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मिसाल: दो महिलाओं ने किडनी डोनेट कर बचाई एक-दूसरे के पति की जान

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

2 Women Donated Kidney: एक कहावत है कि औरत ही औरत की दुश्मन होती हैं लेकिन इंदौर में दो महिलाओं ने इस बात को झुठला दिया है।

इन दो अपरिचित दो महिलाओं ने एक-दूसरे के पति की जान बचाने के लिए अपनी-अपनी किडनी डोनेट की और एक नई मिसाल पेश की हैं।

इस केस के साथ ही इंदौर में पहली बार इंटर हॉस्पिटल किडनी स्वैप ट्रांसप्लांट किया गया।

आइए जानते हैं क्या है ये पूरा मामला…

मैच नहीं हो रहा था पती-पत्नी का ब्लड ग्रुप

दरअसल, इन दोनों महिलाओं में से एक महिला पहले अपने पति को ही किडनी डोनेट करना चाहती थीं लेकिन मरीज का ब्लड ग्रुप पत्नी से मैच नहीं हुआ।

मरीज का ब्लड ग्रुप ए पॉजिटिव है, जबकि उनकी पत्नी का बी पॉजिटिव है।

वहीं एक दूसरे अस्पताल में 47 वर्षीय मरीज लंबे समय से बीमार था और उसकी दोनों किडनियां खराब हो चुकी थीं।

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मां भी बनना चाहती थी डोनर

दूसरे मरीज की मां भी किडनी डोनेट करना चाहती थी लेकिन उनकी उम्र ज्यादा होने की वजह से उन्हें डोनर नहीं बनाया जा सका।

इसी बीच दोनों अस्पताल के डॉक्टर्स को इन केसेस के बारे में पता चला और उन्होंने आपस में बातचीत की।

इसके बाद दोनों मरीजों के डोनर्स की किडनी चेक की गई जो आपस में परफैक्ट मैच हो रही थी।

इसलिए स्पेशल परमिशन लेकर दोनों डॉक्टर्स ने इंटर हॉस्पिटल किडनी स्वैप ट्रांसप्लांट का फैसला लिया।

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प्रदेश में पहली बार हुआ किडनी स्वैप ट्रांसप्लांट

डॉक्टरों का दावा है प्रदेश में पहली बार इंटर अस्पताल किडनी स्वैप ट्रांसप्लांट हुआ है।

डॉ. अग्रवाल ने बताया कि ट्रांसप्लांट के लिए सोटो (स्टेट आर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांट आर्गनाइजेशन) से मंजूरी लेनी होती है।

हमने रिपोर्ट और दस्तावेज सोटो के हेड डॉ. संजय दीक्षित के सामने प्रस्तुत किए। जांच करने के बाद हमें ट्रांसप्लांट की मंजूरी दी।

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इस शर्त के साथ मिली परमिशन

किडनी ट्रांसप्लांट की परमिशन इस शर्त के साथ मिली कि दोनों अस्पतालों में एक साथ एक ही समय पर ट्रांसप्लांट शुरू करने होंगे, ताकि बाद में किसी तरह की परेशानी या विवाद न हो।

ऐसे में दोनों हॉस्पिटल के डॉक्टर्स ने कोऑर्डिनेशन करते हुए एक ही समय पर सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट।

इस बात में कोई शक नहीं है कि दोनों महिलाओं ने किडनी देकर एक-दूसरे का सुहाग बचाया है लेकिन दोनों अस्पतालों के डॉक्टर्स भी शाबासी के हकदार हैं जिनकी पहल से ये अनोखा ट्रांसप्लांट हो सका।

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