MP Election Vote Theft: दिल्ली के बाद अब मध्य प्रदेश में भी चुनावी धांधली का मुद्दा गरमा गया है।
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं के आरोप सामने आए हैं।
कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने चुनाव आयोग (ECI) पर मतदाता डेटा छिपाने और BJP को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया है।
उन्होंने कहा कि पिछले 7 महीनों में मतदाताओं की संख्या में असामान्य बढ़ोतरी हुई है, जिसमें पारदर्शिता की कमी देखी गई है।
MP में 2 महीने में 16 लाख से ज्यादा नकली वोटर
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने आज भोपाल में एक बड़ा खुलासा करते हुए दावा किया कि मध्य प्रदेश में सिर्फ 2 महीने में 16 लाख से ज्यादा नकली वोटर बनाए गए और 2023 के विधानसभा चुनाव में 27 सीटों पर वोट चोरी हुई।
उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि बीजेपी को फायदा पहुंचाने के लिए मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई।

सिंघार ने 27 विधानसभा सीटों की सूची जारी की, जहां कांग्रेस के उम्मीदवार कम वोटों से हारे, लेकिन उन क्षेत्रों में मतदाताओं की संख्या में अचानक बड़ी वृद्धि देखी गई।
उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने भी इन गड़बड़ियों को नजरअंदाज किया।
सिंघार ने X (ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा – “राहुल गांधी जी के ‘वोट चोरी’ के खुलासे के बाद अब MP में भी सच सामने आ रहा है। यह सिर्फ आंकड़े नहीं, लोकतंत्र के लिए जंग है!”
राहुल गांधी जी द्वारा “वोट चोरी” के खुलासे ने देश को झकझोर दिया है। मध्यप्रदेश भी इस सुनियोजित चुनावी षड्यंत्र का बड़ा शिकार है।
आज भोपाल में प्रेस वार्ता के माध्यम से ‘वोट चोरी’ को लेकर जनता के सामने कई महत्वपूर्ण साक्ष्य प्रस्तुत किए और एक बड़ा खुलासा किया। पीपीटी के माध्यम से… pic.twitter.com/5Bp4HNHiq6
— Umang Singhar (@UmangSinghar) August 19, 2025
कांग्रेस ने पेश किए ये सबूत
- मतदाता सूची में लाखों डुप्लीकेट नाम
- कुछ इलाकों में असामान्य रूप से वोटर बढ़ना
- नाम हटाने के रिकॉर्ड छिपाए गए
- चुनाव आयोग के नियमों का उल्लंघन
मतदाता सूची में अचानक उछाल
सिंघार ने डेटा के हवाले से बताया कि:
- 05 जनवरी से 02 अगस्त (7 महीने) तक मतदाताओं की संख्या में केवल 4.64 लाख की वृद्धि हुई।
- लेकिन 02 अगस्त से 04 अक्टूबर (मात्र 2 महीने) में 16.05 लाख नए मतदाता जोड़े गए, यानी हर दिन लगभग 26,000 मतदाता बढ़े।
इस तेजी से बढ़ोतरी पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस ने पूछा है कि आखिर ये नए मतदाता अचानक कहां से आ गए?
ECI का विवादास्पद आदेश: डेटा छिपाने का आरोप
9 जून 2023 को भारत निर्वाचन आयोग ने छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, मिजोरम, राजस्थान और तेलंगाना के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEOs) को निर्देश दिया था कि 1 जनवरी से 30 जून 2023 तक जितने भी मतदाता जोड़े गए या सूची में बदलाव किए गए, उन्हें न तो वेबसाइट पर दिखाया जाए और न ही किसी के साथ साझा किया जाए।
बाद में यह आदेश पूरे देश में लागू कर दिया गया।
कांग्रेस का आरोप है कि इस आदेश का मकसद मतदाता सूची में हुए फर्जीवाड़े को छिपाना था।
मध्य प्रदेश में 8.5 लाख ‘नकली’ मतदाताओं का मामला
2 दिसंबर 2022 को मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग ने एक आदेश जारी कर 8,51,564 नकली या डुप्लीकेट मतदाताओं को हटाने का निर्देश दिया था।
लेकिन किसी भी जिले ने इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की। RTI के जरिए भी यह जानकारी नहीं दी गई।
सिंघार ने कहा कि ‘गरुड़ा ऐप’ का डेटा भी जानबूझकर छिपाया गया, जबकि नियमों के मुताबिक मतदाता सूची का रिकॉर्ड कम से कम 3 साल तक सुरक्षित रखना जरूरी है।
27 विधानसभा सीटों पर शक के सबूत
कांग्रेस ने 27 विधानसभा क्षेत्रों की एक सूची पेश की, जहां उसके उम्मीदवार कम मतों से हारे थे। इन क्षेत्रों में मतदाताओं की संख्या में अचानक बड़ी बढ़ोतरी देखी गई, जो हार के अंतर से कहीं ज्यादा थी।
उदाहरण:
- कुछ सीटों पर 20,000-30,000 नए मतदाता जोड़े गए, जबकि चुनाव का अंतर केवल 500-1000 वोटों का था।
- कांग्रेस का दावा है कि BJP को फायदा पहुंचाने के लिए जानबूझकर ऐसा किया गया।
फोटो न दिखाने का बहाना?
ECI का कहना है कि मतदाता सूची में फोटो नहीं दिखाए जाते, क्योंकि इससे गोपनीयता भंग हो सकती है और फाइल का आकार बढ़ जाता है। लेकिन सिंघार ने पूछा:
- “जब सरकारी योजनाओं के प्रचार में बड़े-बड़े पोस्टरों पर लोगों के फोटो दिखाए जाते हैं, तो क्या गोपनीयता नहीं टूटती?”
- “अगर आधार कार्ड, राशन कार्ड और पासपोर्ट में फोटो लगते हैं, तो मतदाता सूची में क्यों नहीं?”
CEO की वेबसाइट ‘अचानक’ डाउन हुई
जब मतदाता सूची में गड़बड़ी के आरोप उठे, तो मध्य प्रदेश CEO की वेबसाइट अचानक बंद हो गई।
कई बार “Website Under Maintenance” का मैसेज दिखाई दिया। सिंघार ने सवाल किया:
“क्या यह तकनीकी खराबी है या पारदर्शिता को रोकने की कोशिश?”
चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया पर सवाल
17 अगस्त को ECI की प्रेस वार्ता हुई, जिसे कांग्रेस ने “भाजपा समर्थक” बताया। आयोग ने कहा कि:
- “मतदान केंद्रों का CCTV फुटेज सार्वजनिक करने से मतदाता की प्राइवेसी खतरे में पड़ सकती है।”
- लेकिन सिंघार ने पूछा: “अगर CCTV लगे हैं, तो उनका सार्वजनिक परीक्षण क्यों नहीं होता?”
कांग्रेस की मांगें
- मतदाता सूची को फ्रीज किया जाए – चुनाव तक कोई बदलाव न हो।
- मशीन-रीडेबल डेटा जारी किया जाए – PDF की जगह Excel/CSV फाइलें उपलब्ध हों।
- हर मतदाता का फोटो प्रकाशित हो – डुप्लीकेट/फर्जी प्रविष्टियों की जांच के लिए।
- संशोधन लॉग सार्वजनिक किया जाए – Form 9, 10, 11 और PSE/DSE की पूरी जानकारी दी जाए।
क्या कहती है बीजेपी?
अभी तक बीजेपी ने इन आरोपों पर कोई जवाब नहीं दिया है। हालांकि, पिछले चुनावों में भी कांग्रेस ने ईवीएम और वोटर लिस्ट पर सवाल उठाए थे।
अब क्या होगा?
कांग्रेस ने चुनाव आयोग से जांच की मांग की है। साथ ही, वे कोर्ट का रुख भी कर सकते हैं।
अगर ये आरोप सही साबित हुए, तो MP की राजनीति में बड़ा भूचाल आ सकता है।
अब देखना होगा कि चुनाव आयोग इस मामले में क्या कार्रवाई करता है।