Fake Call Monitoring System: भारतीय दूरसंचार विभाग ने फेक और जाली अंतर्राष्ट्रीय कॉलों को रोकने के लिए नई स्पैम-ट्रैकिंग प्रणाली शुरू की, जो की डिजिटल अरेस्ट जैसे अपराधों को रोकने के लिये कुछ हद तक कारगर सिद्ध होगी।
सरकार की इस नई ने प्रणाली लॉन्च के 24 घंटों के भीतर 1.35 करोड़ से अधिक नकली अंतर्राष्ट्रीय कॉलों को ब्लॉक कर दिया, जिससे भारतीय दूरसंचार उपभोक्ताओं के लिए डिजिटल सुरक्षा बढ़ जाती है।
22 अक्टूबर से हुई शुरुआत
भारत सरकार ने मंगलवार, 22 अक्टूबर 2024 को एक नई स्पैम-ट्रैकिंग प्रणाली शुरू की, जिसका उद्देश्य उन अंतरराष्ट्रीय कॉलों की पहचान करना और उन्हें ब्लॉक करना है जो गलत तरीके से भारतीय फोन नंबर के रूप में प्रदर्शित होती हैं।
90% फेक कॉल को किया ब्लॉक
सिस्टम लाइव होने के केवल 24 घंटों में, दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (टीएसपी) ने फेक के रूप में पहचाने जाने वाले सभी विदेशो से आने वाली अंतर्राष्ट्रीय कॉलों में से लगभग 1.35 करोड़ या 90% को ब्लॉक कर दिया।
ये टेलीफोन और मोबाइल काल ऐसी लगती थी, जैसे भारत से ही लगायी गयी हों, और आम भारतीय नागरिको को गुमराह करने के लिये इस्तेमाल की जा रही थी।
अब ऐसी विदेशी धरती से आने वाली अंतर्राष्ट्रीय कॉलों में से लगभग 90% को तत्काल प्रभाव से ब्लाक कर दिया,जिससे उन्हें भारतीय दूरसंचार उपयोगकर्ताओं तक पहुंचने से रोक दिया गया।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने किया लॉन्च किया
केंद्रीय संचार मंत्री, ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अंतर्राष्ट्रीय इनकमिंग स्पूफ्ड कॉल्स प्रिवेंशन सिस्टम (ISCPS) लॉन्च किया, इसे एक सुरक्षित डिजिटल स्पेस बनाने और नागरिकों को साइबर अपराध से बचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल बताया।
सिस्टम को धोखाधड़ी वाली कॉलों की संख्या को काफी हद तक कम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है जो +91 (भारत) के आई एस डी प्रीफिक्स (उपसर्ग) प्रदर्शित करती हैं, लेकिन ऐसी काल मूलतः विदेश से आती हैं।
साइबर अपराधों पर लगेगी नकेल
साइबर अपराधी कॉलिंग लाइन आइडेंटिटी (सीएलआई) में हेरफेर करके भारतीय मोबाइल नंबरों की नकल करने के लिए नकली अंतरराष्ट्रीय कॉल का उपयोग कर रहे हैं।
ये कॉल अक्सर वित्तीय घोटालों, सरकारी अधिकारियों की फर्जी पहचान और नागरिकों के बीच दहशत पैदा करने के प्रयासों को जन्म देती हैं।
घटनाओं में मोबाइल नंबर काटने की धमकियां, फर्जी डिजिटल गिरफ्तारियां और ड्रग्स या सेक्स रैकेट से जुड़े धोखाधड़ी के फर्जी आरोप शामिल हैं।
सिंधिया ने कही ये बात
श्री सिंधिया ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसे साइबर अपराधों के खिलाफ लड़ाई में इस प्रणाली का कार्यान्वयन महत्वपूर्ण है।
लॉन्च इवेंट में उन्होंने कहा, “यह एक सुरक्षित डिजिटल स्पेस बनाने और नागरिकों को साइबर अपराध से बचाने की दिशा में एक और अधिकारिक सरकारी प्रयास है।”
दूरसंचार विभाग (DoT) ने दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के सहयोग से इन फर्जी कॉलों का पता लगाने और उन्हें ब्लॉक करने के लिए इस उन्नत प्रणाली को तैयार किया। भारतीय दूरसंचार ग्राहकों को ऐसी कॉलों में उल्लेखनीय कमी देखने की उम्मीद है, जो अक्सर +91 कोड का उपयोग करती हैं लेकिन विदेशों से उत्पन्न धोखा देने वाली काल होती हैं।
अभी भी इंप्रूवमेंट की जरूरत
केन्द्रीय मंत्री श्री सिंधिया ने ये भी स्वीकार किया कि कुछ धोखेबाज अभी भी सिस्टम को बायपास करने के तरीके ढूंढ सकते हैं।
सरकार ने नागरिकों से संचार साथी प्लेटफॉर्म पर चक्षु सुविधा के माध्यम से किसी भी संदिग्ध या धोखाधड़ी वाले संचार (कम्युनिकेशन) के दुरूपयोग जैसे की फर्जी फोन काल, फर्जी टेक्सट मेसेज आदि की रिपोर्ट करने का आग्रह किया।
इस प्रणाली की शुरूआत नागरिकों को साइबर धोखाधड़ी से बचाने के लिए DoT द्वारा किए गए उपायों की एक श्रृंखला का अनुसरण करती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि बड़ी संख्या में नकली अंतर्राष्ट्रीय कॉल कभी भी भारतीय उपयोगकर्ताओं तक न पहुंचें। (All Image Credit-Freepik)