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सांवलिया सेठ मंदिर: यहां मीराबाई के कृष्ण को चढ़ता है करोड़ों का चढ़ावा, जानें क्यों

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Sanwaliya Seth Mandir: हाल ही में राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के प्रसिद्ध कृष्ण धाम सांवलिया सेठ मंदिर में करोड़ों का चढ़ावा चढ़ा, जिसमें करीब 17 करोड़ नगद के साथ 15 सोने के बिस्किट मिले।

मंदिर का खजाना यानी डोनेशन बॉक्स हर महीने खोला जाता है, जिसमें अक्सर करोड़ों रुपये और सोने-चांदी के आभूषण निकलते हैं। इस बार भी जब 5 जून को मंदिर का भंडारा खोला गया तो उसमें कैश, सोने-चांदी के जेवर समेत सोने के बिस्किट भी मिले। यह राशि 4 राउंड की काउंटिंग में सामने आई है।

shri Sanwaliya Seth Temple
shri Sanwaliya Seth Temple

ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर इस मंदिर में ऐसी क्या खास बात है जो यहां इतना चढ़ावा चढ़ता है। इसके पीछे भी एक कारण है जिसके बारे में हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे।

कहां है मंदिर
सांवलिया सेठ मंदिर चित्तौड़गढ़ सॆ उदयपुर की ओर राष्ट्रीय राजमार्ग पर 28 किमी दूरी पर भादसोड़ा ग्राम में स्थित है। यह मंदिर चित्तौड़गढ़ रेलवे स्टेशन से 41 किमी एवं डबोक एयरपोर्ट से 65 किमी की दूरी पर है। ये मंदिर कृष्ण धाम के रूप में चर्चित है।

Sanwaliya Seth Temple
Sanwaliya Seth Temple

लोग मानते हैं भगवान को बिजनेस पार्टनर
सांवलिया सेठ मंदिर को लेकर भक्तों के मन में ये विश्वास है कि वो उनके बिजनेस पार्टनर हैं। सैलरी से लेकर बिजनेस तक में भक्त उन्हें अपना हिस्सेदार बनाते हैं।

मान्यता है कि जो भक्त खजाने में जितना दान देगा, सांवलिया सेठ उससे कई गुना ज्यादा भक्तों को वापस लौटाते हैं। इसलिए लोग अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए सांवलिया सेठ को अपना बिजनेस पार्टनर बनाते हैं।

Sanwaliya Seth Temple
Sanwaliya Seth Temple

मीराबाई के गिरधर हैं सांवलिया सेठ
मान्यता है कि भगवान श्री सावलिया सेठ का संबंध मीरा बाई से है। किवदंतियों के अनुसार सांवलिया सेठ मीरा बाई के वही गिरधर गोपाल है, जिनकी वह पूजा किया करती थी।

औरंगजेब की सेना से छिपाया, दोबारा ऐसे हुए प्रकट
कहा जाता है की जब औरंगजेब की सेना मंदिरों में तोड़-फोड़ कर रही थी तब मुगलों के हाथ लगने से पहले ही संत दयाराम ने प्रभु-प्रेरणा से इन मूर्तियों को बागुंड-भादसौड़ा की छापर में एक वट-वृक्ष के नीचे गड्ढा खोदकर छिपा दिया।

Sanwaliya Seth Temple
Sanwaliya Seth Temple

कालान्तर में 1840 में मंडफिया गांव के भोलाराम गुर्जर नामक ग्वाले को सपना आया की भादसोड़ा-बागूंड गांव की सीमा के छापर में भगवान की तीन मूर्तिया जमीन मे दबी हुई हैं।

जब उस जगह पर खुदाई की गयी तो सपना सही निकला और वहां से एक जैसी तीन मूर्तिया प्रकट हुईं। बाद में यहां सांवलिया सेठ का मंदिर बना।

देश भर से आते हैं लोग
इस मंदिर में देश भर से लोग आते हैं खासकर उत्तर-पश्चिमी भारत के राज्य जैसे मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली और उत्तर प्रदेश से हर साल लाखों की संख्या में भक्तगढ़ आते हैं।

Sanwaliya Seth Temple
Sanwaliya Seth Temple

इन खास मौकों पर भी खोला जाता है दान पात्र
श्री सांवलिया जी मंदिर का दानपात्र महीने में एक बार खोला जाता है। यह चतुर्दशी को खुलता है और इसके बाद अमावस्या का मेला शुरू होता है।
होली पर यह डेढ़ माह में और दीपावली पर दो माह में खोला जाता है।

विदेशी भक्त भी चढ़ाते हैं चढ़ावा
सांवलिया सेठ मंदिर में कई NRI भक्त भी आते हैं। इसलिए भंडारे से डॉलर, अमरीकी डॉलर, पाउंड, दिनार, रियॉल के अलावा कई देशों की मुद्राएं भी निकलती हैं।

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