jyeshtha Month 2024: हिंदू पंचाग के तीसरे महीने को ज्येष्ठ/जेठ मास कहा जाता है जो इस साल 24 मई से शुरू हो रहा है और 22 जून तक रहेगा। इस महीने में भीषण गर्मी पड़ती है, जिसके कारण नदी-तालाब भी सूख जाते हैं। इसलिए इस महीने में जल दान का विशेष महत्व है। हिंदू धर्म में भी इस महीने को खास माना जाता है। धार्मिक मान्यतों के अनुसार इस महीने में सूर्य देव, वरुण देव और हनुमान जी की पूजा की जाती है क्योंकि सूर्य देव अग्नि के, वरुण जल के और हनुमान जी कलयुग के प्रमुख देवता माने जाते हैं।
ज्येष्ठ माह का महत्व- (राम जी और हनुमान जी की मुलाकात)
पौराणिक कथाओं के अनुसार ज्येष्ठ माह में ही हनुमान जी की मुलाकात भगवान श्रीराम से हुई थी, इसलिए इस महीने में मंगलवार का व्रत रखने से भक्तों को विशेष लाभ मिलता है।
विष्णु जी का प्रिय महीना
ज्येष्ठ माह को सभी माह में काफी खास माना जाता है। ज्येष्ठ माह के स्वामी मंगल है और मंगल ग्रह को ज्योतिष शास्त्र में साहस का प्रतीक माना गया है। ज्येष्ठ मास भगवान विष्णु का प्रिय महीना है। इस मास में भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है।
बड़ा मंगल की पूजा का महत्व
ज्येष्ठ में बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल के दिन व्रत रखकर हनुमान जी की पूजा करने का विधान है. जो विधि विधान से 4 बड़े मंगलवार का व्रत करता है और वीर बजरंगबली की पूजा करता है, उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
इस महीने करें भगवान त्रिविक्रम की पूजा
ज्येष्ठ माह में भगवान त्रिविक्रम की पूजा करने का विधान है जो लोग भगवान त्रिविक्रम की पूजा करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं और शत्रुओं पर जीत हासिल होती है। कहते हैं जो व्यक्ति ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को व्रत रखकर भगवान त्रिविक्रम की पूजा करता है, उसके अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य की प्राप्ति होती है।
कौन थे भगवान त्रिविक्रम
भगवान त्रिविक्रम श्रीहरि विष्णु के अवतार हैं। राक्षसराज बलि को मुक्ति प्रदान करने वाले भगवान विष्णु के वामन अवतार को त्रिविक्रम के नाम से जानते हैं. उन्होंने तीन पग में पूरी सृष्टि नाप दी थी, उन 3 पग के कारण उनको त्रिविक्रम कहा जाता है। भगवान त्रिविक्रम की पूजा करके आप अपने दुश्मनों पर विजय पा सकते हैं और सभी पापों से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं।
ज्येष्ठ माह में क्या करें?
1. ज्येष्ठ माह में दान-धर्म करने से व्यक्ति को विशेष पुण्य मिलता है।
2. ज्येष्ठ मास में सूर्योदय जल्दी होता है इसलिए इस महीने जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। इसके बाद उगते सूर्य को अर्घ्य दें।
3. ज्येष्ठ माह में जल का दान करना बड़ा ही पुण्य माना जाता है। इस वजह से ज्येष्ठ माह में राहगीरों को और जरुरतमंदों को पानी पिलाना चाहिए। उनके लिए प्याऊ की व्यवस्था करनी चाहिए।
4. पशु पक्षियों को भी पानी पिलाना चाहिए। घर की किसी भी खुली जगह या छत पर चिड़ियों के लिए दाना और पानी रखना चाहिए। गर्मी के कारण नदी-तालाब सूखने लगते हैं, जिसके चलते पक्षियों को पानी नहीं मिल पाता, इसलिए घर के बाहर या छत पर पक्षियों के लिए दाना-पानी जरूर रखें।
5. इस माह में जल की पूजा का महत्व है क्योंकि इस माह में गंगा दशहरा और निर्जला एकादशी दो बड़े व्रत एवं पर्व हैं। ये दोनों ही जल के महत्व को बताते हैं। गंगा दशहरा गंगा के अवतरण की महिमा का बखान करता है वहीं निर्जला एकादशी का व्रत सभी एकादशी व्रतों के बराबर पुण्य देती है।
6. ज्येष्ठ महीने में सूर्य अपने रौद्र रूप में होता है, जिसके चलते गर्मी बढ़ जाती है, साथ ही बढ़ जाता है पानी का महत्व। शास्त्रों में इस महीने में पानी के संरक्षण पर खास जोर दिया गया है।
ज्येष्ठ माह में क्या न करें?
1. ज्येष्ठ के महीने में घर के ज्येष्ठ यानी बड़े बेटे या बेटी का विवाह नहीं करना चाहिए। कहते है ऐसा करने से इसको करने से वैवाहिक जीवन सुखद नहीं होता।
2. ज्येष्ठ के महीने में बैंगन का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों कारण हैं। धार्मिक कारणों से इसे अशुद्ध माना जाता है और वैज्ञानिक पहलू यह है कि इस महीने में बैंगन में कीड़े पड़ जाते हैं।
3. ज्येष्ठ मास में मांस-मदिरा का सेवन भूलकर भी न करें।
4. ज्येष्ठ महीने में शरीर पर तेल नहीं लगाना चाहिए।
5. ज्येष्ठ में लहसुन, राई के अलावा मसालेदार खाना, मांस या गर्म तासीर वाली चीजें नहीं खाना चाहिए क्योंकि इस महीने में गर्मी ज्यादा होती है। ऐसे में ये भोजन आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
6. ज्येष्ठ माह में दोपहर के समय यात्रा करने से बचना चाहिए। क्योंकि तेज गर्मी के कारण बीमार पड़ने की आशंका रहती है।
7. ज्येष्ठ के महीने में दोपहर के समय सोने से बचना चाहिए। अन्यथा आप रोगों से ग्रसित हो सकते हैं।
8. कोशिश करें कि इस महीने में दिन में एक बार भोजन करें।
9. ज्येष्ठ माह में कभी किसी प्यासे व्यक्ति को बगैर पानी पिलाए नहीं भेजना चाहिए।
10. इस महीने में जल का सही इस्तेमाल करना चाहिए और बेकार में जल का व्यर्थ करने से बचना चाहिए।
ज्येष्ठ माह 2024 के प्रमुख व्रत और त्योहार-
24 मई: ज्येष्ठ माह प्रारंभ, ज्येष्ठ कृष्ण प्रतिपदा तिथि
26 मई: संकष्टी चतुर्थी
2 जून: अपरा एकादशी
3 जून: वैष्णव अपरा एकादशी
4 जून: भौम प्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्रि
6 जून: ज्येष्ठ अमावस्या, वट सावित्री व्रत, शनि जयंती, शनि जन्मोत्सव
10 जून: विनायक चतुर्थी
15 जून: मिथुन संक्रांति, महेश नवमी
16 जून: गंगा दशहरा
17 जून: गायत्री जयंती
18 जून: निर्जला एकादशी
19 जून: बुध प्रदोष व्रत
21 जून: ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत, वट पूर्णिमा व्रत
22 जून: ज्येष्ठ पूर्णिमा
ये भी पढ़ें-
Mohini Ekadashi 2024: श्रीराम ने भी किया था ये व्रत, जानें क्यों कहा जाता है इसे मोहिनी एकादशी