Tirumala Board Controversy: दो महीने पहले ही तिरुपति मंदिर उस वक्त विवादों में आ गया था, जब मंदिर के प्रसादम में मिलने वाले लड्डुओं में जानवरों की चर्बी वाले घी के इस्तेमाल की बात सामने आई थी।
इस खबर ने पूरे देश में हड़कंप मचा दिया था। हालांकि, इसके बाद शुद्ध घी के लड्डुओं का इस्तेमाल होने लगा लेकिन एक बार फिर तिरुपति मंदिर सुर्खियों में है।
दरअसल, मंदिर के ट्रस्ट TTD (तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम बोर्ड) ने गैर-हिन्दुओं को लेकर एक अनोखा फरमान जारी किया है, जिसे सुनकर सब हैरान हो गए है।
जानते हैं क्या है पूरा मामला…
VRS लो या ट्रांसफर कराओ
दरअसल, TTD (तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम बोर्ड) ने गैर-हिन्दुओं से कहा है कि वो VRS (इच्छा से रिटायरमेंट) ले ले या किसी दूसरे विभाग में ट्रांसफर करवा ले।
31 अक्टूबर को टीटीडी के अध्यक्ष बने नायडू ने कहा कि सिर्फ हिन्दुओं को ही मंदिर का काम देखना चाहिए।
54वीं TTD गवर्निंग काउंसिल की बैठक में अध्यक्ष बी आर नायडू ने कहा- जिस तरह मस्जिद में गैर मुस्लिम और चर्च में गैर ईसाई पर पाबंदी है, वैसे ही मंदिर में भी गैर हिंदू कर्मचारियों पर पाबंदी होनी चाहिए। इससे फ्रॉड सेक्युलरिज्म रुकेगा
ये आदेश सोमवार 18 नवंबर को जारी हुआ है।
अभी किसी को नहीं निकाला गया
इस आदेश के जारी होने के बाद भी अभी तक गैर हिंदू कर्मचारियों को नौकरी से निकाला नहीं गया है, उन्हें वॉलंटरी रिटायरमेंट स्कीम VRS यानी समय से पहले रिटायरमेंट लेने का विकल्प दिया गया है।
जो कर्मचारी VRS नहीं लेना चाहते, उन्हें प्रदेश के दूसरे सरकारी विभागों में ट्रांसफर कर दिया जाएगा।
300 कर्मचारी होंगे प्रभावित
TTD के इस फैसले से 7000 स्थाई कर्मचारियों में से करीब 300 कर्मचारी प्रभावित हो सकते हैं।
TTD में करीब 14 हजार कॉन्ट्रेक्ट कर्मचारी भी हैं, और कई कर्मचारी यूनियनों ने इस निर्णय का समर्थन किया है।
3 बार संशोधित हो चुका है TTD एक्ट
TTD एक्ट को अब तक तीन बार संशोधित किया गया है ताकि सिर्फ हिन्दुओं को टीटीडी बोर्ड और उससे जुड़े संस्थानों में नौकरी मिल सके.
1989 में सरकार ने आदे भी जारी किए, जिसमें टीटीडी पदों पर सिर्फ हिंदुओं को नियुक्त किया गया था।
लेकिन इन प्रावधानों के बाद भी गैर हिन्दुओं का मंदिर में काम करना जारी है।
क्या है TTD, कैसे होती है इसमें नियुक्ति
TTD, एक स्वतंत्र सरकारी ट्रस्ट है जो तिरुपति में तिरुमाला वेंकटेश्वर मंदिर की देखभाल करता है।
1933 में तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम बोर्ड को TTD एक्ट के तहत बनाया गया था।
इससे पहले मंदिर की जिम्मेदारी महंतों के पास थी। TTD एक्ट के बाद मंदिर का नियंत्रण सरकार के पास आ गया।
मंदिर में पुजारी की नियुक्ति से लेकर सभी कर्मचारियों की नियुक्ति सरकार के अधीन होती है।
TTD बोर्ड बालाजी मंदिर समेत 12 मंदिरों का मैनेजमेंट संभालता है। मौजूदा TTD बोर्ड में 1 चेयरमैन समेत कुल 26 सदस्य हैं।
TTD बोर्ड का हर दो साल में गठन किया जाता है। आखिरी बार 54वें TTD बोर्ड का गठन 2023 में किया गया।
इसमें तिरुपति के तत्कालीन विधायक और YSR कांग्रेस पार्टी के नेता बीके रेड्डी को चेयरमैन नियुक्त किया गया था। मगर उन्होंने इसी साल जून में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। अब बोर्ड के चेयरमैन बी आर नायडू हैं।
बता दें कि मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही हिन्दू कर्मचारियों की तरफ से कथित तौर पर गैर हिन्दुओं के काम करने की शिकायतें मिल रही थीं। जिसके बाद ये फैसला लिया गया है।