MP School Education System: मध्यप्रदेश की शिक्षा प्रणाली पर सवाल उठे है।
एमपी में एजुकेशन सिस्टम को वर्ल्ड क्लास बनाए जाने के दावे खोखले साबित होते दिख रहे है।
विधानसभा के शीतकालीन सत्र में कांग्रेस विधायक के सवाल के जवाब में स्कूल शिक्षा मंत्री ने जो आंकड़े पेश किए, वो चौंकाने वाले है।
इन आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश के स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या में भारी गिरावट आई है।
हैरानी की बात ये है कि इनमें सिर्फ सरकारी स्कूल नहीं, बल्कि निजी स्कूल भी शामिल।
8 साल में 22 लाख छात्रों ने छोड़ी पढ़ाई
मध्यप्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा वर्ल्ड क्लास एजुकेशन उपलब्ध कराने के दावे सवालों के घेरे में हैं।
विधानसभा के शीतकालीन सत्र में कांग्रेस विधायक प्रताप ग्रेवाल के सवाल पर स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए।
8 सालों में राज्य के सरकारी और निजी स्कूलों से 22 लाख विद्यार्थियों ने पढ़ाई छोड़ी है।
इनमें 12 लाख विद्यार्थी सरकारी स्कूलों और 9 लाख 26 हजार विद्यार्थी निजी स्कूलों से कम हुए हैं।
यह स्थिति तब है जब राज्य की आबादी में वृद्धि हुई है।
वहीं प्रति छात्र सरकारी खर्च 16 हजार 672 रुपये से बढ़कर 34 हजार 631 रुपये हो गया है।
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वर्ल्ड क्लास एजुकेशन के दावे झूठे साबित
इस गिरावट का असर केवल सरकारी स्कूलों तक सीमित नहीं है, बल्कि निजी स्कूलों में भी बड़ी संख्या में छात्रों की कमी मिली है।
सरकारी स्कूलों से छात्रों के कम होने के पीछे बुनियादी सुविधाओं की कमी, शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल और स्कूलों का ढांचा प्रमुख कारण हो सकते हैं।
वहीं निजी स्कूलों में फीस बढ़ोतरी और शिक्षा प्रणाली में विश्वास की कमी के कारण अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने से हिचक रहे हैं।
शिक्षा विभाग का कहना है कि छात्रों को आधुनिक और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मुहैया कराने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं।
बावजूद इसके स्कूलों से छात्रों का इस तरह गायब होना सरकारी दावों को झूठा साबित कर रहा है।
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आबादी में इजाफा फिर भी छात्रों की संख्या में कमी
मध्यप्रदेश की आबादी में जहां लगातार इजाफा हो रहा है, लेकिन स्कूलों में छात्रों की संख्या में भारी गिरावट आई है।
प्रदेश में शिक्षा की यह स्थिति न केवल सरकार की योजनाओं की विफलता दिखाती है।
बल्कि, यह भी बताती है कि बच्चों के भविष्य को लेकर गंभीर कदम उठाने का समय आ गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए ज़मीनी स्तर पर ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
इसके तहत स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्चर का सुधार, शिक्षकों की गुणवत्ता में वृद्धि और अभिभावकों को शिक्षा के महत्व के प्रति जागरूक करना जरूरी है।
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