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CIBIL Score New Rule: RBI ने CIBIL के लिए बनाए ये 6 नियम, जानें सब कुछ

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Ishwar Khatri
Ishwar Khatri
ईश्वर एक वैश्विक अर्थशास्त्री, इंटरनल ऑडिटर तथा अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग. बीमा, वित्तीय विश्लेषक हैं, वे भारत तथा मध्य-पूर्व (खाड़ी) देशो, यूरोप, एशिया-प्रशांत (APAC), अमेरिका स्थित बिजनेस कॉर्पोरेट हाउस और कंपनियों मे फायनेंस कन्ट्रोल, फायनेंस एनालिस्ट, इन्वेस्टमेंट प्लानिंग, आतंरिक अंकेक्षण, डिजिटल ट्रांसफोर्मेशन, एकाउंटिंग एंड फायनेंस के लिये इंटरप्राएसेस रिसौर्स प्लानिंग, EPM and SaaS कन्सल्टिंग जैसी सेवाओं को देने के लिये कुल 24 वर्षो का अनुभव रखते हैं |

RBI Strict Rules For CIBIL: अगर सिबिल स्कोर अच्छा है तो अब ऋण लेने वाले ग्राहकों को आसानी से लोन मिल जाएगा और इसे अच्छा बनाए रखने के लिए बैंकिंग ग्राहकों को  सिर्फ एक गलती करने से बचना होगा।

यह गलती भुगतान डिफ़ॉल्ट है. अब तक रिजर्व बैंक ने CIBIL पर कुल 6 नियम बनाए हैं, जिनका सीधा फायदा आपको होगा।

आइए जानते हैं इन 6 नियमों के बारे में और समझें कि ये आपको कैसे फायदा पहुंचाएंगे।

CIBIL Score New Rule: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सिबिल स्कोर (CIBIL Score) के लिए कुछ महीने पहले पांच नियम बनाए।

हाल ही में एक अतिरिक्त नियम जोड़ा गया है। आपके पास अच्छा सिबिल स्कोर है क्योंकि इससे आप आसानी से लोन पा सकते हैं।

आपका सिबिल स्कोर खराब हो सकता है अगर आप EMI को समय पर नहीं भुगतान करते हैं।

अब तक रिजर्व बैंक ने छह नियम बनाए हैं, जो ग्राहकों को सीधे फायदे देंगे। 1 जनवरी से सिबिल स्कोर पर नए नियम लागू हो गए हैं।

इन नियमों से लोन लेना आसान होगा और ग्राहक अपने क्रेडिट स्कोर को सुरक्षित रख सकेंगे।

जाने कि इन छह नियमों का आपके क्रेडिट स्कोर और लोन सुविधा पर क्या असर होगा।

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  1. CIBIL स्कोर अब 15 दिन में अपडेट होगा

1 जनवरी 2025 से RBI के नए नियम के अनुसार, ग्राहकों का क्रेडिट स्कोर अब हर 15 दिन में अपडेट किया जाएगा। रिजर्व बैंक ने बैंकों और वित्तीय संस्थानों को समय पर ग्राहकों का क्रेडिट स्कोर अपडेट करने का आदेश दिया है।

आरबीआई गवर्नर ने हाल ही में कहा कि क्रेडिट डेटा हर 15 दिन में अपडेट किया जाएगा।

यह ग्राहकों को अपने क्रेडिट स्कोर की वर्तमान स्थिति का समय पर पता चलाने और उनकी लोन योग्यताओं पर बेहतर नजर रखने में मदद करेगा।

अब ग्राहकों का CIBIL स्कोर हर महीने की 15 तारीख और महीने के अंत में अपडेट किया जा सकता है। ताकि हर 15 दिन में डेटा अपडेट किया जा सके,

क्रेडिट इंस्टीट्यूशंस (CI) और क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनियां (CIC) अपनी सहूलियत के अनुसार कोई अतिरिक्त तिथि निर्धारित कर सकते हैं।

नियम के अनुसार, क्रेडिट इंस्टीट्यूशंस को ग्राहकों के क्रेडिट स्कोर का अपडेट देने के लिए हर महीने CIC को भेजना अनिवार्य है।

2. ग्राहक को जानकारी देना अनिवार्य

केंद्रीय बैंक ने सभी क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनियों को निर्देश दिया है कि जब भी कोई बैंक या एनबीएफसी (NBFC) किसी ग्राहक की क्रेडिट रिपोर्ट देखता है, तो ग्राहक को इसकी जानकारी दी जानी चाहिए।

आप इस जानकारी को एसएमएस या ईमेल के माध्यम से भेज सकते हैं। वास्तव में, भारतीय रिजर्व बैंक ने क्रेडिट स्कोर को लेकर कई शिकायतों के कारण यह निर्णय लिया है।

3. रिक्वेस्ट को अस्वीकार करने का कारण बताना आवश्यक है

भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि अगर किसी ग्राहक की रिक्वेस्ट ठुकरा दी जाती है, तो उसे इसकी वजह बतानी चाहिए।

ग्राहक को इससे पता चलेगा कि उसकी रिक्वेस्ट क्यों अस्वीकार की गई है।

सभी क्रेडिट कंपनियों को ग्राहकों को रिजेक्शन की संभावित वजहों की सूची देना चाहिए ताकि उन्हें अपनी क्रेडिट स्थिति को सुधारने का अवसर मिल सके।

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4. ग्राहकों को साल में एक बार मुफ्त पूरी CIBIL रिपोर्ट दें

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नियमों के अनुसार, क्रेडिट कंपनियों को अपने ग्राहकों को हर साल एक बार पूरी क्रेडिट रिपोर्ट मुफ्त में देनी चाहिए।

इसके लिए, क्रेडिट कंपनियों को अपनी वेबसाइट पर एक लिंक देना होगा, जिससे ग्राहक आसानी से अपनी मुफ्त क्रेडिट रिपोर्ट देख सकें।

ग्राहकों को साल में एक बार अपना सिबिल स्कोर और पूरा क्रेडिट इतिहास मिलेगा।

5. डिफॉल्ट रिपोर्ट करने से पहले ग्राहक को सूचित करें

भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि ग्राहक को डिफॉल्ट (loan default) रिपोर्ट करने से पहले बताना चाहिए।

लोन देने वाले संगठनों को SMS या ई-मेल से पूरी जानकारी दें।

इसके अलावा, बैंकों और लोन देने वाली संस्थाओं में नोडल अधिकारी होना चाहिए। नोडल अफसर क्रेडिट स्कोर की समस्याओं को हल करेंगे।

6. 30 दिन में शिकायतों का समाधान हो

अगर क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनी 30 दिन के अंदर ग्राहकों की शिकायतों को हल नहीं करती है, तो उसे हर दिन 100 रुपये का जुर्माना देना होगा। यानी शिकायत की अवधि जितनी अधिक होगी, उतना अधिक जुर्माना चुकाना होगा।

लोन बांटने वाली संस्था को 21 दिन का वक्त मिलेगा, जबकि क्रेडिट ब्यूरो को 9 दिन का वक्त मिलेगा।

21 दिन में क्रेडिट ब्यूरो को नहीं बताया गया तो बैंक दंड देगा।

वहीं, अगर बैंक को सूचना देने के नौ दिन बाद भी शिकायत का समाधान नहीं हुआ, तो क्रेडिट ब्यूरो को दंड देना होगा।

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