Sikshak Samman Samaroh: मध्य प्रदेश की राजधानी में राज्यस्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह आयोजित किया गया।
जिसमें राज्यपाल मंगुभाई पटेल और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 14 शिक्षकों को सम्मानित किया।
प्रदेश सरकार ने 54 लाख स्टूडेंट्स के बैंक खातों में यूनिफॉर्म के लिए 324 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए।
14 शिक्षक सम्मानित, 54 लाख छात्रों को मिली यूनिफॉर्म की राशि
भोपाल के आरसीवीपी नरोन्हा प्रशासन अकादमी के स्वर्ण जयंती हाल में राज्यस्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह हुआ।
इस कार्यक्रम में राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह उपस्थित रहें।
शिक्षकों का सम्मान,
विद्यार्थियों का भविष्य निर्माण…आज प्रशासन अकादमी, भोपाल में माननीय राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल जी की गरिमामयी उपस्थिति में आयोजित 'राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह' में सहभागिता की और शिक्षकों को पुरस्कृत कर शुभकामनाएं दीं।
कार्यक्रम में 54 लाख से अधिक… pic.twitter.com/jEXBAW757y
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राज्यपाल और सीएम ने समारोह में 14 शिक्षकों को सम्मानित किया।
इन शिक्षकों में 8 प्राथमिक-माध्यमिक और 6 उच्चतर माध्यमिक श्रेणी के शिक्षक हैं।
शिक्षकों को सम्मानस्वरूप 25 हजार रुपये और शाल, श्रीफल और प्रशस्ति-पत्र दिया गया।
वहीं पिछले साल के राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार विजेता शिक्षकों को विशेष सम्मान राशि 11 हजार रुपये दी गई।
गुरु ही हैं, जो हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं… pic.twitter.com/maCWZdvpQu
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इस कार्यक्रम में निःशुल्क गणवेश योजना के अंतर्गत 54 लाख विद्यार्थियों के बैंक खातों में यूनिफॉर्म की राशि दी गई।
प्रदेश के शासकीय प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में अध्ययनरत छात्रों को 324 करोड़ रुपये सिंगल क्लिक के जरिए बांटे गए।
राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल एवं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आरसीव्हीपी नरोन्हा प्रशासन अकादमी, भोपाल में आयोजित 'राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह' व ₹324 करोड़ की गणवेश राशि का वितरण कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस अवसर पर स्कूल शिक्षा मंत्री श्री @udaypratapmp… pic.twitter.com/m7nxJV9CWs
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बता दें कि पहले यह कार्यक्रम शिक्षक दिवस पर 5 सितंबर को आयोजित होने वाला था।
लेकिन, कुछ कारणों के चलते इस स्थगित कर दिया गया था।
इन तीन विद्यार्थियों को मिली विशेष सम्मान निधि
सम्मान समारोह में राष्ट्रीय इंस्पायर अवार्ड प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले भिंड जिले में उद्योतगढ़ के कक्षा 10वीं के विद्यार्थी दीपक वर्मा को 25 हजार रुपये की विशेष सम्मान निधि प्रदान की गई।
राष्ट्रीय स्तर पर पांचवें स्थान पर रहीं बालाघाट जिले के लांजी की छात्रा शिरोमणी दहीकर और 31वां स्थान प्राप्त करने वाले भोपाल के कक्षा 7वीं के विद्यार्थी आरुष नाग को 15-15 हजार रुपये विशेष सम्मान निधि दी गई।
इन विद्यार्थियों के साथ ही उनके गाइड शिक्षकों को भी सम्मानित किया गया।
प्राइमरी-सेकंडरी कैटेगरी के 8 टीचर्स को अवॉर्ड
- दमोह जिले के शासकीय प्राथमिक शाला देवरान टपरिया की प्राथमिक शिक्षक शीला पटेल
- शाजापुर जिले के शासकीय नवीन प्रायमरी स्कूल ताजपुर के प्राथमिक शिक्षक वैभव तिवारी
- ग्वालियर जिले के शासकीय माध्यमिक शाला बाडौरी मुरार के शिक्षक बृजेश कुमार शुक्ला
- छिंदवाड़ा के शासकीय प्राथमिक शाला कउआखेड़ा के प्राथमिक शिक्षक राकेश कुमार मालवीय
- गुना जिले के शासकीय माध्यमिक शाला समरसिंगा के प्राथमिक शिक्षक राजीव कुमार शर्मा
- राजगढ़ जिले के बांगुपरा शासकीय प्राथमिक स्कूल के प्राथमिक शिक्षक सुरेश कुमार दांगी
- खंडवा जिले की शासकीय प्राथमिक शाला झूमरखाली की शिक्षिका नीतू ठाकुर
- सिवनी के शासकीय प्राथमिक शाला भीरा खंडवा के शिक्षक संजय कुमार रजक
हायर सेकंडरी के कैटेगरी 6 टीचर टीचर्स को अवॉर्ड
- इंदौर के गुरुकुलम महू के उच्च माध्यमिक शिक्षक जगदीश सोलंकी
- छिंदवाड़ा के शासकीय उत्कृष्ट उमावि की शिक्षिका अमिता शर्मा
- मंदसौर के शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नंबर-2 की शिक्षिका कीर्ति सक्सेना
- भोपाल के शासकीय उत्कृष्ट उमावि के व्याख्याता राजेंद्र जसूजा
- उज्जैन के शासकीय कन्या उमावि सराफा की उच्च माध्यमिक शिक्षक ज्योति तिवारी
- शहडोल के शासकीय एमएलवी उमावि की माध्यमिक शिक्षक अंजना द्विवेदी
मोहल्ला क्लास से लेकर पढ़ाई छोड़ चुके बच्चों को पढ़ाया
मध्यप्रदेश के जो 14 टीचर्स सम्मानित हुए हैं उन्होंने गांवों के बच्चों को बेहतर और मॉडर्न एजुकेशन से जोड़ा है।
बच्चों में क्रिएटिव और इनोवेटिव सोच पैदा की।
लोगों से मदद लेकर स्कूलों में पंखे, बेंच-टेबल जैसी फैसिलिटीज प्रोवाइड कराईं।
खंडवा की टीचर ने कोविड में स्कूल बंद होने पर बच्चों की पढ़ाई बंद नहीं होने दी और मोहल्ला क्लास लगाई।
शिक्षक ने सोशल डिस्टेंस का पूरा ख्याल रखकर गांव में चौपालें लगाकर पढ़ाया।
सिवनी के टीचर तो जंगल के बीच इसलिए बस गए कि गांव के 20 घरों के बच्चे पढ़-लिख जाएं।
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