Cyber Fraud Awareness: देशभर में साइबर अपराधियों ने ठगी का एक नया तरीका इजाद कर लिया है।
फर्जी गिरफ्तारी और परिवार के नाम पर लोगों को डराकर, ये साइबर ठग उनके खातों से पैसे ट्रांसफर करवाते है।
नकली पुलिस बनकर अकसर ये लोग आम लोगों को अपने जाल में फंसाकर ठगी की वारदात को अंजाम देते है।
वहीं कई बार तो ये ठग असली पुलिस को भी अपना निशाना बनाते हैं।
इंदौर में भी कुछ ऐसा ही हुआ, लेकिन यहां अपनी सतर्कता से पुलिसकर्मी ने खुद को बचा लिया।
हेड कांस्टेबल को डिजिटल अरेस्ट करने की कोशिश
डिजिटल अरेस्ट, इसे आप ठगी का नया तरीका कह सकते हैं।
जागरूकता के बाद भी कई सामान्य नागरिक इसका शिकार होने से नहीं बच पा रहें हैं।
इसमें ठग नकली पुलिस बनकर आपको फोन करते है और परिवार के नाम पर डराकर पैसे ऐंठ लेते है।
जब तक व्यक्ति कुछ समझ पाए कि उसके साथ क्या हुआ है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।
इंदौर शहर में एक ऐसा ही मामला सामने आया, लेकिन इस बार शिकार असली पुलिसकर्मी को बनाया गया।
परदेशीपुरा थाने में प्रधान आरक्षक जीतू सरदार को डिजिटल अरेस्ट करने की कोशिश की गई।
परिवार के नाम पर ठगी का जाल बिछाकर नकली पुलिस ने डराया।
लेकिन, अपनी सतर्कता से हेड कांस्टेबल ने खुद को ना सिर्फ बचाया बल्कि लोगों को भी जागरुक किया।
कॉल आया आपकी बेटी ड्रग्स मामले में अरेस्ट हुई है
हेड कांस्टेबल जीतू सरदार को एक अनजान नंबर से कॉल आया, डीपी के तौर पर एक पुलिस वाले की तस्वीर थी।
कॉल करने वाले ने उनकी बेटी के ड्रग्स मामले में पकड़े जाने की बात कही।
जीतू सरदार ने पूछा आप कहां से बोल रहे हैं, तो ठग ने कहा तुम्हारी बेटी कहां पढ़ाई करती है तुम्हें नहीं पता।
जब जीतू ने लखनऊ कहा, तो ठग बड़े गुस्से से बोला बेटी लखनऊ में है तो हम भी वहीं से बोल रहे है।
पहले तुम्हारी बेटी से बात करो फिर में बात करता हूं।
पुलिसकर्मी को इस दौरान फोन पर सिर्फ ठग ने रोने की आवाज सुनाई।
वहीं ठग इतने शातिर थे कि पीछे से पुलिस के सायरन की आवाज भी लगातार बजा रहे थे।
जब जीतू सरदार ने ठग से पूछा कि क्या करना है?
इस पर ठग ने कहा मीडिया वाले खड़े हैं रुको साहब से पूछ कर बताता हूं।
प्रधान आरक्षक ने वीडियो बनाया और सतर्क किया
ठग ने हेड कांस्टेबल से तुरंत 80 हजार रुपये खाते में डालने को कहा, ताकि मामला रफा-दफा किया जा सके।
हालांकि, जीतू सरदार ने केवल 20 हजार रुपये देने की बात कही।
बातचीत लंबी खिंचने के बाद ठग ने फोन काट दिया।
इस घटना के बाद जीतू ने सतर्कता दिखाते हुए वीडियो बनवाया और सभी को जागरूक किया।
बता दें इससे पहले इंदौर के थाना प्रभारी पंकज द्विवेदी और क्राइम ब्रांच के एडिशनल डीसीपी को भी ठग अपना शिकार बनाने की कोशिश कर चुके है।
पुलिस कमिश्नर संतोष सिंह ने इस मामले में स्पष्ट किया कि “डिजिटल अरेस्ट” जैसा कोई शब्द नहीं है।
यदि कोई आपको पुलिस या जांच एजेंसी के नाम पर फोन कर डराता-धमकाता है, तो समझ लें कि यह ठगी है।
उन्होंने लोगों से सतर्क रहने और ऐसे किसी भी फोन पर तुरंत पुलिस से संपर्क करने की सलाह दी है।
जागरूकता की साइबर फ्रॉड से बचने का उपाय
यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि जागरूकता ही ऐसे साइबर अपराधों से बचने का सबसे बड़ा हथियार है।
ऐसे मामले केवल इंदौर तक सीमित नहीं हैं।
इससे पहले भी कई राज्यों जैसे पंजाब, बिहार, राजस्थान और झारखंड में इसी तरह की ठगी की घटनाएं सामने आ चुकी हैं।
ठगों की शातिर चालों को रोकने के लिए पुलिस ने कई जागरूकता अभियान चलाए हैं और लोगों को सतर्क रहने का संदेश दिया है।
पुलिस ने लोगों से अपील करी कि किसी अनजान कॉल पर तुरंत भरोसा न करें।
पुलिस या जांच एजेंसी कभी भी फोन पर पैसे की मांग नहीं करती है।