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किसानों की जमीन पर कब्जे की बढ़ती घटनाएं, SDOP और मंत्री के हस्तक्षेप के बावजूद विवाद बरकरार

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Indore News: इंदौर | सांवेर तहसील के ग्राम जैतपुरा में किसानों की जमीन पर कब्जे और अवैध सौदेबाजी का मामला सामने आया है।

शिवनारायण भूतड़ा और विक्की रघुवंशी नामक व्यक्तियों द्वारा किसानों की जमीन को ओने-पौने दाम में खरीदने का दबाव बनाया जा रहा है।

आरोप है कि ये काम मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री तुलसीराम सिलावट के समर्थकों के संरक्षण में हो रहा है।

हालांकि, चौथा खंभा इस दावे की पुष्टि नहीं करता है।

दलालों के जरिए किसानों पर बनाया जा रहा दबाव

दलाल राकेश पोरवाल ने भूमि स्वामी सौदान सिंह और पप्पू ठाकुर को जबरदस्ती सांवेर पुलिस थाने ले गए।

जहां पर उन्हें दबाव में लेकर जबरन जमीन की रजिस्ट्री कराई जा रही थी।

पीड़ितों का आरोप है कि उन पर झूठे केस लगाने की धमकी दी जा रही है।

यहां तक कि लड़कियों से झूठी बलात्कार की शिकायत दर्ज कराने की कोशिश भी की गई।

किसानों को डराकर जमीन का सौदा करने पर मजबूर किया जा रहा है।

मंत्री समर्थकों पर किसानों को धमकाने और ज़मीन हड़पने के आरोप
मंत्री समर्थकों पर किसानों को धमकाने और ज़मीन हड़पने के आरोप

न्यायालय में मामला विचाराधीन, फिर भी राजस्व रिकॉर्ड में नाम दर्ज

जब इस मामले को लेकर स्थानीय किसानों और ग्रामीणों ने सांवेर थाने का घेराव किया, तो एसडीओपी सावेर बीच-बचाव करने पहुंचे।

इसी दौरान, मंत्री तुलसीराम सिलावट ने भी फोन पर समझौते की बात कही।

यह मामला अभी न्यायालय में विचाराधीन है।

बावजूद इसके अपर कलेक्टर पवन जैन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को नजरअंदाज कर राजस्व रिकॉर्ड में नाम दर्ज करवा दिया।

इतना ही नहीं, नगर तथा ग्राम निवेश विभाग (टीएनसीपी) ने विवादित जमीन का नक्शा पास कर दिया।

कलेक्टर से विकास की अनुमति भी मिल गई और यहां तक कि रेरा से भी हरी झंडी दे दी गई।

जबकि असली जमीन मालिकों का कहना है कि उन्होंने अपनी जमीन बेची ही नहीं।

प्रशासन पर उठ रहे सवाल, किसान कर रहे न्याय की मांग

इंदौर अब उत्तर प्रदेश और बिहार की राह पर चलता दिख रहा है।

किसानों की जमीन पर कब्जे के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।

किसानों को प्रभावशाली लोग और नेता पहले डराते धमकाते हैं।

फिर प्रशासनिक मिलीभगत से किसानों की जमीनों को हड़प लिया जाता है।

इस मामले में प्रशासन की भूमिका भी संदेह के घेरे में है।

यदि न्यायालय में मामला लंबित है, तो फिर जमीन के नक्शे पास करने और रिकॉर्ड में नाम दर्ज करने की प्रक्रिया कैसे पूरी हो गई?

सवाल यह भी है कि पुलिस और प्रशासन ने किसानों की शिकायत पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की?

फिलहाल, इस पूरे घटनाक्रम से प्रभावित किसान अब उच्च अधिकारियों और न्यायालय से न्याय की गुहार लगा रहे हैं।

किसानों का कहना है कि यदि उन्हें जल्द न्याय नहीं मिला, तो वे आंदोलन करने पर मजबूर हो जाएंगे।

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