तान अधिकृत जम्मू और कश्मीर से भारतीय कश्मीर में घुसपैठ कराया गया था।
प्रारंभिक गतिविधियां –
लश्कर-ए-तैयबा ने 1993 में जम्मू-कश्मीर में अपनी पहली घुसपैठ की। 1990 के दशक के अंत में पाकिस्तान सरकार पर आरोप लगा कि जम्मू कश्मीर में हिन्दुओं पर निशाना बनाने और भारत में अपनी जड़े मजबुत करने के लिए लश्कर-ए-तैयबा को सरकारी एजेंसी इंटर सर्विस इंटेलिजेंस (आईएसआई) आर्थिक मदद कर रही है।
पाकिस्तानी सरकार ने इस आरोप से इंकार कर दिया। इसके बाद लश्कर ने जम्मू में काम करना शुरू किया, जहां बड़ी संख्या में गैर-मुस्लिम थे। अप्रैल, 1990 में अस्तित्व में आए एक अलगाववादी संगठन हिज्ब-उल-मुजाहिदीन के साथ मिलकर काम करते हुए, लश्कर-ए-तैयबा ने हिंदुओं और सिखों के खिलाफ हमलों की योजना बनाई।
लश्कर-ए-तैयबा के हमले अक्सर नागरिकों को निशाना बनाकर किए जाते थे। 1999 की शुरुआत में, लश्कर-ए-तैयबा ने भारतीय सुरक्षा बलों के खिलाफ आत्मघाती हमलों को अंजाम देने का अभियान चलाया, जिसमें सुरक्षित माने जाने वाले सेना के मुख्यालयों को निशाना बनाया।
इन हमलों में लश्कर के कमांडरों की संख्या अधिक होती थी, क्योंकि वो अधिक से अधिक नुकसान पहुंचाना चाह रहे थे, जिसमें भारतीय सैनिकों ने बहुत सारे आतंकी मार गिराए। हालांकि भारतीय सैनिकों का भी बहुत नुकसान हुआ।
लश्कर लगातार जम्मू कश्मीर में अपने ऑपरेशनों को अंजाम दे रहा था। उधर उसके सहयोगी आतंकी संगठन हिज्ब-उल-मुजाहिदीन ने भारत के साथ अल्पकालिक युद्धविराम की घोषणा कर दी, जिसके बाद सन 2000 में लश्कर-ए-तैयबा का हिज्ब-उल-मुजाहिदीन से झगड़ा हो गया।
2001 में संयुक्त राज्य अमेरिका पर 11 सितंबर के हमलों के बाद, अमेरिकी सैनिकों द्वारा अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को हटाने के बाद लश्कर को काफी नुकसान पहुंचाया गया।
उस वर्ष 13 दिसंबर को, लश्कर-ए-तैयबा ने एक अन्य आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद के साथ मिलकर विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के मंदिर, भारत के संसद भवन पर आतंकी हमला किया।
जानिए संसद भवन पर हमले के दिन की घटना –
संसद परिसर में अचानक गोलियों की आवाजें गूंजने लगीं। आतंकवादी एके-47 लेकर एक सफेद एंबेसडर कार से संसद परिसर में घुसे थे। शुरू में सुरक्षाकर्मियों को नहीं लगा कि वो आतंकवादी हैं, लेकिन बाद में परिसर में उनकी हरकतों से ये अंदाज हो गया कि सेना की वर्दी पहनकर संसद परिसर में घुसे ये लोग गलत इरादे से आए हैं।
इस कार पर लाल बत्ती और होम मिनिस्ट्री का स्टीकर लगा हुआ था। संसद परिसर में एंट्री के बाद आतंकियों की कार बिल्डिंग के गेट नंबर 12 की तरफ बढ़ रही थी, तभी एक सुरक्षाकर्मी को कुछ शक हुआ।
कार को पीछे लौटने को कहा गया। तब तक वह तत्कालीन वाइस प्रेजिडेंट कृष्ण कांत के वाहन से टकरा चुकी थी। इसके बाद AK-47 से लैस आतंकी कार से उतरते हैं और फायरिंग शुरू कर देते हैं।
फायरिंग शुरू होते ही संसद का अलार्म बजता है। मुख्य बिल्डिंग के सभी गेट्स बंद कर दिए जाते हैं। संसद में मौजूद सुरक्षा के जवान चारों तरफ से आतंकियों को घेर लेते हैं। इसके बाद करीब आधे घंटे तक दोनों तरफ से फायरिंग होती है। सभी आतंकियों को ढेर कर दिया जाता है।
इस हमले में दिल्ली पुलिस के 5 जवान, CRPF की एक महिला कांस्टेबल, संसद वॉच एंड वार्ड सेक्शन के दो सुरक्षा सहायक, एक माली और एक फोटो पत्रकार वीरगति को प्राप्त होते हैं।
हमले के वक्त संसद में कई सांसद और मंत्री मौजूद थे। हमले के दौरान तत्कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी समेत करीब 200 सांसद संसद परिसर में मौजूद थे। सुरक्षाकर्मियों ने हमला होते ही उन्हें कमरे में भेजकर सुरक्षित कर दिया था।
लश्कर-ए-तैयबा की विचारधारा और उद्देश्य –
लश्कर-ए-तैयबा की कथित विचारधारा जम्मू-कश्मीर राज्य पर भारत की संप्रभुता को चुनौती देने से भी आगे जाती है। ‘हम जिहाद क्यों छेड़ रहे हैं’ नामक पुस्तिका में उल्लिखित लश्कर के ‘एजेंडा’ में भारत के सभी हिस्सों पर इस्लामी शासन की बहाली शामिल है।
इसके अलावा, संगठन पाकिस्तान के आसपास के देशों में सभी मुस्लिम बहुसंख्यक क्षेत्रों का एक संघ बनाना चाहता है। इस दिशा में, यह जम्मू-कश्मीर, चेचन्या और मध्य एशिया के अन्य हिस्सों में सक्रिय है।
इस्लाम के विद्वान हाफ़िज़ सईद ने कहा है कि जिहाद का उद्देश्य पूरी दुनिया में इस्लाम के प्रभुत्व के लिए निरंतर संघर्ष करना और बुरी ताकतों और अज्ञानियों को खत्म करना है।
वह भारत, इजराइल और अमेरिका को अपना प्रमुख दुश्मन मानता है और उसने अमेरिकी हितों पर भी फिदायीन (आत्मघाती दस्ता) हमला करने की धमकी दी है।
लश्कर-ए-तैयबा लोकतंत्र और राष्ट्रवाद में विश्वास नहीं रखता। इसकी विचारधारा के अनुसार, दुनिया भर में जहां लोकतांत्रिक व्यवस्था में मुसलमान गैर-मुस्लिम शासन के अधीन हैं, वहां मुसलमानों के हितों की रक्षा करना हर ‘मोमिन’ (सच्चे मुसलमान) का कर्तव्य है। इस प्रकार इसने अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उपयुक्त साधन के रूप में जिहाद का मार्ग चुना है।
17 जुलाई 2003 को लाहौर में आयोजित ऑल पाकिस्तान उलेमा कन्वेंशन के दौरान हाफिज सईद ने कहा कि जिहाद ही एकमात्र तरीका है, जिससे पाकिस्तान सम्मान और समृद्धि की ओर बढ़ सकता है।
लश्कर ने लगातार बल प्रयोग की वकालत की है और कसम खाई है कि वह वाशिंगटन, तेल अवीव और नई दिल्ली में ‘इस्लाम का झंडा’ लहराएगा।
प्रमुख हमले –
- 13 दिसंबर 2001: नई दिल्ली में संसद भवन की इमारत में एक हाई-प्रोफाइल गोलीबारी के लिए लश्कर को जिम्मेदार ठहराया गया, जिसमें 12 लोगों की जान चली गई थी।
- 14 मई 2002: लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकवादियों ने जम्मू कश्मीर के कालचक में भारतीय सेना के अड्डे से आ रही एक बस पर हमला किया, जिसमें 36 लोग मारे गए थे और 48 लोग घायल हो गये थे।
- 24 सितंबर 2002: लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकवादियों ने बंदूकों और हथगोले का इस्तेमाल कर भारत के गुजरात के अक्षरधाम मंदिर पर हमला किया, जिसमें 33 लोग मारे गये थे और 70 लोग घायल हुए थे।
- 25 अगस्त 2003: भारत ने मुंबई में दोहरे कार बम विस्फोट के लिए लश्कर-ए-तैयबा को दोषी ठहराया। इस हमले में 52 लोग मारे गये थे और 150 लोग घायल हुए थे।
- 29 अक्टूबर 2005: नई दिल्ली के बाजारों और एक बस में तीन बम विस्फोटों के लिए लश्कर जिम्मेदार था। यह 2005 में भारत में सबसे घातक आतंकवादी हमला था। इस बम विस्फोट में 63 लोगों की जान गई थी, और 200 लोग घायल हुए थे।
- 26 नवंबर 2008: समुन्द्र के रास्ते मुंबई में घुसे 10 बंदूकधारियों ने मुंबई में एक रेलवे स्टेशन, लोकप्रिय ताज होटल, एक हास्पिटल और एक यहूदी केंन्द्र पर गोलीबारी और बमबारी की। यह हमला 60 घंटे तक चला और इसमें महिलाओं, बच्चों और कई पुलिसकर्मियों सहित 166 लोग अपनी जान गंवानी पड़ी थी। 300 से अधिक लोग घायल हुए थे। इस हमले को 26/11 हमला नाम दिया गया।
- 21 फरवरी 2023: भारत के हैदराबाद शहर में एक भीड़ में विस्फोट हुआ था, जिसमें 16 लोग मारे गये थे और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे। इस विस्फोट में इस्तेमाल किए उपकरण की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा ने ली थी।
- 18 सितंबर 2016: लश्कर-ए-तैयबा ने भारत के उरी, जम्मू और कश्मीर में एक सैन्य मुख्यालय पर हमले की जिम्मेदारी ली थी। इस हमले में 24 नागरिकों की जाने गई थी और 17 लोग घायल हुए थे।
इजराइल ने लश्कर को आतंकी संगठन घोषित किया –
इजरायल ने मुंबई हमले के जिम्मेदार लश्कर-ए-तैयबा को आंतंकी संगठन घोषित कर दिया है। भारत में इजरायली दूतावास ने कहा कि उन्होंने ये फैसला इसलिए लिया, क्योंकि आने वाले कुछ दिनों में मुंबई आंतकी हमले (26/11) को 15 साल पूरे हो जाएंगे।
इजरायली दूतावास ने आगे कहा, उन्होंने ये फैसला भारत के कहने पर नहीं लिया, लेकिन फिर भी हम सारी औपचारिकताएं पूरी कर चुके हैं। अब लश्कर-ए-तैयबा को इजरायल में आंतकी संगठन की सूची में डाल दिया जाएगा।
हमले का इजरायली कनेक्शन –
साल 2008 में लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंवादी अरब सागर को रास्ते मुंबई शहर में घुस आये थे। 26 नवंबर 2008 को इन आतंकवादियों ने रेलवे स्टेशन, प्रतिष्ठित ताज होटल समेत कई सार्वजनिक जगहों पर गोलीबारी शुरू कर दी थी।
आतंकियों का आंतक मुंबई में 60 घंटो तक चला था। इस हमले से पूरा देश दहल गया था। लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने 166 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। मारे गए लोगों में कई विदेशी नागरिक भी थे।
उस दौरान हमले के बीच मुंबई के नरीमन हाउस में एक रोते हुए इजरायली बच्चे की तस्वीर ने दुनिया का ध्यान खींचा था। इस बच्चे का नाम मोशे होल्ट्जबर्ग था, जिसके माता-पिता गोलीबारी में मारे गए थे।
इससे पहले दिसंबर 2001 में भारतीय संसद पर आत्मघाती हमला करने के बाद 2002 में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के साथ लश्कर-ए-तैयबा को एक विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित किया था।