Indore Road Accident: मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में एक बार फिर एक भयानक सड़क दुर्घटना ने एक परिवार को खत्म कर दिया है।
यह दुर्घटना बुधवार की देर रात इंदौर के धरमपुरी इलाके के पास रिंगनोदिया गांव में हुई।
पीड़ित परिवार के माता-पिता और उनके एक बेटे (15 साल) की तो घटनास्थल पर ही मौत हो गई, जबकि दूसरे छोटे बेटे (10 साल) ने गुरुवार सुबह इंदौर के अरविंदो अस्पताल के आईसीयू में अपनी आखिरी सांस ली।
इस दुर्घटना में शामिल वाहन भाजपा विधायक गोलू शुक्ला की निजी बस बताई जा रही है।
हादसे के बाद बस का चालक और हेल्पर (सहायक) वाहन छोड़कर फरार हो गए हैं।
पुलिस ने उनक तलाश शुरू कर दी है और मामले की जांच कर रही है।
कैसे हुआ हादसा
पुलिस के मुताबिक, बस नंबर MP 09FA 6390 ने एक बाइक नंबर MP09VF 3495 को जोरदार टक्कर मार दी।
टक्कर की वजह से बाइक पर सवार परिवार काफी दूर जाकर गिरा।
इस हमले में बाइक चालक महेंद्र सोलंकी, उनकी पत्नी जयश्री सोलंकी और उनके 15 साल के बेटे जिगर सोलंकी की तुरंत मौत हो गई।
उनके दूसरे बेटे, 10 साल के तेजस सोलंकी, को गंभीर चोटें आईं और उसे तुरंत अरबिंदो अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है।
घायल बच्चे तेजस के स्वास्थ्य की स्थिति अभी भी गंभीर बनी हुई है।
पूरा परिवार इस उम्मीद में है कि वह जल्द से जल्द ठीक हो जाए।
विधायक गोलू शुक्ला की है बस!
महू एडिशनल एसपी रूपेश द्विवेदी के मुताबिक, हादसा फैलाने वाली बस ‘शुक्ला ब्रदर्स’ के नाम पर रजिस्टर्ड है और इसका संचालन बीजेपी विधायक गोलू शुक्ला के कार्यालय से होता है।
बस के पीछे भी ‘गोलू’ लिखा हुआ है, जिससे इस बात की पुष्टि होती है।
विधायक शुक्ला ने इस घटना पर एक अलग ही दावा किया।
उनका कहना है कि बस उस समय खड़ी हुई थी और उसमें कोई सवारी भी नहीं थी।
उन्होंने दावा किया कि बारिश की वजह से बाइक सवार बस को देख नहीं पाए और पीछे से आकर उससे टकरा गए।

ड्राइवर मोबाइल पर बात कर रहा था
पुलिस की प्रारंभिक जांच और एक चश्मदीद गवाह का बयान विधायक के इस दावे का खंडन करता है।
पुलिस ने बताया कि हादसे का मुख्य कारण बस का ओवरस्पीड में चलना और ड्राइवर का मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना है।
मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि यात्रियों ने ड्राइवर को गति कम करने के लिए टोका भी, लेकिन उसने किसी की नहीं सुनी।
भांजे ने बुलाई एंबुलेस
परिवार के भांजे उमेश ने मौके पर ही एम्बुलेंस बुलाई और सभी घायलों को अरविंदो अस्पताल पहुंचाया।
लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने महेंद्र, जयश्री और जिगर को मृत घोषित कर दिया।
छोटा बेटा तेजस गंभीर रूप से घायल था, उसे आईसीयू में भर्ती किया गया, लेकिन वह भी गुरुवार सुबह इस दुनिया को छोड़कर चला गया।
मासूम परिवार की कहानी
हादसे में मारे गए महेंद्र सोलंकी तीन इमली मूसाखेड़ी के रहने वाले थे और चाय की एक छोटी सी दुकान चलाते थे।
वह उस दिन अपने भाई बाबूसिंह सोलंकी और भाभी शांति सोलंकी से मिलने साईं विहार कॉलोनी गए हुए थे।
उनके भाई बाबूसिंह उस दिन भोपाल गए हुए थे और लौटने में उन्हें देर हो गई।
इस वजह से महेंद्र और उनका परिवार रात में ही घर लौटने के लिए निकला।
बाबूसिंह ने बताया कि उन्होंने तेज बारिश और अंधेरे को देखते हुए महेंद्र और उनके परिवार को रात भर रुकने के लिए कहा था।
लेकिन महेंद्र के बेटे जिगर की अगले दिन सुबह एक परीक्षा थी, जिसके कारण उन्हें रात में ही वापस जाना जरूरी था।
यह फैसला उनके लिए जानलेवा साबित हुआ।
लगभग एक घंटे बीत जाने के बाद भी जब महेंद्र के परिवार के घर पहुंचने की कोई खबर नहीं मिली, तो बाबूसिंह की बेटी ने उन्हें फोन लगाया। लेकिन जवाब नहीं मिला।
कुछ देर बाद एक अलग नंबर से फोन आया और उसे यह बताया गया कि पूरे परिवार को एक सड़क दुर्घटना में घायल होने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
पुलिस की कार्रवाई पर सवाल:
इस मामले में पुलिस की कार्रवाई पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
आरोप है कि पुलिस एक बार फिर ताकतवर लोगों के आगे झुक गई है।
इंदौर में पहले हुए एक ट्रक हादसे में तीन लोगों की मौत पर ड्राइवर पर गैर-इरादतन हत्या (Culpable Homicide not amounting to Murder) की धारा लगाई गई थी, जिसमें 5 से 10 साल की सजा का प्रावधान है।
लेकिन इस मामले में पुलिस ने ड्राइवर के खिलाफ केवल लापरवाही से गाड़ी चलाने (IPC की धारा 279) और मोटर वाहन अधिनियम की धारा 125(A) और 106(1) जैसी हल्की धाराएं लगाई हैं।
इनमें अधिकतम सजा 6 महीने से लेकर 5 साल तक है और जुर्माना भी कम है।
इसका मतलब यह है कि अगर ड्राइवर पकड़ा भी गया तो उसे जल्द ही जमानत मिल सकती है।
हैरानी की बात यह है कि पुलिस ने अभी तक ड्राइवर का नाम तक दर्ज नहीं किया है और मामला ‘अज्ञात’ के खिलाफ दर्ज किया गया है।
गुस्साए लोगों ने फोड़ी बस
इस बात से मौके पर मौजूद लोगों में भारी गुस्सा था।
लोगों ने बस के कांच तोड़ दिए और उसमें आग लगाने की कोशिश भी की।
स्थानीय लोगों का कहना है कि जिन बसों और वाहनों पर ‘बाणेश्वरी’ और ‘गोलू’ लिखा होता है, उन्हें मानो ‘हत्या का खुला लाइसेंस’ मिला हुआ है।
लोगों का आरोप है कि ये बसें रोजाना तेज रफ्तार से दौड़ती हैं और अक्सर हादसे करती हैं, लेकिन RTO, पुलिस या प्रशासन इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करता।
इससे पहले भी ऐसी बसों और कारों ने कई लोगों की जान ले ली है।
आरोप है कि सत्ताधारी विधायक के समर्थन के कारण पूरा सिस्टम इनके आगे बेबस है।

निजी बसों की गुंडगर्दी रोकने के लिए CM ने की थी घोषणा
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इन निजी बसों की गुंडगर्दी रोकने के लिए ही इंदौर-उज्जैन रूट पर सरकारी बस सेवा फिर से शुरू करने की घोषणा की थी।
सीएम ने एक कार्यक्रम में कहा था, “गोलू भैय्या, चिंता मत करो, अच्छी बस चलाओ और इस सिस्टम (सरकारी सेवा) के साथ जुड़ जाओ।”
लेकिन माना जा रहा है कि गोलू शुक्ला इस सरकारी बस सेवा के विरोधी हैं क्योंकि इससे उनकी बसों का एकाधिकार खत्म हो जाएगा और उन्हें सुरक्षित और नियमित सेवा देनी पड़ेगी।

इंदौर में ट्रक ने 15 लोगों को कुचला था
यह घटना तब सामने आई है जब इंदौर में हाल ही में हुए एक बड़े ट्रक हादसे का मामला अभी भी लोगों के दिमाग में ताजा है।
दरअसल, शहर के एयरपोर्ट रोड पर सोमवार शाम एक बेकाबू ट्रक ने भीषण तबाही मचाई, जिसमें तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई और 12 से अधिक लोग घायल हो गए।
इस दुर्घटना के बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कड़ी कार्रवाई करते हुए यातायात पुलिस उपायुक्त समेत 8 अधिकारियों को निलंबित कर दिया है।
साथ ही, मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये और घायलों को 1-1 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है।
इस नए हादसे ने एक बार फिर सड़क सुरक्षा, शक्तिशाली लोगों के वाहनों की अनियंत्रित ड्राइविंग, और दोषियों के भागने की मानसिकता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सवाल यह उठ रहा है कि क्या ऐसे मामलों में वाहन मालिक की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती?
लोगों की मांग है कि चालक के साथ-साथ वाहन मालिक पर भी सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
वहीं, पुलिस मामले की जांच कर रही है और फरार चालक और हेल्पर की तलाश जारी है।
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