Telangana Kancha Gachibowli Forest: आज से करीब 300 साल पहले 12 सितंबर, 1730 को राजस्थान के जोधपुर जिले के खेजड़ली गांव में एक आंदोलन हुआ था।
इस आंदोलन में अमृता देवी के नेतृत्व में 363 बिश्नोई महिला-पुरुषों और बच्चों ने पेड़ों को बचाने के लिए अपना बलिदान दिया था।
इस घटना को खेजड़ली नरसंहार के नाम से जाना जाता है और 20वीं सदी के चिपको आंदोलन का अग्रदूत भी माना जाता है।
इस बलिदान के कारण, राजा ने पेड़ों को काटने के आदेश को वापस ले लिया और उस क्षेत्र में वृक्ष कटाई और शिकार पर पूर्ण प्रतिबंध भी लगा दिया।
ऐसा लग रहा है कि इतिहास फिर खुद को दोहरा रहा है। क्योंकि तेलंगाना में एक जंगल को बचाने के लिए लोग सड़कों पर उतर आए हैं।
कांचा गचीबावली जंगल काटने का विरोध (Kancha Gachibowli forest)
तेलंगाना में 400 एकड़ में फैले कांचा गचीबावली जंगल को काटने को लेकर विवाद गहराता जा रहा है।
यह जंगल हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (यूओएच) के पास स्थित है।
सरकार इस जमीन को आईटी और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए इस्तेमाल करना चाहती है।
मगर छात्रों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह जंगल और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाएगा।
मामला अब कोर्ट तक पहुंच गया है और इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है।

ये है पूरा मामला (Save #KanchaGachibowli Forest)
हैदराबाद में सेंट्रल यूनिवर्सिटी के करीब तेलंगाना की रेवंत रेड्डी सरकार 400 एकड़ जमीन पर आईटी पार्क बनाने के लिए जंगल कटवा रही है।
ताकि इससे 5 हजार करोड़ का इन्वेस्टमेंट हो और रोजगार के अवसर पैदा हों।
लेकिन इस विकास के लिए सरकार जंगल में रहने वाले लाखों जीव-जंतुओं, जानवरों को बेघर कर रही है।
जंगल काटने से पूरे जानवर भयभीत हैं और इधर-उधर भाग रहे हैं।
जंगल में चारों तरफ जानवरों के चीख-पुकार सुनाई दे रही है।

जंगल को बचाने आए छात्र (Save Telangana Forest)
इस जंगल को बचाने के लिए हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के छात्र संगठन आगे आए हैं और सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं।
लेकिन सरकार ने छात्रों की आवाज दबाने के लिए उन पर लाठीचार्ज करवा दिया और 50 से ज्यादा छात्रों को हिरासत में ले लिया।
पुलिस छात्रों के साथ अमानवीय व्यवहार कर रही है। इसके बावजूद भी छात्र जंगल बचाने के लगातार डटे हुए हैं।
लेकिन सरकार रात को जंगलों में बुलडोजर चलवा रही है। जंगल एरिया में एंट्री पर रोक लगा दी गई है।
#KancheGachibowli
అవి సర్కారు భూములే అని తేలిందిఅయినా పోలీసుల మీదనే దాడి చేయడం విద్యార్థులకు భావ్యమేనా. .??
ఎవరి రాజకీయ యజ్ఞంలో మీరు సమిదలు కావొద్దు #HCU @TelanganaDGP @INCIndia
@oratorgreat
(Students tried to snatch the rope from the police) pic.twitter.com/rmsvM8306w— కోడి పుంజు (@Kodipunju786) April 3, 2025
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
मामला बढ़ता देख सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को हैदराबाद यूनिवर्सिटी के पास की जमीन पर किसी भी तरह की गतिविधि पर रोक लगा दी।
कोर्ट ने कहा- तेलंगाना सरकार को जमीन पर पेड़ों की सुरक्षा के अलावा कोई गतिविधि नहीं करनी चाहिए।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने राज्य में पेड़ों की कटाई को बहुत गंभीर बताया।
पीठ ने कहा- तेलंगाना हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार की रिपोर्ट इसकी खतरनाक तस्वीर दिखाती है।
रिपोर्ट से पता चलता है कि बड़ी संख्या में पेड़ काटे गए हैं।
Save forest #KancheGachibowli pic.twitter.com/J2i57USkv6
— khemraj darro (@khemkd) April 3, 2025
इसके अलावा पीठ ने तेलंगाना के मुख्य सचिव से यूनिवर्सिटी के पास की जमीन पर पेड़ काटकर काम शुरू करने की जल्दी पर जवाब मांगा है।
साथ ही पूछा है कि क्या राज्य ने इस तरह की गतिविधियों (पेड़ों की कटाई) के लिए पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव का असेसमेंट सार्टिफिकेट लिया है।
मामले में अगली सुनवाई 16 अप्रैल को होगी।
400 एकड़ एरिया में फैला है ग्रीनलैंड
हैदराबाद के बीच में करीब 400 एकड़ एरिया में कांचा जंगल स्थित है, जो एक ग्रीनलैंड हैं।
इसमें बहुत सारे पेड़-पौधे हैं, जो कई जीव-जंतुओं और चिड़ियों का आशियाना है।
कांचा जंगल को हैदराबाद का फेंफड़ा कहा जाता है।
आज JCB का उपयोग विकास से ज़्यादा विनाश में इस्तेमाल किया जा रहा है। #KanchaGachibowli pic.twitter.com/7ZBmY52vUj
— Ashwini Yadav (@iamAshwiniyadav) April 4, 2025
रात के अंधेरे में की जा रही थी कटाई
सैकड़ों एकड़ में फैले इस जंगल की कटाई रात के अंधेरे में चुपचाप हो रही थी।
कहा जा रहा है कि यहां पेड़ों की कटाई उस समय शुरू की गई, जब एक के बाद एक कई छुट्टियां थीं और हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं घर चले गए थे।
विश्वविद्यालय के पास ही यह हरा-भरा इलाका है और छात्र जंगल की कटाई का विरोध कर रहे थे।
I literally crying because I can’t see like that #gachibowli #KancheGachibowli https://t.co/7ly3azIuMa
— Hyderabadi bindass (@Hydbindass) April 3, 2025
छात्रों का विरोध
स्थानीय लोग, पर्यावरण एक्टिविस्ट और छात्रों ने कांचा जंगल की कटाई और विकास कार्यों को रोकने की मांग कर रहे हैं।
उनका कहना है कि इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया जाए, क्योंकि यह 455 से अधिक प्रजातियों का घर है।
हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्रों को जानकारी मिली कि यहां पर जंगल साफ कर विकास का काम शुरू किया जाएगा, तो उन्होंने इसका विरोध करना शुरू कर दिया।

बताया जा रहा है कि जंगल को काटकर यहां पर इमारतें बनाई जाएंगी।
विकास प्राधिकरण ने इस जंगल को काटने के लिए छुट्टियों का समय चुना।
जानवरों की चीखों से गूंजा जंगल
इस सारे मामले में जो चीज सबसे ज्यादा झकझोरने वाली है। वो हैं जंगल के मासूम जानवरों की चीखें।
दरअसल, जंगल की कटाई शुरू होने के बाद सोशल मीडिया पर घटनास्थल के कुछ वीडियोज और फोटोज वायरल हुए थे।
इन वीडियो में जानवरों और पक्षियों के रोने और चिल्लाने की आवाज बखूबी सुनाई दे रही हैं।
बेजुबानों को बेघर करने से पहले सोचना…
ईश्वर तुम्हे बेघर करेगा, तो कहां जाके रहोगे!!~ सेजल #KanchaGachibowli#Hyderabad
— Sejal_Voice (@SejalVoice) April 3, 2025
ये बेजुबान बोल तो नहीं सकते लेकिन इनकों चीखों से आप समझ सकते हैं कि कैसे ये अपने घर को और खुद को बचाने की गुहार लगा रहे हैं।
इस कटाई के दौरान कई जानवरों की जानें भी गई हैं।
गलतियों से नहीं लिया सबक
हाल ही में म्यामांर और अन्य देशों में आए भयानक भूकंप ने लोगों को झंझोड़ के रख दिया था।
लेकिन लगता है कि हम इंसान किसी भी तरह का सबक सीखने के लिए तैयार नहीं है।
दुनियाभर में विकास के नाम पर जिस तरह पहाड़ों, जंगलों और नदियों के साथ छेड़छाड़ की जा रही है।
वो जल्द ही किसी बड़ी आपदा को निमंत्रण देने वाला है और इसके गुनाहगार इंसान ही होंगे।