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अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव, जानें किसकी है हवा और क्या है चुनावी मुद्दे ?

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US Presidential Election 2024: अमेरिका में आज राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग होनी है।

दुनिया का सबसे पुराना लोकतांत्रिक देश अपने 47वें राष्ट्रपति को चुनने के लिए वोट करेगा।

इस चुनाव में 50वें उपराष्ट्रपति का फैसला भी होना है।

राष्ट्रपति पद के लिए डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस के बीच सीधा मुकाबला है।

इसके अलावा भी कई उम्मीदवार मैदान में है।

244 मिलियन मतदाता चुनेंगे नया राष्ट्रपति

अमेरिका के राष्ट्रपति का पद दुनिया में सबसे शक्तिशाली माना जाता है।

उम्मीदवार और उनके समर्थक इसे अपने जीवन का सबसे महत्वपूर्ण चुनाव बता रहे हैं, जिसमें लोकतंत्र और अमेरिकी जीवनशैली दांव पर है।

अभियान विज्ञापनों और ग्राउंड गेम्स पर रिकॉर्ड मात्रा में धन जुटाया और खर्च किया गया है।

चुनावी विश्लेषक कहते हैं कि प्रिंट, टीवी, ऑनलाइन और पॉडकास्ट पर मीडिया कवरेज कभी भी इतना तीव्र या अधिक ध्रुवीकृत नहीं रहा है, जितना इस बार के चुनाव में दिखा।

प्रतिनिधि सभा की सभी 435 सीटों के साथ-साथ सीनेट की 100 सीटों में से 34 खाली हैं, जो मिलकर 119वीं कांग्रेस की सदस्यता तय करेंगी।

तेरह राज्य और क्षेत्रीय गवर्नरशिप और कई अन्य राज्य और स्थानीय चुनाव भी होंगे।

चुनाव में लगभग 244 मिलियन मतदाता (24.4 करोड़) नया राष्ट्रपति चुनने के लिए वोट डालेंगे।

राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार कौन-कौन हैं ?

1 – कमला हैरिस: डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार

वर्तमान उपराष्ट्रपति 60 वर्षीय कमला हैरिस ने जो बिडेन द्वारा अपनी पुन: चुनावी बोली समाप्त करने के बाद डेमोक्रेटिक पार्टी का नामांकन जीता है।

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Kamala Harris
Kamala Harris

वह पूर्व सीनेटर, कैलिफ़ोर्निया अटॉर्नी जनरल और सैन फ्रांसिस्को अभियोजक हैं और अमेरिका के 248 साल के इतिहास में राष्ट्रपति चुने जाने वाली पहली महिला और पहली अश्वेत महिला के रूप में इतिहास बनाने की कोशिश कर रही हैं।

2 – डोनाल्ड ट्रंपः रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार

रिपब्लिकन उम्मीदवार 78 वर्षीय डोनाल्ड ट्रंप लगातार तीसरी बार व्हाइट हाउस के लिए चुनाव लड़ रहे हैं।

व्यवसायी और रियलिटी टीवी स्टार अपने झूठे दावे को दोहराते रहते हैं कि डेमोक्रेट्स ने उनसे 2020 का चुनाव चुरा लिया है।

Donald Trump
Donald Trump

वह पहले राष्ट्रपति हैं जिन पर दो बार महाभियोग चलाया गया और किसी अपराध के लिए दोषी ठहराया गया।

ट्रंप इतिहास में सबसे उम्रदराज प्रमुख पार्टी उम्मीदवार भी हैं और दो हत्या के प्रयासों से बच गए हैं।

3 – चेज़ ओलिवर: लिबरटेरियन पार्टी के उम्मीदवार

39 वर्षीय चेज़ ओलिवर लिबरटेरियन पार्टी के उम्मीदवार हैं।

ओलिवर 2022 में जॉर्जिया राज्य सीनेट सीट के लिए लड़े और 2% वोट हासिल किए।

Chase Oliver
Chase Oliver

उनकी पार्टी, छोटी सरकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को प्राथमिकता देती है।

आमतौर पर राष्ट्रीय वोट का 3% या उससे कम हासिल करती है, लेकिन इसके सदस्य अभी भी स्विंग राज्यों में महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।

4 – जिल स्टीन: ग्रीन पार्टी की उम्मीदवार

जिल स्टीन 74 वर्षीय चिकित्सक है, जो 2016 में ग्रीन पार्टी के तहत चुनाव लड़ रही थीं, 2024 में फिर से वह चुनाव लड़ रही हैं।

Jill Stein
Jill Stein

उन्होंने डेमोक्रेट्स पर कामकाजी लोगों, युवाओं और जलवायु के लिए बार-बार अपने वादों को धोखा देने का आरोप लगाते हुए अपना वर्तमान अभियान शुरू किया।

5 कॉर्नेल वेस्ट: स्वतंत्र उम्मीदवार

71 वर्षीय कॉर्नेल वेस्ट एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं।

Cornel West
Cornel West

राजनीतिक कार्यकर्ता, दार्शनिक और शिक्षाविद अधिक प्रगतिशील, डेमोक्रेटिक-झुकाव वाले मतदाताओं को आकर्षित करने का प्रयास कर रहे हैं।

अमेरिका में कौन-कौन से चुनावी मुद्दे रहे हावी ?

1 – गर्भपात चुनावी मुद्दा 

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में गर्भपात बड़ा मुद्दा बन गया है, कमला हैरिस ने इसे जोरशोर से उठाया है।

कमला ने इस मुद्दे को डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ मानो ट्रंप कार्ड बना लिया है।

कमला हैरिस हर रैली में कह रही हैं कि ट्रंप राष्ट्रपति बनने पर गर्भपात प्रतिबंध पर हस्ताक्षर करेंगे।

रिपब्लिकन पार्टी के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार ने कहा था कि 9वें महीने में गर्भपात बिल्कुल ठीक है।

हालांकि, डोनाल्ड ट्रंप लगातार इस दावे को झूठा बता रहे हैं।

वह कई बार कह चुके हैं कि वो प्रतिबंध पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे।

2 – देश की अर्थव्यवस्था चुनावी मुद्दा 

अर्थव्यवस्था के मसले पर डोनाल्ड ट्रंप भारी पड़ते दिख रहे हैं।

वे कमला हैरिस को इस मुद्दे पर बड़ी आसानी से घेरते देखे गए।

अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर काफी हद तक समाप्त होने की कगार पर है।

इस सेक्टर में ज्यादातर कम पढ़े लिखे अमेरिकी काम किया करते थे।

अब इस सेक्टर पर संकट से अमेरिका में बेरोजगारी काफी हो गई है।

3 – इमिग्रेशन और हिंदू कार्ड 

डोनाल्ड ट्रंप रोजगार से ही जोड़ते हुए इमिग्रेशन को भी बड़ा मुद्दा बना रहे हैं।

वह आरोप लगा रहे हैं कि अमेरिका की आर्थिक कठिनाइयों के लिए अप्रवासी जिम्मेदार हैं।

ट्रंप ने तो यह तक कहा दिया कि अमेरिका में जो बाइडेन सरकार ने अपने कार्यकाल में अवैध प्रवासियों, आतंकवादियों और अपराधियों को देश में आने दिया।

इन लोगों ने इस देश के सिस्टम को नष्ट कर दिया है, वहीं कमला हैरिस इसे अमेरिका का वैल्यू सिस्टम बता रही हैं।

ट्रंप ने बांग्लादेश के हिंदुओं के पक्ष में बयान देकर और पीएम मोदी की कई बार तारीफ कर ये साबित किया कि वो भारतीयों के साथ हैं और उनके सच्चे मित्र हैं।

वहीं कमला हैरिस का भारत से नाता रहा है, हालांकि बांग्लादेश के हिंदुओं के मामले में उन्होंने कभी टिप्पणी नहीं की है।

4 – रूस-यूक्रेन और फिलिस्तीन-इजरायल युद्ध 

रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप युद्ध के एकदम खिलाफ हैं।

वो यूक्रेन को जारी मदद को एकदम बंद करना चाहते हैं।

वो तो यह तक कह चुके हैं कि अगर वो जीते तो यूक्रेन को कहेंगे कि रूस के हिसाब से समझौता करे या फिर खुद अपनी लड़ाई लड़े।

वहीं गाजा-इजरायल युद्ध में भी वो खुलकर इजरायल के पक्ष में हैं।

हालांकि, कमला हैरिस का कहना है कि वह चुनाव जीत कर यूक्रेन की मदद जारी रखेंगी।

इजरायल को वो भी मदद करने की बात तो कह रही हैं, लेकिन एकतरफा सपोर्ट जैसी बात नहीं दिख रही।

यही कारण है कि अमेरिका में रहने वाले मुस्लिम मतदाता कमला हैरिस के पक्ष में नजर आते हैं।

वहीं ट्रंप इनकी भरपाई यहूदी और हिंदू वोटरों के जरिए करना चाहते हैं।

साथ ही रूस-यूक्रेन युद्ध से पीछा छुड़ाकर गरीब और बेरोजगार अमेरिकियों को अपने पक्ष में करना चाह रहे हैं।

जाहिर इस मुद्दे पर दोनों को अलग-अलग तबके के वोट मिलेंगे।

5 – चीन और नाटो भी चुनावी मुद्दा 

चीन और नाटो को लेकर दोनों कैंडीडेट की अलग अलग राय है।

डोनाल्ड ट्रंप जहां चीन को दुश्मन नंबर वन मानते हैं।

वहीं कमला हैरिस रूस को दुश्मन नंबर वन मानती हैं।

ट्रंप कई बार कह चुके हैं कि वो चुनाव जीतकर चीन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे, इसमें टैरिफ बढ़ाना खास तौर पर शामिल है।

इसके साथ ही नाटो से अलग होने का भी ट्रंप पर कई लोग आरोप लगा रहे हैं।

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की पूरी प्रक्रिया

अमेरिका के आम चुनाव का काउंडडाउन शुरू हो गया है, पूरा अमेरिका राजनीतिक बहस और रैलियों से पटा है।

डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस में मुकाबला काफी कड़ा है।

कई सर्वों में सामने आया है कि मुकाबला कांटे का होने वाला है।

हर चार साल में होने वाले इस चुनाव की प्रक्रिया काफी जटिल है।

यहां तक की उम्मीदवार बनने के लिए भी चुनाव होता है, इसमें कई चरण शामिल होते हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव प्रक्रिया को कई प्रमुख चरणों में बांटा गया है।

जिसमें प्राइमरी और कॉकस, राष्ट्रीय सम्मेलन, आम चुनाव अभियान और इलेक्टोरल कॉलेज वोट शामिल है।

चुनाव के मुख्य बिंदु

  • अमेरिका राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया एक साल पहले ही शुरू हो जाती है।
  • इसमें दो मुख्य दल हैं एक डेमोक्रेटिक और एक रिपब्लिकन।
  • इन दोनों के उम्मीदवार ही चुनाव की शुरुआत करते हैं।
  • चुनाव में इन पार्टियों के उम्मीदवार ही पैसा जुटाने के लिए रैलियां करते हैं और एक दूसरे के सामने टीवी पर बहस भी करते हैं।

चुनाव का पहला चरण: जनवरी से जून तक प्राइमरी और कॉकस

  • सबसे पहले प्राइमरी और कॉकस ऐसे चरण हैं, जिसमें सभी 50 राज्यों, कोलंबिया और अमेरिकी क्षेत्रों में राष्ट्रपति उम्मीदवार चुनने का चुनाव होता है। दोनों का काफी महत्व है।
  • कॉकस में पार्टी के सदस्य ही वोटिंग के बाद अपना सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवार चुनते हैं। इसमें पसंदीदा उम्मीदवार के लिए पार्टी के सदस्यों की बैठक होती है। इसके बाद कॉकस उम्मीदवार चुना जाता है, जो दोनों डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी में होता है।
  • प्राइमरी चुनावों के दौरान पंजीकृत मतदाता अपने पसंदीदा उम्मीदवार के लिए मतदान करते हैं। चुनाव से 6 से 9 महीने पहले उम्मीदवार के लिए वोटिंग होती है। अधिकांश राज्यों में प्राइमरी चुनाव होता है।
  • आयोवा, न्यू हैम्पशायर, नेवादा और साउथ कैरोलिना के नतीजों पर सबसे ज्यादा फोकस होता है। इन क्षेत्रों के नतीजे आमतौर पर यह निर्धारित करते हैं कि प्रत्येक पार्टी के लिए अंतिम राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार कौन होगा।
  • प्राइमरी और कॉकस के बाद डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टियां अपने नेशनल कन्वेंशन जुलाई से अगस्त की बीच आयोजित करती हैं। आम चुनाव से पहले ये सम्मेलन पार्टियों के लिए काफी अहम होते हैं। इसमें भाषण, रैलियां और राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के लिए प्रत्येक पार्टी के उम्मीदवार का आधिकारिक घोषणा होती है।
  • 2024 में भी ऐसा ही हुआ और राष्ट्रीय सम्मेलन (नेशनल कन्वेंशन) से कुछ महीनों पहले ही जो बाइडन और डोनाल्ड ट्रंप को उम्मीदवार बनने के लिए पूर्ण समर्थन मिला था। हालांकि घोषणा से कुछ समय पहले सर्व में पिछड़ता देख और बहस के दौरान हल्के प्रदर्शन के बाद बाइडन की जगह डेमोक्रेटिक पार्टी ने कमला हैरिस को मैदान में उतार दिया।
  • नेशनल कन्वेंशन में ही राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार अपना उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुनता है, इसके बाद प्रचार की दौड़ शुरू हो जाती है।

सितंबर से अक्टूबर तक चलता है आम चुनाव अभियान

  • उम्मीदवारों के नामों की घोषणा के बाद आम चुनाव अभियान जोरों पर होता है।
  • इस चरण में पूरे देश में प्रचार अभियान तेज होता है, जिसमें उम्मीदवार रैलियों, बहसों, विज्ञापनों और सोशल मीडिया के माध्यम से अमेरिकी लोगों के सामने अपने मुद्दे रखते हैं।
  • सितंबर और अक्टूबर के बीच आयोजित होने वाली राष्ट्रपति पद की बहस अभियान एक महत्वपूर्ण क्षण होते हैं।
  • इस साल ट्रंप और कमला ने 10 सितंबर को एबीसी न्यूज पर राष्ट्रपति पद की बहस की थी।

वोटिंग प्रक्रिया 5 नवंबर से शुरू होकर 20 दिन चलेगी  

  • हर बार नवंबर के पहले सोमवार के बाद पहले मंगलवार को ही अमेरिका में चुनाव होते हैं, इस साल 5 नवंबर को चुनाव है।
  • इस दिन देशभर के मतदाता राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के लिए अपने वोट डालते हैं।
  • हालांकि, दूसरे लोकतांत्रिक देशों के विपरीत अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव सीधे लोकप्रिय वोट से नहीं होता है, इसमें इलेक्टोरल कॉलेज एक निर्णायक भूमिका निभाता है।
  • जब लोग अपना वोट डालते हैं, तो वास्तव में वो एक ऐसी टीम को वोट करते हैं, जिन्हें इलेक्टर (निर्वाचक) कहा जाता है।
  • राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ने वाले प्रत्येक उम्मीदवार के पास इलेक्टर का अपना ग्रुप होता है (जिसे स्लेट के रूप में जाना जाता है)।

इलेक्टोरल कॉलेज

अमेरिकी इलेक्टोरल कॉलेज अमेरिकी चुनाव प्रक्रिया का एक सबसे खास और कई बार विवादास्पद पहलू होता है।

इसमें प्रत्येक राज्य को कांग्रेस में उसके प्रतिनिधित्व के आधार पर एक निश्चित संख्या में निर्वाचक आवंटित होते हैं।

इसमें सीनेटरों की संख्या हमेशा दो और आबादी के अनुसार प्रतिनिधियों की संख्या शामिल होती है।

कुल 538 निर्वाचक होते हैं और चुनाव के बाद यही निर्वाचक राष्ट्रपति को चुनते हैं।

जिस उम्मीदवार को 270 इलेक्टोरल वोट मिलते हैं, वो जीता माना जाता है।

चुनाव के बाद दिसंबर में इलेक्टर अपने-अपने राज्यों में अपने इलेक्टोरल वोट डालने के लिए मिलते हैं।

फिर ये वोट कांग्रेस को भेजे जाते हैं, जहां जनवरी की शुरुआत में इनकी गिनती की जाती है।

जिस उम्मीदवार को इलेक्टोरल वोटों का बहुमत मिलता है, उसे आधिकारिक तौर पर 20 जनवरी को अमेरिका का अगला राष्ट्रपति घोषित किया जाता है।

वोटों की गिनती कब शुरू होगी?

अमेरिका में वोटिंग के बाद ही वोटों की गिनती शुरू हो जाएगी।

न्यूज चैनल्स अमेरिका के अलग-अलग राज्यों के विजेता का नाम जैसे जैसे काउंटिंग पूरी होगी बताते रहेंगे।

लेकिन, हर राज्य के वोट काउंट होने के बाद ही पूरी तस्वीर साफ होगी।

अंतिम निर्णय में कई दिन या सप्ताह भी लग सकते हैं।

यह इस बात पर निर्भर करता है कि वोटों की गिनती कितनी तेजी से की जाती है और क्या कोई कानूनी चुनौतियां भी आती है।

6 जनवरी 2025 को परिणाम की घोषणा

उपराष्ट्रपति कांग्रेस के संयुक्त सत्र में इलेक्टोरल कॉलेज वोटों की गिनती की अध्यक्षता करते हैं और परिणामों की घोषणा करते हैं।

अमेरिका के नए राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण समारोह 20 जनवरी को आयोजित होगा।

चुनाव के बाद कैसे चुना जाता है विजेता ?

इलेक्टर एक ‘इलेक्टोरल कॉलेज’ बनाते हैं, जिसमें कुल 538 सदस्य होते हैं।

‘इलेक्टर’ चुनने के साथ ही आम जनता के लिए चुनाव खत्म हो जाता है।

अंत में ‘इलेक्टोरल कॉलेज’ के सदस्य मतदान के जरिए अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं।

राष्ट्रपति बनने के लिए कम से कम 270 इलेक्टोरल मत जरूरी होते हैं।

अमेरिका में ‘विनर टेक्स ऑल’ यानी नंबर-1 पर रहने वाले को राज्य की सभी सीटें मिलने का नियम है।

चुनाव में किसका दबदबा अधिक ?

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले हर पल गेम बदल रहा है।

कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप में कांटे का मुकाबला है।

किसी सर्वे में कमला हैरिस बाजी मार जाती हैं तो किसी में डोनाल्ड ट्रंप।

इस बीच नए एग्जिट पोल ने चौंकाने वाला अनुमान दिखाया है।

अमेरिका में कुल 7 बैटल ग्राउंड स्टेट हैं, इनमें से 6 में डोनाल्ड ट्रंप का दबदबा दिख रहा है।

वहीं कमला हैरिस एक स्विंग स्टेट में बढ़त बनाए हुई दिख रही हैं।

ये अनुमान एटलस पोल्स के स्विंग स्टेट्स के सर्वे के हैं।

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