Omkareshwar Floating Solar Power Plant: देश की सबसे बड़ी फ्लोटिंग सोलर पावर परियोजना से प्रदूषण मुक्त बिजली का उत्पादन शुरू हो गया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट (Omkareshwar Floating Solar Power Plant) का वर्चुअली लोकार्पण किया है।
मध्य प्रदेश के ओंकारेश्वर जलाशय में स्थापित इस परियोजना में कुल 600 मेगावाट की क्षमता निर्धारित की गई है।
परियोजना के पहले चरण में 278 मेगावाट की हरित ऊर्जा का व्यावसायिक उत्पादन किया जा रहा है।
ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट दो चरणों में स्थापित
यह परियोजना देश की सबसे बड़ी फ्लोटिंग पीवी प्लांट और दुनिया के सबसे बड़े फ्लोटिंग सोलर इंस्टालेशन में से एक है।
ओंकारेश्वर जलाशय में 600 मेगावाट का ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट (Omkareshwar Floating Solar Power Plant) दो चरणों में स्थापित किया जा रहा है।
पहले चरण में यहां तीन कंपनियों द्वारा 278 मेगावाट प्रदूषण मुक्त बिजली का व्यावसायिक उत्पादन प्रारंभ कर दिया गया है।
पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व. श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की 100वीं जयंती के अवसर पर आज प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने खजुराहो में देश की पहली #ओंकारेश्वर में स्थापित फ्लोटिंग सौर परियोजना का लोकार्पण किया। #केन_बेतवा_लिंक_परियोजना #AtalJanmShatabdi #Khajuraho pic.twitter.com/8Q32ZBlkn2
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यह परियोजना केंद्र सरकार की अल्ट्रा मेगा रिन्यूएबल एनर्जी पावर पार्क (UMREPP) योजना के तहत बनाई गई है।
सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड के संयुक्त प्रयासों से इसे स्थापित किया गया है।
मध्य प्रदेश को मिलेगी सस्ती और प्रदूषण मुक्त ऊर्जा
ओंकारेश्वर बांध के बैकवाटर क्षेत्र में स्थापित इस फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट से मध्य प्रदेश को अब सस्ती और प्रदूषण मुक्त बिजली मिलनी शुरू हो गई है।
इस परियोजना में तीन कंपनिया NHDC, AMP Energy और SJVN मिलकर कुल 278 मेगावाट बिजली का उत्पादन कर रही हैं।
एनएचडीसी 88 मेगावाट, एएमपी एनर्जी 100 मेगावाट और एसजेवीएन 90 मेगावाट बिजली का उत्पादन कर रही है।
सौर ऊर्जा से कार्बन उत्सर्जन में 80% तक की कमी
सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन से कार्बन उत्सर्जन में भारी कमी आती है।
इस परियोजना से कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में लगभग 80% की कमी होने का अनुमान है।
वहीं यह कोयले से बिजली उत्पादन की तुलना में लगभग 20 गुना कम है।
हर किलोवाट घंटे में करीब 50 ग्राम कार्बन डाईऑक्साइड (सीओ-2) की बचत होती है।
कार्बन उत्सर्जन में इतनी कमी होती है कि यह 432 गैलन गैस के कार्बन उत्सर्जन के बराबर होती है।
यह कार्बन उत्सर्जन लगभग एक साल के लिए कार को सड़क से हटाने जैसा होता है।
इसके अलावा सौर पैनल के तीन साल के भीतर कार्बन तटस्थ होने का भी दावा किया जा रहा है।
एक साल में 204.58 एमयू बिजली का उत्पादन
ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट से पैदा होने वाली बिजली MPPGCL को बेची जा रही है।
इसके लिए बैकवाटर किनारे ग्राम सत्तापुर में 33 केवीए क्षमता का पावर सबस्टेशन और कंट्रोल रूम बनाया गया है।
यहां 100-100 मेगावाट क्षमता के चार ट्रांसफार्मर लगाए है, जो 33 केवीए को 220 केवीए में परिवर्तित कर यहां से मध्य प्रदेश ट्रांसमिशन कंपनी के छैगांवमाखन सबस्टेशन को बिजली की आपूर्ति कर रहा है।
इस परियोजना से एक साल में 204.58 मिलियन यूनिट (एमयू) बिजली का उत्पादन होगा।
ओंकारेश्वर बांध के बैकवाटर जलाशय में 207.4 हेक्टेयर क्षेत्र में सोलर पैनल लगाए गए है।
5000 गीगावाट गैर परंपरागत ऊर्जा उत्पादन लक्ष्य
प्रदूषण मुक्त बिजली उत्पादन के लिए फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट का बड़ा महत्व होता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2030 तक भारत में 5000 गीगावाट गैर-परंपरागत ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य तय किया है।
ओंकारेश्वर की यह परियोजना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।
देश की पहली #ओंकारेश्वर में स्थापित फ्लोटिंग सौर परियोजना बनकर तैयार है, जिसका आज लोकार्पण किया गया। यह परियोजना भारत को सशक्त बनाने की दिशा में एक अहम कदम है: डॉ. मोहन यादव, मुख्यमंत्री@PMOIndia @DrMohanYadav51 #केन_बेतवा_लिंक_परियोजना #AtalJanmShatabdi #Khajuraho pic.twitter.com/QTGnElgjFN
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अब इस परियोजना के द्वितीय चरण की योजना पर काम चल रहा है, जिसमें अतिरिक्त 322 मेगावाट क्षमता का विस्तार किया जाएगा।
इससे ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट को 600 मेगावाट तक पहुंचने में मदद मिलेगी।