Arrest Warrant Against Adani: देश के मशहूर उद्योगपति गौतम अडानी नई मुसीबस में फंस गए हैं।
अडानी ग्रुप के चेयरमैन पर अरबों डॉलर की रिश्वत और धोखाधड़ी जैसा बड़ा आरोप लगा है।
अमेरिकी कोर्ट ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया है।
वहीं इस मामले में अडानी के भतीजे का नाम भी सामने आया है।
यह पूरा मामला अडानी ग्रुप की कंपनी अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड और एक अन्य फर्म से जुड़ा हुआ है।
आरोप है कि अडानी ग्रीन एनर्जी ने अमेरिकी निवेशकों और वैश्विक वित्तीय संस्थानों से फंड जुटाने के लिए भ्रामक जानकारियां दी है।
फिलहाल यह मामला भारतीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में है।
वहीं इन आरोपों पर अब तक कोई अडानी ग्रुप की ओर से आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है।
अमेरिकी कोर्ट में गौतम अडानी के खिलाफ सुनवाई
देश के अमीर उद्योगपतियों में शुमार गौतम अडानी सहित 8 लोगों पर अमेरिका में अरबों डॉलर की रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के आरोप लगे हैं।
अडानी पर अमेरिका में सोलर एनर्जी कॉन्ट्रैक्ट पाने के लिए 265 मिलियन डॉलर की रिश्वत देने और इसे छिपाने का आरोप है।
24 अक्टूबर 2024 को यह मामला दर्ज किया गया था, जिसकी सुनवाई 20 नवंबर को न्यूयॉर्क की फेडरल कोर्ट में हुई।
अडानी और उनके भतीजे सागर के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया गया है।
विनीत एस जैन, रंजीत गुप्ता, साइरिल कैबेनिस, सौरभ अग्रवाल, दीपक मल्होत्रा और रूपेश अग्रवाल का नाम भी इस मामले में शामिल है।
सागर और विनीत ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के अधिकारी हैं।
कहा जा रहा है कि अडानी ग्रुप ने सोलर एनर्जी कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को रिश्वत दी थी।
साथ ही रिश्वत के इन पैसों को जुटाने के लिए अमेरिकी, विदेशी निवेशकों और बैंकों से झूठ बोला है।
अधिकारियों को ये रिश्वत 2020 से 2024 के बीच दिए जाने का आरोप लगाया गया है।
प्रोजेक्ट में अमेरिका के इन्वेस्टर्स का पैसा लगा था और अमेरिकी कानून के तहत उस पैसे को रिश्वत के रूप में देना अपराध है।
अडानी ने रद्द किया 600 मिलियन डॉलर का बॉन्ड
अमेरिका में अडानी ग्रुप ने इन्वेस्टमेंट करने का ऐलान किया था, जिससे 15 हजार नौकरियां बढ़ने की उम्मीद जताई थी।
हालांकि, इस मामले में नाम आने के बाद अडानी ग्रुप ने 600 मिलियन डॉलर (5064 करोड़ रुपये) के इस बॉन्ड को रद्द कर दिया है।
अडानी ने ग्रीन एनर्जी में निवेश की घोषणा की थी और यह घोषणा तब की गई जब कंपनी के अध्यक्ष ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप को उनकी चुनावी जीत पर बधाई दी।
यहां गौर करने वाली बात ये है कि ट्रंप ने ऊर्जा कंपनियों के लिए नियमों को सरल बनाने का वादा किया है।
बता दें अडानी ने एक महीने पहले भी इसी तरह की पेशकश की थी।
हालांकि ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार मूल्य निर्धारण को लेकर निवेशकों के विरोध के बाद उस पेशकश को स्थगित करना पड़ा।
2 अरब डॉलर के मुनाफे से जुड़ा है पूरा मामला
अडानी ग्रीन एनर्जी ने कथित तौर पर 3 बिलियन डॉलर से अधिक (25,321 करोड़ रुपये) के लोन और बॉन्ड हासिल करने के लिए झूठे और भ्रामक बयान दिए।
ये आरोप विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम के अंतर्गत आते हैं, जो विदेशी व्यापार सौदों में रिश्वतखोरी के खिलाफ एक अमेरिकी कानून है।
अभियोग में कहा गया है कि अडानी और अन्य ने लगभग 265 मिलियन डॉलर (करीब 2,237 करोड़ रुपये) की रिश्वत दी।
यूनाइटेड स्टेट्स अटॉर्नी ऑफिस का कहना है इस कॉन्ट्रेक्ट के जरिए अडानी ग्रुप को 20 सालों में करीब 2 अरब डॉलर से ज्यादा का (करीब 16,882 करोड़ रुपये) मुनाफा होने की उम्मीद थी।
अभियोक्ताओं का दावा है कि इस योजना में शामिल कुछ लोगों ने गौतम अडानी को संदर्भित करने के लिए ‘न्यूमेरो यूनो’ और ‘द बिग मैन’ जैसे कोड नामों का इस्तेमाल किया।
पहले भी विवादों में रहा अडानी ग्रुप
यह पहली बार नहीं जब अडानी ग्रुप विवादों में रहा है।
हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने उनकी कंपनियों के कॉर्पोरेट गवर्नेंस और वित्तीय व्यवहार पर सवाल उठाए थे।
वहीं इस मामले के खुलासे के बाद भारतीय और वैश्विक निवेशक अडानी ग्रुप की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं।
बता दें अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के पास 20 गीगावाट से ज्यादा का क्लीन एनर्जी पोर्टफोलियो है।
जिसमें देश के दक्षिणी राज्य तमिलनाडु में दुनिया के सबसे बड़े सौर ऊर्जा संयंत्रों में से एक शामिल है।
अडानी ग्रुप ने 2030 तक इस सेक्टर में देश की सबसे बड़ी कंपनी बनने का लक्ष्य रखा है।
फिलहाल कंपनी का मार्केट कैप 1.85 लाख करोड़ रुपए है।