Cartoonist Hemant Malviya; इंदौर के कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय को सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है।
मालवीय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर एक विवादित कार्टून बनाया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भड़काऊ और अपरिपक्व बताया है।
कोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका पर तुरंत राहत देने से इनकार कर दिया, लेकिन उन्हें माफी मांगने के लिए मंगलवार (16 जुलाई) तक का समय दिया है।
कार्टूनिस्ट ने क्या बनाया था?
हेमंत मालवीय ने मई 2025 में एक कार्टून बनाया था, जिसमें RSS की वर्दी पहने एक व्यक्ति को प्रधानमंत्री मोदी के कार्टून के सामने झुकते हुए दिखाया गया था।
इस कार्टून में पीएम मोदी को स्टेथोस्कोप पहने और इंजेक्शन लिए हुए दिखाया गया था, जबकि RSS के स्वयंसेवक का निचला हिस्सा बिना कपड़ों के दिखाया गया था।
इस कार्टून को आपत्तिजनक और अशोभनीय माना गया।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अरविंद कुमार की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि—
- “यह कार्टून भड़काऊ है और इसमें परिपक्वता की कमी है।”
- “50 साल की उम्र के बावजूद, कार्टूनिस्ट में परिपक्वता नहीं दिखी।”
- “अगर यह कार्टून आपत्तिजनक है, तो इसे बनाने वाले को जवाब देना होगा।”
मालवीय की वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि उनके मुवक्किल ने विवादित पोस्ट हटा दी है और वे अदालत में माफीनामा पेश करने को तैयार हैं।
लेकिन कोर्ट ने कहा कि मामले पर मंगलवार को फिर सुनवाई होगी।
हाईकोर्ट ने भी जमानत याचिका खारिज की थी
इससे पहले, इंदौर हाईकोर्ट ने भी हेमंत मालवीय की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि—
- “कार्टूनिस्ट ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग किया है।”
- “उन्हें अपनी सीमाएं समझनी चाहिए थीं।”
- “ऐसी सामग्री समाज में तनाव पैदा कर सकती है।”
क्या हैं आरोप?
हेमंत मालवीय पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) और आईटी एक्ट के तहत कई धाराएं लगाई गई हैं, जिनमें शामिल हैं—
- धारा 196 (विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य बढ़ाना)
- धारा 299 (धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान)
- धारा 302 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का इरादा)
- धारा 352 (शांति भंग करने के इरादे से अपमान)
- धारा 353 (शरारत)
- आईटी एक्ट की धारा 67A (अश्लील सामग्री का प्रसार)

क्या होगा आगे?
अब मामले की अगली सुनवाई मंगलवार (16 जुलाई) को होगी।
अगर हेमंत मालवीय माफी मांगते हैं और कोर्ट उसे स्वीकार कर लेती है, तो उन्हें राहत मिल सकती है।
वरना, पुलिस उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है और उन्हें गिरफ्तार भी किया जा सकता है।
यह मामला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और उसकी सीमाओं पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है।
कोर्ट का मानना है कि व्यंग्य और कार्टून बनाने की आजादी हो, लेकिन उसमें समाज की भावनाओं का ध्यान रखना जरूरी है।
अब देखना होगा कि हेमंत मालवीय कोर्ट के सामने माफी मांगते हैं या फिर कानूनी लड़ाई जारी रखते हैं।