Homeन्यूजअमरवाड़ा में साख बचा पाएंगे कमलनाथ या पहली बार खिलेगा कमल?

अमरवाड़ा में साख बचा पाएंगे कमलनाथ या पहली बार खिलेगा कमल?

और पढ़ें

Rashid Ahmed
Rashid Ahmed
राशिद अहमद खान को पत्रकारिता का 16 वर्ष का अनुभव है। आप दैनिक भास्कर डिजिटल, इंडिया टीवी, न्यूज एक्सप्रेस, बंसल न्यूज, ईटीवी, आकाशवाणी-दूरदर्शन सहित विभिन्न टीवी, रेडियो और डिजिटल मीडिया संस्थानों में सेवाएं दे चुके हैं। मध्य प्रदेश शासन की सोशल मीडिया टीम को लीड कर चुके हैं।

अमरवाड़ा में आरपार!

साख बचा पाएंगे कमलनाथ?

या पहली बार खिलेगा कमल?

गोंगपा बिगाड़ेगी किसका खेल?

प्रदेश में भले ही भाजपा और कांग्रेस के बीच ही सीधा मुकाबला होता है, लेकिन अमरवाड़ा में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी चुनाव में पूरी तरह से खेल बिगाड़ने का काम करती है।

महकौशल की यह ऐसी सीट है, जहां पर गोंगपा की वजह से अब तक भाजपा को जीत नसीब नहीं हो सकी है।

कई बार तो यह स्थिति रही है कि गोंगपा से कांग्रेस को जीत के लिए मुकाबला करना पड़ा है।

तीन बार से कमलेश शाह कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी रहे लेकिन वे अब भाजपा से चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में, कांग्रेस के सामने प्रत्याशी चयन की भी बड़ी चुनौती है।

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद से छिंदवाड़ा से दूर हैं। हालांकि नकुलनाथ ने अमरवाड़ा की चुनौती कबूल की है।

आंकड़ों के जरिये देखते हैं कैसे गोंडवाना गणतंत्र पार्टी इस बार कांग्रेस का खेल बिगाड़ रही है।

अमरवाड़ा में गोंगपा का दम –

  • अगर छह माह पहले हुए विधानसभा चुनाव की बात करें तो 2023 में गोंगपा के देव रावेन भलावी ने 18 हजार 231 वोट लेकर भाजपा को नुकसान पहुंचाया था।
  • इसी तरह 2018 के चुनाव में वे 61 हजार 269 वोट लेकर दूसरे स्थान पर आए थे।
  • 2008 के चुनाव में मनमोहन शाह बट्टी 36 हजार 288 वोट लेकर दूसरे स्थान पर रहे था।
  • 2013 में भी बट्टी ने 46 हजार 165 मत प्राप्त किए थे।

इसी तरह से लोकसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बाद सबसे ज्यादा 55 हजार 988 वोट देव रावेन को मिले हैं जिसमें भी 23 हजार 36 वोट अमरवाड़ा विधानसभा में मिले हैं।

यदि अमरवाड़ा में गोंगपा को मिले वोट और कांग्रेस को मिले वोटों को जोड़ दें तो ये 1 लाख 1 हजार 509 होते हैं, जो भाजपा को मिले वोट से लगभग 8 हजार ज्यादा है।

इसका सीधा-सीधा मतलब है कि यहां गोंगपा लड़ाई में न होती तो अमरवाड़ा सीट पर भाजपा को लीड मिलना मुश्किल हो जाती।

ऐसे में कांग्रेस इस सीट को हर हाल में जीतना चाहती है। खुद नाथ परिवार ने इसे अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया है।

अब तक कांग्रेस की जीत में गोंगपा की बड़ी भूमिका रही है लेकिन अब लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद समीकरण बदले हैं।

और कांग्रेस के लिए यहां से विधानसभा चुनाव जीतना भी मुश्किल ही नजर आ रहा है।

- Advertisement -spot_img