Who Will Win Delhi: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मियां तेज हो गई हैं।
5 फरवरी को होने वाली वोटिंग में तीन प्रमुख पार्टियां आम आदमी पार्टी (AAP), भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस अपनी-अपनी किस्मत आजमाने उतरेंगी।
यह चुनाव दिल्ली की राजनीति में न केवल नए समीकरण तय करेगा, बल्कि यह भी स्पष्ट करेगा कि राजधानी की जनता किसे अपना अगला नेतृत्व सौंपेगी।
चुनावी नतीजे कुछ प्रमुख फैक्टर्स पर निर्भर करेंगे, जो इस राजनीतिक मुकाबले की दिशा तय करेंगे।
मुफ्त योजनाओं और विकास की होड़
पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार 18 जनवरी को ऐलान किया कि चुनाव जीतने के बाद किरायेदारों को भी फ्री बिजली और पानी मिलेगा।
दिल्ली में दिल्लीवासियों को फ्री में बिजली और पानी की योजनाएं पहले से लागू हैं।
अब AAP किरायेदारों को भी इस स्कीम में जोड़ेगी।
दिल्ली के किरायेदारों के लिए केजरीवाल जी की बड़ी सौगात🙌
🔷 अब दिल्ली में रहने वाले किरायेदारों को भी मिलेगी मुफ्त बिजली और पानी @ArvindKejriwal pic.twitter.com/Nto10ud78l
— AAP (@AamAadmiParty) January 18, 2025
इससे पहले शुक्रवार 17 जनवरी को भारतीय जनता पार्टी ने अपना संकल्प पत्र जारी किया, जिसमें महिलाओं और वृद्धों के लिए कई वादे किए गए।
वहीं कांग्रेस पाटी दिल्ली की जनता के लिए पहले ही पांच गारंटी दे चुकी है।
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अब दिल्ली का किंग कौन बनेगा यह तो जनता तय करेगी।
लेकिन, इसके अलावा 7 ऐसे बड़े फैक्टर है, जो दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत-हार का फैसला करेंगे।
आइए जानतें हैं इन फैक्टर्स के बारे में, जो AAP, BJP और कांग्रेस की किस्मत तय करेंगे।
1 – मुख्यमंत्री चेहरा: जनता का विश्वास किसके साथ?
चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा मुख्यमंत्री चेहरा है।
जहां आम आदमी पार्टी ने अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में अपनी स्थिति मजबूत की है।
वहीं बीजेपी ने अब तक अपने मुख्यमंत्री उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है।
इधर कांग्रेस भी चेहरा तय करने में पीछे है।
विशेषज्ञों का मानना है कि जनता का भरोसा एक प्रभावी और लोकप्रिय चेहरा ही जीत सकता है।
2 – दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा: बड़ा चुनावी मुद्दा
दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा न मिलने से विधानसभा के अधिकार सीमित हैं।
यह मुद्दा आम आदमी पार्टी बार-बार उठाती रही है।
अगर जनता ने केजरीवाल सरकार को दोबारा मौका दिया, तो यह संकेत होगा कि वे इस संघर्ष में उनका साथ देना चाहते हैं।
3 – वोट बैंक समीकरण: मुस्लिम वोट किसके साथ?
मुस्लिम वोट बैंक का रुझान नतीजों पर बड़ा असर डाल सकता है।
कांग्रेस और आम आदमी पार्टी, दोनों इस समुदाय को आकर्षित करने में लगी हैं।
हालांकि, AAP पर यह आरोप भी है कि उसने कई मौकों पर मुस्लिम समुदाय के मुद्दों पर स्पष्ट रुख नहीं लिया, जिससे कांग्रेस को इसका फायदा मिल सकता है।
4 – एंटी इनकंबेंसी: ‘आप’ सरकार के लिए चुनौती
सत्ता में रहते हुए किसी भी पार्टी को एंटी इनकंबेंसी का सामना करना पड़ता है।
आम आदमी पार्टी के खिलाफ वादों को पूरा न कर पाने के आरोप हैं, जैसे यमुना सफाई और दिल्ली को प्रदूषण मुक्त बनाने की योजना।
विपक्ष इस एंटी इनकंबेंसी को भुनाने की कोशिश करेगा।
5 – मुफ्त योजनाएं: जनता को कौन ज्यादा लुभाएगा?
फ्री बिजली, पानी, और महिलाओं के लिए मुफ्त बस सेवा जैसी योजनाएं AAP की पहचान बन गई हैं।
इस बार कांग्रेस और बीजेपी ने भी लुभावनी घोषणाओं के साथ मैदान में कदम रखा है।
ऐसे में यह देखना होगा कि जनता किसकी योजनाओं को तरजीह देती है।
6 – सरकार की छवि: भ्रष्टाचार बनाम विकास
AAP सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, जबकि पार्टी दावा करती है कि उसने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अभूतपूर्व काम किया है।
बीजेपी और कांग्रेस इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाने की कोशिश कर रही हैं।
7 – मजबूत संगठन: कौन-सा दल बेहतर तैयारी में है
चुनाव जीतने में संगठन की भूमिका निर्णायक होती है।
बीजेपी का संगठनात्मक ढांचा मजबूत माना जाता है, जबकि AAP ने पिछले चुनावों में अपनी रणनीति से साबित किया है कि वह भी इस मामले में पीछे नहीं है।
कांग्रेस की संगठनात्मक स्थिति कमजोर है, लेकिन वह इस बार बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर रही है।
जानें क्या होगा दिल्ली का भविष्य
साल 2020 में AAP ने 70 में से 62 सीटें जीतकर ऐतिहासिक प्रदर्शन किया था और दोबारा सत्ता में आई थी।
लेकिन, इस बार मुकाबला इतना आसान नहीं है, क्योंकि कांग्रेस इसे अपने अस्तित्व की लड़ाई मानकर लड़ रही है।
वो अलग बात है कि कांग्रेस और आप गठबंधन में रहकर भाजपा के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं।
हालांकि, इस बार बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच कड़ा मुकाबला है।
1998 के बाद से दिल्ली की सत्ता से बाहर बीजेपी के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा की लड़ाई है।
ऐसे में सवाल यह है कि क्या बीजेपी अपने खोए हुए किले को वापस जीत पाएगी?
क्या ‘आप’ सरकार का जादू बरकरार रहेगा?
बहरहाल अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता का फैसला किसे दिल्ली का सत्ता की कमान सौंपता है?
वहीं, 7 बड़े फैक्टर्स दिल्ली का मुखिया चुनने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।