Punishment For Adulterated Milk-Ghee: पिछले काफी समय से खाद्य पदार्थों में मिलावट की खबरें सामने आ रही है।
दूध, मसाले, घी और तेल के बाद तो तिरुपति बालाजी के प्रसाद में भी मिलावटी की खबर सामने आई थी, जिससे पूरा देश हैरान रह गया।
ऐसे में ये सवाल उठता है कि क्या भारत में मिलावटी सामान बेचना इतना आसान है और क्या इसके लिए कानून कोई सजा नहीं देता।
मिलावट के लिए है कड़े कानून
इसका जवाब है हां, भारत में मिलावटी सामान बेचने वालों के लिए कई कड़े नियम बनाए गए हैं। लेकिन आम लोगों को इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती।
इसी वजह से मिलावट खोर लोगों की नादानी का फायदा उठाते हैं और मिलावटी सामान बेचते हैं।
आइए जानते हैं भारत में मिलावट खोरों के लिए क्या कानून बनाया गया है…
क्या कहता है नियम
भारत में मिलावटखोरी और खाद्य सुरक्षा से संबंधित मामलों को देखने के लिए, फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट, 2006 (Food Safety and Standards Act, 2006) बनाया गया है।
इसके तहत बनाए गए फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) के नियमों का भी पालन किया जाता है।
फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट, 2006 को भारतीय खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता, स्वच्छता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लागू किया गया है।
इस कानून के तहत खाद्य पदार्थों में मिलावट को प्रतिबंधित किया गया है और अगर कोई व्यक्ति मिलावटी सामान बेचता पाया जाता है, तो उस पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई होती है।
क्या है मिलावट करने की सजा
फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट, 2006 के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति मिलावटी खाद्य पदार्थों का उत्पादन, बिक्री या वितरण करते पाया गया तो इसे गंभीर अपराध माना जाता है।
दोषी पाए जाने पर जुर्माना और सजा या फिर दोनों का प्रावधान है।
इतने साल की सजा और उम्रकैद
- जुर्माने की बात करें तो मिलावटी खाद्य पदार्थों को बनाने और बेचने पर 1 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
- अपराध के गंभीरता को देखते हुए, इस तरह के मामलों में 6 महीने से 7 साल तक की सजा भी हो सकती है।
- अगर मिलावटी सामान खाने से किसी की मौत हो जाती है तो मिलावटखोर को आजीवन कारावास या 10 साल तक की सजा हो सकती है।
धारा 272 और 273 के तहत भी है सजा
- फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट, 2006 के अलावा भारतीय दंड संहिता (IPC) में भी मिलावटखोरी से संबंधित अपराधों के लिए दंडात्मक प्रावधान हैं।
- खासतौर से धोखाधड़ी और आम जनता के जीवन को खतरे में डालने के मामले में।
- अगर कोई व्यक्ति मिलावटी खाद्य पदार्थों बेचता है, जिससे किसी की जान को खतरा ना हो तो यह धोखाधड़ी के अंतर्गत आता है।
- भारतीय दंड संहिता की धारा 272 और 273 के तहत इसमें, मिलावटी खाद्य पदार्थों को बेचने वाले को 6 महीने से 2 साल तक की सजा हो सकती है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
- अगर मिलावटी खाद्य पदार्थ से किसी की हालत गंभीर हो जाती है या कोई बीमारी फैल जाती है या जान पर बन आती है तो यह गंभीर अपराध माना जाता है।
- ऐसे मामलों में, मिलावटखोर व्यक्ति को 3 से 7 साल तक की सजा हो सकती है और उस पर भारी जुर्माना भी लगाया जा सकता है।