साल 2024 में रिलीज हुई फिल्म लापता लेडीज में एक शादीशुदा लड़की ट्रेन में सफर के दौरान जानबूझकर एक अंजान शख्स के साथ चली जाती है।
सिर्फ इसलिए ताकि वो अपनी पढ़ाई पूरी करके अपने पैरों पर खड़े हो सके। उस वक्त इस फिल्म को खूब सराहा गया था।
मगर उस वक्त किसी ने भी ये नहीं सोचा था कि आगे चलकर ये कहानी किसी की जिंदगी का सच बन जाएगी।
Archana Tiwari Story: ये कहानी है मध्य प्रदेश के कटनी जिले की रहने वाली अर्चना तिवारी की, जो लापता होने के 12 दिन बाद आखिरकार सुरक्षित मिल गई।
मगर अर्चना ने मीडिया और पुलिस को जो कहानी सुनाई, उसे सुनकर हर कोई हैरान हो गया, क्योंकि इतने ट्विस्ट तो क्राइम पेट्रोल में भी नहीं होते।
अर्चना तिवारी के लापता होने का मामला कोई अपहरण या हादसा नहीं, बल्कि एक सोची-समझी और फुल प्रूफ प्लानिंग थी।
रेलवे पुलिस ने भी जब इस केस के पीछे का सच मीडिया के सामने रखा, तो सुनने वाले हैरान रह गए।

क्यों घर छोड़ने को मजबूर हुई एक लड़की?
अर्चना तिवारी पढ़ाई में तेज और छात्र राजनीति में सक्रिय रही थीं।
उनका एक ही सपना था – सिविल जज बनना। लेकिन उनके परिवार की नजर में शायद एक शादी-शुदा बेटी का खिताब इस सपने से ज्यादा बड़ा था।
पुलिस ने बताया कि घरवाले लगातार उन पर शादी का दबाव बना रहे थे। जिसे लेकर घर में अक्सर झगड़े होते थे।
अर्चना का एक ही जवाब था – “जब तक मैं जज नहीं बन जाती, शादी नहीं करूंगी।”
मगर परिवार ने एक पटवारी लड़का देख लिया था और उससे शादी तय करने की जिद पर अड़े हुए थे।
यही मानसिक दबाव उनके लिए बर्दाश्त से बाहर हो गया और उन्होंने रक्षाबंधन से पहले ही घर से भागने का ऐलान कर दिया।
अपहरण या हादसा नहीं, सोची-समझी प्लानिंग
अर्चना की योजना सिर्फ भागने की नहीं, बल्कि खुद को ‘गायब’ करने की थी, ताकि कोई उन्हें ढूंढ ही न सके।
उनकी इस प्लानिंग में उनके एक कैब ड्राइवर तेजेंद्र सिंह ने मदद की, जो उनका पुराना क्लाइंट था और अब इटारसी में रहता था।

7 अगस्त, 2025 की वह रात:
अर्चना ने इंदौर से कटनी जाने के लिए 18233 इंदौर-नर्मदा एक्सप्रेस पकड़ी।
उनके साथ उनका बैग और सामान था, लेकिन दिमाग में एक पूरी स्क्रिप्ट चल रही थी।
वह मानसिक रूप से घर जाने को तैयार नहीं थीं, लेकिन रक्षाबंधन का बहाना बनाकर निकलीं ताकि किसी को शक न हो।
ट्रेन में हुआ ‘मेकओवर’:
इटारसी पहुंचने से पहले, तेजेंद्र उनसे ट्रेन में ही मिल गया। उसने अर्चना को नए कपड़े दिए।
अर्चना ने ट्रेन के अंदर ही कपड़े बदल लिए ताकि उनकी पहचान छुपी रहे।
यहीं पर प्लान के सबसे अहम हिस्से को अंजाम दिया गया और अर्चना ने अपना बैग ट्रेन में ही छोड़ दिया।
इसका मकसद साफ था – पुलिस और परिवार को यही लगना चाहिए कि वह ट्रेन से गिर गई हैं या किसी हादसे का शिकार हो गई हैं।

इटारसी से शुरू हुआ नया सफर:
तेजेंद्र ने अर्चना को नर्मदापुरम स्टेशन पर उतरवा दिया, जहां कैमरे नहीं थे।
फिर उन्होंने अर्चना के दोस्त सारांश को फोन करके इटारसी बुलवाया।
तेजेंद्र इटारसी में ही रुक गया और सारांश अपनी कार से अर्चना को लेकर शुजालपुर होते हुए इंदौर पहुंच गए।
इंदौर से हैदराबाद और फिर नेपाल तक का सफर
इंदौर पहुंचने के बाद अर्चना को डर सताने लगा कि कहीं परिवार वाले उन्हें ढूंढ न लें। इसलिए उन्होंने तुरंत हैदराबाद जाने का फैसला किया।
हैदराबाद में वह 2-3 दिन रुकीं। लेकिन जब उन्होंने अखबार और न्यूज़ चैनल्स देखे, तो पता चला कि उनका मामला राष्ट्रीय सुर्खियां बन चुका है।
अब हैदराबाद भी सुरक्षित नहीं लग रहा था।
नेपाल का रास्ता:
11 अगस्त को अर्चना ने सारांश के साथ हैदराबाद से दिल्ली का सफर तय किया।
दिल्ली से उन्होंने एक टैक्सी ली और सीधे नेपाल बॉर्डर की तरफ रवाना हो गए।
वे नेपाल के धनगढ़ी शहर पहुंचे और फिर वहां से काठमांडू।
सारांश ने काठमांडू में अपने एक परिचित की मदद से अर्चना के लिए एक होटल का इंतजाम करवाया और खुद वापस इंदौर लौट आया।

नेपाल में नई पहचान:
कुछ दिनों बाद, एक देवकोटा नामक शख्स ने अर्चना को एक नेपाली सिम कार्ड दिलवाया।
इस नई सिम के जरिए वह व्हाट्सएप पर सारांश से संपर्क में रहती थीं। उन्होंने खुद को पूरी तरह से दुनिया से काट लिया था।
पुलिस ने कैसे सुलझाया केस?
पुलिस ने सारांश पर नज़र रखी थी। जब उन्हें शक हुआ, तो सारांश के जरिए ही उन्होंने अर्चना से संपर्क साधा।
उन्होंने अर्चना को बताया कि उनका परिवार बहुत परेशान है और उन्हें वापस आना चाहिए। आखिरकार, अर्चना मान गईं।
उन्होंने काठमांडू से हवाई जहाज से धनगढ़ी का सफर तय किया और वहां से नेपाल-भारत बॉर्डर पर लखीमपुरी पहुंचीं, जहां MP की GRP पुलिस की टीम ने उन्हें सुरक्षित हिरासत में ले लिया।
अर्चना ने पुलिस को बताया कि तेजेंद्र और सारांश दोनों सिर्फ उनके दोस्त हैं और उन्होंने सिर्फ मदद की थी।
उनके साथ किसी भी तरह की कोई गलत हरकत नहीं की गई।
दिलचस्प बात यह है कि इसी बीच, दिल्ली पुलिस ने तेजेंद्र को एक अलग फ्रॉड केस में गिरफ्तार कर लिया था।

अब अर्चना सुरक्षित हैं, लेकिन उनकी यह कहानी समाज के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा करती है – क्या बेटियों के सपनों और Ambitions से ज़्यादा ज़रूरी उनकी शादी है?
एक युवती को अपना सपना पूरा करने के लिए इतना बड़ा कदम उठाना पड़ा, यह सोचने वाली बात है।
यह केस सिर्फ एक ‘गायब’ होने की घटना नहीं, बल्कि एक सवाल है जिसका जवाब अभी भी किसी के पास नहीं है।
यहां देखिए फिल्म लापता लेडीज का ट्रेलर…


