Ashadha Month: हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह चौथा महीना है, जो 12 जून से 10 जुलाई 2025 तक रहेगा।
यह महीना वर्षा ऋतु की शुरुआत का प्रतीक है और इसमें कई महत्वपूर्ण व्रत, त्योहार और धार्मिक अनुष्ठान होते हैं।
आषाढ़ माह में भगवान विष्णु, सूर्यदेव और गुरु की उपासना विशेष फलदायी मानी जाती है।
आषाढ़ माह का धार्मिक महत्व
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चातुर्मास का प्रारंभ: देवशयनी एकादशी से चातुर्मास शुरू होता है, जिसमें मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं।
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गुरु पूर्णिमा: इस माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है, जो गुरु के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का दिन है।
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जगन्नाथ रथ यात्रा: ओडिशा में भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है।
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देवशयनी एकादशी: इस दिन भगवान विष्णु चार महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं।
आषाढ़ माह में क्या करें और क्या न करें?
क्या करें?
- भगवान विष्णु और सूर्यदेव की पूजा: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
- जल दान: प्याऊ लगवाएं या पानी की बचत करें।
- तुलसी पूजन: तुलसी को जल चढ़ाएं और पीले कलावे से 108 गांठ बांधें (विवाह में आ रही बाधा दूर होगी)।
- सात्विक भोजन: चावल, दाल, हरी सब्जियां और मौसमी फल खाएं।
- व्रत रखें: एकादशी, प्रदोष व्रत और गुरु पूर्णिमा का उपवास करें।
आषाढ़ का महीना इच्छाओं की पूर्ति करने वाला माना जाता है लेकिन हर महीने की तरह इस माह के भी कुछ खास नियम है, जिनका पालन करना बेहद जरूरी है वरना व्यक्ति को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
क्या न करें?
1. मांगलिक कार्य न करें
इस महीने देवशयनी एकादशी से चतुर्मास शुरू हो जाते है। जिसमें भगवान विष्णु चार महीनों के लिए शयन करते हैं।
इस दौरान मांगलिक कार्य जैसे विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, जनेऊ संस्कार आदि करने की मनाही होती है।
क्योंकि इस दौरान कोई भी शुभ काम करने से वो सही से पूरा नहीं होता और जीवन मुश्किलों से घिर जाता है।
2. देर तक न सोए
आषाढ़ के महीने में देर तक सोने की मनाही है।
कहते हैं ऐसा करने से देवी लक्ष्मी रूठ जाती हैं और साधक को आर्थिक मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है।
3. बासी खाना न खाए
आषाढ़ के महीने से बारिश की शुरुआत हो जाती है, ऐसे में पानी में शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले जल-जीव पनपने लगते हैं। इसलिए खाने-पीन का खास ख्याल रखना चाहिए।
इस महीने बासी और तला भोजन नहीं करना चाहिए, वरना पेट संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
4. शराब का सेवन न करें
आषाढ़ में हरी पत्तेदार सब्जियां, बेल, मांस, मछली, शराब, बैंगन, मसूर की दाल और लहसुन-प्याज न खाएं।
शरीर को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ इससे व्रत और जप का फल भी नहीं मिलता है।
5. मन पर रखें संयम
आषाढ़ महीने में देव सो जाते हैं, ऐसे में बुरी शक्तियों का जोर रहता है, जो हमारे विचारों पर गहरा असर डालता है, इसलिए इस महीने वाणी पर संयम रखना चाहिए और ज्यादातर समय पूजा-पाठ में लगाना चाहिए, इससे बुरी शक्तियां आप पर हावी नहीं हो पाएंगी।
आषाढ़ माह 2025 के प्रमुख त्योहार और व्रत
| तिथि | त्योहार/व्रत | महत्व |
|---|---|---|
| 14 जून | कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी | गणेश पूजा |
| 15 जून | मिथुन संक्रांति | सूर्य पूजा |
| 21 जून | योगिनी एकादशी | विष्णु भक्ति |
| 24 जून | रोहिणी व्रत | जैन समुदाय |
| 25 जून | आषाढ़ अमावस्या | पितृ तर्पण |
| 27 जून | जगन्नाथ रथ यात्रा | ओडिशा में भव्य उत्सव |
| 6 जुलाई | देवशयनी एकादशी | चातुर्मास प्रारंभ |
| 10 जुलाई | गुरु पूर्णिमा | गुरु की पूजा |
जगन्नाथ रथ यात्रा (27 जून 2025)
जगन्नाथ रथ यात्रा ओडिशा के पुरी में आयोजित होने वाला विश्व प्रसिद्ध त्योहार है।
इस दिन भगवान जगन्नाथ (श्रीकृष्ण), बलभद्र और सुभद्रा रथ पर सवार होकर नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं।
मान्यता है कि रथ खींचने से सौभाग्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
गुप्त नवरात्रि (26 जून से शुरू)
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा के दस महाविद्याओं की गुप्त रूप से पूजा की जाती है।
तंत्र साधना और शक्ति उपासना के लिए यह समय अत्यंत शुभ माना जाता है।
इस दौरान विशेष मंत्र सिद्धि और साधना की जाती है।
अन्य महत्वपूर्ण तिथियां
-14 जून 2025: कृष्ण पिंगल संकष्टी चतुर्थी
– 15 जून 2025: मिथुन संक्रांति (सूर्य का मिथुन राशि में प्रवेश)
– 21 जून 2025: योगिनी एकादशी
– 23 जून 2025: प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि
– 25 जून 2025: आषाढ़ अमावस्या (पितृ तर्पण का शुभ समय)
– 28 जून 2025: विनायक चतुर्थी
आषाढ़ माह 2025 में धार्मिक अनुष्ठान, व्रत और त्योहारों का विशेष महत्व है।
इस दौरान भगवान विष्णु, सूर्यदेव और गुरु की आराधना करने से आशीर्वाद प्राप्त होता है।
जल दान, सात्विक जीवनशैली और पूजा-पाठ से इस माह को शुभ बनाया जा सकता है।


