Notebandi: भारत विश्व की एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था है लेकिन इस विकास में भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है। इसी समस्या से निजात पाने के लिए भारत सरकार द्वारा नोट बंदी की गयी थी।
नोटबंदी क्या है? (What is demonetisation)
नोट बंदी को अर्थशास्त्र की भाषा में विमुद्रीकरण कहा जाता है। जब किसी देश की सरकार द्वारा बड़े नोट या सिक्कों को बाजार में प्रचलन से अमान्य कर दिया जाता है एवं इसके स्थान पर नए नोट एवं सिक्के जारी किये जाते हैं तो इस प्रक्रिया को नोटबंदी या विमुद्रीकरण कहा जाता है। जब देश में काला धन बढ़ जाता है तो नोटबंदी की जाती है।
8 Years Of Demonetisation
2016 की नोटबंदी का कारण और परिणाम (Causes and consequences of demonetization)
भारत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 8 नवम्बर 2016 को नोटबंदी की गयी थी। जिसमे 500 एवं 1000 के नोट बंद कर दिए गए थे।
नोट बंदी में सरकार द्वारा लोगों को पुराने नोट बदलने के लिए समय दिया जाता है जिसमे वे बैंक में जाकर अपने नोट बदल सकते है।
जिन लोगो के पास काला धन होता है वे पकडे जाने के डर से एक सीमा से अधिक नोट बैंक में बदलवाने नहीं जाते जिससे कि उनके पास जमा मुद्रा की कोई कीमत नहीं रह जाती, साथ ही यदि बाद में उनके पास पुराने नोट मिलते हैं तो उनके विरुद्ध क़ानूनी कार्यवाही की जाती है।
नोटबंदी में अपने काले धन को छिपाने के लिए लोगों ने अलग-अलग हथकंडे अपनाये जैसे- नोटों को जला देना, नाली में फेक देना या किसी अन्य व्यक्ति को पैसों का लालच देकर उसके खाते में पैसे ट्रान्सफर कर देना।
मोदी सरकार द्वारा 3-4 लाख करोड़ रूपये का काला धन ख़त्म होने की बात कही गयी है। लेकिन रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के अनुसार नोटबंदी में अमान्य हुई राशी का लगभग 99 प्रतिशत बेंकिंग प्रणाली में वापस आ गया है।
भारत में कब-कब नोटबंदी हुई: (When did demonetization happen in India)
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1946: 500 रुपये, 1,000 रुपये और 10,000 रुपये के नोटों का विमुद्रीकरण
12 जनवरी 1946 को ब्रिटिश सरकार और उस समय के आरबीआई गवर्नर चिंतामन द्वारकानाथ देशमुख ने 500 रुपये, 1,000 रुपये और 10,000 रुपये के नोटों को बंद करने का फैसला किया। इसका मुख्य उद्देश्य बढ़ते काले-बाज़ार कार्यों पर अंकुश लगाना था, जो द्वितीय विश्व युद्ध का परिणाम था।
उस समय, फ्रांस, ब्रिटेन, बेल्जियम आदि जैसे कई देशों ने ऐसे कदम उठाए थे, जिससे भारत भी इसका पालन करने के लिए प्रभावित हुआ। आरबीआई ने दो अध्यादेश जारी कर इस फैसले को लागू किया. हालाँकि, 1954 में, तब के सेंट्रल बैंक याने आज के रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने तीनों मूल्यवर्गों को फिर से शुरू किया।
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1978: 1,000 रुपये, 5,000 रुपये और 10,000 रुपये के नोटों का विमुद्रीकरण
1970 में, भारत सरकार ने काले धन के प्रसार का पता लगाने और रोकने के लिए वांचू समिति नामक एक प्रत्यक्ष कर जांच पैनल की स्थापना की। इसका नेतृत्व भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश कैलाश वांचू ने किया था।
कुछ साल बाद पीएम मोरारजी देसाई सरकार ने 1,000 रुपये, 5,000 रुपये और 10,000 रुपये के नोट बंद करने का आदेश जारी कर दिया. यह 16 जनवरी 1978 को 1978 के उच्च मूल्य बैंक नोट (विमुद्रीकरण) अध्यादेश के तहत लागू हुआ।
उस समय के वित्त मंत्री एचएम पटेल के अनुसार, इस उपाय से असामाजिक तत्वों से निपटने और अवैध लेनदेन को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। बाद में, नवंबर 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार द्वारा 1,000 रुपये के नोट को फिर से प्रचलन में लाया गया।
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2014: 2005 से पहले जारी किए गए सभी नोट वापस लिए गए
22 जनवरी 2014 को आरबीआई ने घोषणा की कि 2005 से पहले जारी किए गए सभी नोट प्रचलन से वापस ले लिए जाएंगे। व्यक्ति 1 अप्रैल 2014 से बैंकों में ऐसे नोटों का आदान-प्रदान कर सकेंगे, और यह सेवा अगली सूचना तक खुली रहेगी।
लोगों को ऐसे नोटों की पहचान करने में मदद करने के लिए, रिजर्व बैंक ने कहा कि उन मूल्यवर्गों के पिछले हिस्से पर छपाई का वर्ष नहीं लिखा है। अधिकारियों ने यह उपाय इसलिए किया क्योंकि 2005 से पहले के नोटों में उस वर्ष के बाद जारी किए गए नोटों की तुलना में बहुत कम सुरक्षा उपाय थे।
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2016: 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोटों का विमुद्रीकरण
8 नवंबर 2016 शायद भारत में सबसे ज्यादा याद की जाने वाली नोटबंदी की तारीख है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक टेलीविजन प्रसारण में घोषणा की थी कि 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोट रात्रि 12 बजे से वैध मुद्रा नहीं रहेंगे।
उन्होंने 500 रुपये और 2,000 रुपये के नये नोट जारी करने की भी घोषणा की. सूत्रों के अनुसार, इस कदम से काले धन पर अंकुश लगाने और आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए इस्तेमाल की जाने वाली नकली और अवैध नकदी को रोकने में मदद मिलेगी।
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2023: 2,000 रुपये के नोटों को प्रचलन से वापस लिया गया
19 मई 2023 को, RBI ने अपनी ‘स्वच्छ नोट’ नीति के एक भाग के रूप में 2,000 रुपये के नोटों को वापस लेने की घोषणा की। लोगों के पास बैंकों या नामित आरबीआई कार्यालयों में ऐसे नोटों को बदलने के लिए 30 सितंबर 2023 तक का समय था।
हालाँकि, रिजर्वे बैंक के अनुसार 2,000 रुपये के नोट उस तारीख के बाद भी वैध मुद्रा के रूप में बने रहेंगे।
नोटबंदी का अंतत: परिणाम The ultimate result of demonetisation
दरअसल नोट-बंदी के माध्यम से सरकारो द्वारा कई लाख करोड़ रूपये का काला धन ख़त्म होने की बात कही जाती है। लेकिन केंद्रीय बैंक के अनुसार नोटबंदी में अमान्य हुई राशी का लगभग बड़ा भाग बेंकिंग प्रणाली में लगभग वापस आ जाता है, और आज भी महंगाई और भ्रष्टाचार अपने चरम पर हैं ।
अतः मुद्रा के विमुद्रीकरण के लिए किये गए प्रयास निरर्थक हो जाते हैं और क्रमशः महंगाई अपनी चरम सीमा पर दिन ब दिन बढती जा रही हैं ।