Vaishno Devi Landslide: जम्मू-कश्मीर के वैष्णो देवी तीर्थ यात्रा मार्ग पर हुए भयानक भूस्खलन में अब तक 34 जानें जा चुकी हैं।
इसी हादसे में मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के दो श्रद्धालुओं की मौत हो गई जबकि 5 घायल है।
जम्मू में पिछले कई दिनों से भारी बारिश हो रही है जिस वजह से 26 अगस्त को मंदिर के तीर्थयात्रा मार्ग पर भयानक भूस्खलन हुआ था।
अब तक 34 लोगों की मौत
26 अगस्त, दोपहर लगभग 3 बजे वैष्णो देवी यात्रा मार्ग पर एक महत्वपूर्ण पड़ाव ‘अर्धकुमारी’ मंदिर के पास, इंद्रप्रस्थ नामक भोजनालय के आस-पास अचानक भारी बारिश के कारण ज़मीन खिसक गई और एक बड़ा भूस्खलन हुआ।
पहाड़ से मलबा और चट्टानें तेजी से नीचे आईं, जिसने वहां मौजूद कई यात्रियों को अपनी चपेट में ले लिया।
इस हादसे में अब तक 34 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है और 20 से अधिक लोग घायल हैं, जिनका इलाज जारी है।
कुदरत का कहर वैष्णो माता के दरबार में#MataVaishnoDevi #Jammu pic.twitter.com/kCE45BS6wc
— Mukesh Kashyap (@MukeshK15253034) August 28, 2025
मंदसौर के यात्री भी हुए हादसे का शिकार
इसी हादसे में मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के मल्हारगढ़ क्षेत्र के भीलखेड़ी गांव के सात श्रद्धालुओं का एक समूह भी फंस गया।
ये लोग 23 अगस्त को पिपलिया मंडी रेलवे स्टेशन से ट्रेन द्वारा जम्मू के लिए निकले थे।
लेकिन मां वैष्णो के दर्शन का उनका सपना एक भयानक घटना में बदल गया।
इन सात लोगों में शामिल थे:
- फकीरचंद गुर्जर (50 साल)
- उनकी पत्नी सोहन बाई (47 साल)
- रतन बाई (65 साल)
- देवीलाल (45 साल)
- ममता (30 साल)
- परमानंद (29 साल)
- अर्जुन (28 साल)
इस हादसे में फकीरचंद गुर्जर और रतन बाई की मौत हो गई।
सोहन बाई, देवीलाल और ममता घायल हो गए और उन्हें कटरा के अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है।
परमानंद और अर्जुन इस हादसे के बाद लापता हो गए थे, जिससे उनके परिवार वालों की चिंता और बढ़ गई थी।
जम्मू-कश्मीर: भारी बारिश के कारण #VaishnoDevi मंदिर की यात्रा स्थगित कर दी गई है। #MataVaishnoDevi की त्रिकुटा पहाड़ियों पर भूस्खलन में छह व्यक्तियों की मौत हो गई है और 18 अन्य घायल हैं। हिमकोटि मार्ग भी बंद कर दिया गया है। डोडा जिले में भी चार व्यक्तियों की मौत हो गई है।#RAIN pic.twitter.com/XnNmGNoN31
— आकाशवाणी समाचार (@AIRNewsHindi) August 27, 2025
40 घंटे बाद मिले
लापता दोनों यात्रियों को ढूंढने के लिए बचाव दल (रेस्क्यू टीम) ने लगातार 40 घंटे तक काम किया।
आखिरकार, गुरुवार की सुबह उन्हें सुरक्षित ढूंढ लिया गया।
डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा का पोस्ट
मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री श्री जगदीश देवड़ा ने इस घटना पर तुरंत प्रतिक्रिया दी।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर बताया कि उन्हें मंदसौर के दो यात्रियों की मौत का दुखद समाचार मिला है।
उन्होंने यह भी कहा कि उनकी मंदसौर के कलेक्टर और जम्मू-कश्मीर प्रशासन के साथ बातचीत हुई है और मध्य प्रदेश सरकार हर संभव मदद के लिए तैयार है।
वैष्णोदेवी मंदिर मार्ग पर हुए भूस्खलन हादसे में हमारी मल्हारगढ़ विधानसभा क्षेत्र के ग्राम भीलखेड़ी के दर्शनार्थियों के हताहत होने की जानकारी प्राप्त हुई है। ग्राम भीलखेड़ी से गुर्जर समाज के तीर्थयात्री माता वैष्णोदेवी के दर्शनों हेतु ट्रेन से 23 अगस्त को रवाना हुए थे। इनमें…
— Jagdish Devda (@JagdishDevdaBJP) August 27, 2025
घर तक शव पहुंचाएगी श्राइन बोर्ड
श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने भी जिम्मेदारी का परिचय देते हुए मृतकों के शवों को उनके घर तक पहुंचाने की जिम्मेदारी ली है।
बोर्ड की ओर से मृतक के परिजनों को 5 लाख रुपये और आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से 4 लाख रुपये की सहायता राशि दिए जाने का भी ऐलान किया गया है।
उपराज्यपाल ने मृतकों के परिजनों को मुआवजे का किया एलान
वैष्णो देवी यात्रा मार्ग पर भूस्खलन में मारे गए प्रत्येक श्रद्धालु के परिवार को मुआवजा मिलेगा।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने सभी को 9 लाख रुपये देने का एलान किया है।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बताया कि वैष्णो देवी मार्ग पर बादल फटने के कारण बड़ा हादसा हुआ है.इसमें 31 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हुए हैं। रेस्क्यू ऑपरेशन अब भी जारी है.श्राइन बोर्ड से मृतकों के परिजनों को 5 लाख और जम्मू-कश्मीर #jammukashmirflood #VaishnoDevi pic.twitter.com/tVVDzaFGNR
— Vishal Singh (@vishalpcbvisha1) August 28, 2025
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मृतक के परिवारों को 6-6 लाख रुपये देने की घोषणा की है।
उन्होंने इस दौरान कहा कि आपदा की चेतावनी जारी कर दी गई थी। उसके बाद भी तीर्थयात्रियों को रोका नहीं गया।
यात्रा पर लगी रोक, श्रद्धालु फंसे
हादसे के बाद से वैष्णो देवी की यात्रा तीसरे दिन भी बंद (स्थगित) है। इस वजह से कई श्रद्धालु वहां फंस गए हैं।
कुछ यात्री कटरा के होटलों में यात्रा दोबारा शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं।
श्रद्धालुओं को बताया गया है कि जब तक मलबा पूरी तरह साफ नहीं हो जाता और स्थिति सामान्य नहीं हो जाती, तब तक उन्हें इंतजार करना होगा।
इस इलाके में रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है और बचाव कार्य अब भी जारी है।

फंसे हुए यात्रियों के लिए विशेष इंतजाम
फंसे हुए यात्रियों की मदद के लिए कई संगठन आगे आए हैं।
जम्मू से दिल्ली तक फंसे यात्रियों को ले जाने के लिए एक विशेष ट्रेन चलाई गई, जो गुरुवार सुबह 11:30 बजे जम्मू रेलवे स्टेशन से रवाना हुई।
अधिकारियों ने कहा कि इस ट्रेन में फंसे यात्रियों को प्राथमिकता दी जाएगी।
इसके अलावा, कटरा होटल एसोसिएशन ने एक बहुत ही सराहनीय कदम उठाते हुए घोषणा की है कि वे फंसे हुए तीर्थयात्रियों और जरूरतमंद लोगों को 2 से 4 दिनों तक मुफ्त में रहने की सुविधा (आवास) प्रदान करेंगे।

राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप
इस पूरी घटना पर राजनीतिक रूप से भी सवाल उठे हैं।
जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा की आलोचना करते हुए गंभीर आरोप लगाए।
उन्होंने कहा कि बादल फटने और भूस्खलन की चेतावनी के बावजूद यात्रा को नहीं रोका गया।
उन्होंने यहां तक दावा किया कि “लोग मरे नहीं हैं, बल्कि उन्हें मारा गया है।”
उन्होंने इस मामले की जांच की मांग करते हुए इसे एक “आपराधिक साजिश” करार दिया।
#WATCH | Katra: During inspecting the flood-affected areas in the state, J&K Deputy CM Surinder Choudhary says, “Regarding the Vaishno Devi Yatra incident, LG Manoj Sinha should give an answer. During the LG’s term, a stampede had also occurred earlier. When there was an alert… pic.twitter.com/Hu3kFE4SfO
— ANI (@ANI) August 28, 2025
जम्मू में बारिश ने तोड़ा 115 साल पुराना रिकॉर्ड
बता दें कि जम्मू में बारिश ने 115 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है।
1910 के बाद मंगलवार से बुधवार सुबह तक 24 घंटे में 380 मिमी बारिश दर्ज की गई है।
इससे पहले 25 सितंबर 1988 को दर्ज की गई 270.4 मिमी बारिश हुई थी, जो एक रिकॉर्ड था।
1996 में हुई भारी बारिश में यह रिकॉर्ड नहीं टूटा, तब 218.4 मिमी बारिश का रिकॉर्ड किया गया था।
जम्मू के कई हिस्से मूसलाधार बारिश से तबाह हो गए हैं। राहत बचाव कार्यों के लिए भारतीय सेना को तैनात करना पड़ा है।
वैष्णो देवी का यह हादसा एक प्राकृतिक आपदा थी, जिसने कई जिंदगियां बदल दीं।
हालांकि, प्रशासन, बचाव दलों और स्थानीय संगठनों ने इस आपदा में श्रद्धालुओं की काफी मदद की है।
यह घटना प्राकृतिक आपदाओं के समय बेहतर तैयारी और सुरक्षा प्रोटोकॉल पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत भी बताती है।


