Homeन्यूजइस फॉर्मूले से हरियाणा में खिला कमल, रचा इतिहास, तीसरी बार बनी...

इस फॉर्मूले से हरियाणा में खिला कमल, रचा इतिहास, तीसरी बार बनी भाजपा सरकार

और पढ़ें

Reasons For BJP’s Victory In Haryana: हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की तस्वीर अब साफ हो चुकी है।

जहां जम्मू-कश्मीर में NC-कांग्रेस की सरकार बन गई है।

वहीं हरियाणा में भाजपा ने हैट्रिक लगाते हुए लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की है।

आइए जानतें हैं वो भाजपा का वो फॉर्मूला जिसने एग्जिट पोल को गलत साबित कर हरियाणा में कमल खिलाया।

जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस-NC, हरियाणा में तीसरी बार BJP

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव का रिजल्ट आ गया है।

नेशनल कांफ्रेंस (NC) और कांग्रेस के गठबंधन को 48 सीटें मिली हैं।

90 सीटों वाली विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 46 है।

नेशनल कॉन्फ्रेंस को 42 और कांग्रेस को 6 सीटें मिलीं।

भाजपा ने 29 सीटों पर जीत दर्ज की।

पीडीपी को 3 सीट मिली।

एक-एक सीट आम आदमी पार्टी, जेपीसी और CPI(M) के खाते में आई।

7 सीटों पर निर्दलीय विधायक जीतें हैं।

नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने ऐलान कर दिया है कि उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के अगले मुख्यमंत्री होंगे।

उमर अब्दुल्ला ने दो सीटों (बडगाम और गांदरबल) पर चुनाव लड़ा और दोनों पर जीत दर्ज की।

वहीं बात हरियाणा में 90 विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव की करें तो यहां भी बहुमत का आंकड़ा 46 है।

बीजेपी ने यहां 48 सीटों पर जीत दर्ज कर चुकी है और तीसरी बार सरकार बनाने के करीब है।

वहीं कांग्रेस के खाते में इस बार 37 सीटें ही आई हैं, वहीं इनेलो-बसपा को 2 और अन्य को 3 सीटें मिली।

BJP ने सिर्फ एग्जिट पोल को गलत साबित किया है, बल्कि उसने इतिहास रच दिया है।

हरियाणा राज्य में तीसरी बार सरकार बनाने वाली बीजेपी पहली पार्टी बन गई है।

BJP का वो फॉर्मूला जिसने कांग्रेस को किया OUT

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में भाजपा लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी की ओर बढ़ रही है और कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा।

भाजपा ने गैर-जाट वोटों को साधते हुए, विकास योजनाओं और चुनावी रणनीतियों पर फोकस किया।

भाजपा की मजबूत प्रचार मशीनरी ने एग्जिट पोल की भविष्यवाणियों को गलत साबित कर इस जीत में अहम भूमिका निभाई।

आइए जानतें हैं भाजपा की जीत के कुछ प्रमुख कारण –

1 – गैर-जाट वोटों का एकीकरण –

भाजपा की हरियाणा में रणनीति 2014 से ही स्पष्ट रही है, जब उसने 4 से 47 सीटों तक का सफर तय किया था।

इस बार भाजपा ने 75% गैर-जाट वोटरों को साधकर अपनी जीत सुनिश्चित की।

इसके अलावा भाजपा ने अनुसूचित जाति (एससी) मतदाताओं को भी अपनी ओर आकर्षित किया।

2 – उम्मीदवारों के चयन की रणनीति –

इस बार जहां कांग्रेस ने अपने पसंदीदा उम्मीदवारों को आगे बढ़ाने की कोशिश की, वहीं भाजपा ने अलग रणनीति अपनाई।

भाजपा ने 60 नए चेहरे उतारे, जिससे एंटी-इंकंबेंसी को चुनौती दी जा सके।

3 – चुनाव से पहले CM बदलने का हिट फॉर्मूला –

इस बार अमित शाह के पुराने फॉर्मूले पर बीजेपी चली और  कांग्रेस का बना बनाया खेल बिगाड़ दिया।

बीजेपी ने हरियाणा चुनाव से 7 महीने ही वो दांव चला जिसने 3 राज्यों में पहले भी ऐसे ही कमल खिलाया था।

ये है सीएम बदलना और जनता के बीच उतरने का फॉर्मूला।

बीजेपी ने मनोहर लाल खट्टर को पद से हटाकर नायब सिंह सैनी को राज्य की कमान सौंपी थी।

इससे पहले बीजेपी ने यही प्रयोग उत्तराखंड, त्रिपुरा और गुजरात में भी किया था।

4 – शानदार स्ट्रेटजी और त्रिमूर्ति ने दिलाई जीत –

हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पूरी तरह से आश्वस्त थी कि उसकी जीत होने वाली है।

एग्जिट पोल भी कांग्रेस की जीत ही दर्शा रहे थे, लेकिन परिणाम के दिन ये दशा बदल गई।

हरियाणा में भाजपा की जीत के पीछे पार्टी के ही तीन ऐसे नेता हैं, जिनकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही है।

विधानसभा चुनाव में राज्य के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान और दोनों सह चुनाव प्रभारी बिप्लब देव और सुरेंद्र का रोल जबरदस्त रहा।

5 – कांग्रेस की गुटबाजी ने दिलाया BJP फायदा –

कांग्रेस की हार के पीछे गुटबाजी को भी एक खास कारण बताया जा रहा है।

वहीं लोकसभा चुनाव के विपरीत इस बार कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने अलग-अलग चुनाव लड़ा।

इसके साथ ही इंडियन नेशनल लोकदल और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन, जेजेपी और आजाद समाज पार्टी के साथ-साथ कई निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी चुनावी मैदान में ताल ठोकी।

इससे विरोधी वोटों का विभाजन हुआ और कांग्रेस कई सीटों पर हार गई।

6 – चुनावी रणनीति और प्रचार मशीनरी –

भाजपा ने 150 से अधिक रैलियों का आयोजन किया, जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति प्रमुख रही।

इसके विपरीत कांग्रेस ने लगभग 70 रैलियां कीं।

भाजपा ने अपने चुनावी संदेश में अनुशासन और विकास को प्रमुखता दी, जबकि राहुल गांधी ने किसानों और उद्योगपतियों के बीच टकराव की बात कही, जो व्यापार समुदाय और ऊर्ध्वगामी मतदाताओं के बीच प्रभावी नहीं रही।

इन कारणों और कई मोर्चों पर भाजपा की मजबूत रणनीति ने उसे लगातार तीसरी बार हरियाणा में सरकार बनाने की राह पर ला खड़ा किया है।

ये खबर भी पढ़ें – Bhopal Drugs Case: UK-दुबई तक कनेक्शन, जेल में ऐसे तैयार हुआ तस्करों का नेटवर्क

- Advertisement -spot_img

ताजा खबरें

Breaking News : 16 October

Breaking News : 15 October