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त्रिशूल से लेकर चक्र तक: जानिए किन-किन देवताओं ने मां दुर्गा को अर्पित किए थे उनके अस्त्र-शास्त्र

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Weapons of Maa Durga: शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व समस्त भारतवर्ष में बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है।

यह नौ दिवसीय उत्सव मां दुर्गा की शक्ति की उपासना और उनके नौ रूपों के आराधना का समय है।

इस पर्व की पराकाष्ठा दशहरे के दिन होती है, जब मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध कर धर्म की स्थापना की थी।

मां दुर्गा के 10 हथियार

मां दुर्गा की जो प्रतिमा हम देखते हैं, उसमें वह एक सिंह पर विराजमान हैं और उनके दस हाथ हैं।

क्या आपने कभी सोचा है कि उनके इन दस हाथों में सजे अस्त्र-शस्त्र सिर्फ युद्ध के लिए हैं या इनके पीछे कोई गहरा रहस्य छिपा है?

दरअसल, मां दुर्गा के ये सभी अस्त्र देवताओं द्वारा प्रदान किए गए थे और ये केवल भौतिक हथियार नहीं, बल्कि जीवन के महत्वपूर्ण सिद्धांतों और आंतरिक शक्तियों के प्रतीक हैं।

आइए, विस्तार से जानते हैं इन्हीं प्रतीकात्मक अर्थों के बारे में…

1. सुदर्शन चक्र: कर्तव्य और धर्म का प्रतीक

मां दुर्गा की तर्जनी अंगुली में विराजमान सुदर्शन चक्र भगवान श्रीकृष्ण का दिया हुआ अमोघ अस्त्र है।

यह चक्र इस बात का प्रतीक है कि संपूर्ण सृष्टि का चक्र मां दुर्गा के अधीन है और वही इसका संचालन कर रही हैं।

इसका गोलाकार आकार यह दर्शाता है कि धर्म का चक्र सदैव गतिशील रहता है।

जीवन में इसका अर्थ यह है कि हमें भी अपने कर्तव्यों का पालन एक निरंतर प्रक्रिया के रूप में करना चाहिए।

सुदर्शन चक्र बुराई का नाश करने में जिस तेजी और सटीकता से घूमता है, वह हमें सिखाता है कि बुराइयों और अधर्म का सामना दृढ़ता और कुशलता से करना चाहिए।

2. भाला

भाला तेज शक्ति का प्रतीक है, इसे अग्नि देव ने मां आदिशक्ति को भेंट किया था।

यह हथियार उग्र शक्ति और सही-गलत के बीच अंतर करने की क्षमता प्रदान करता है।

साथ ही यह धार्मिकता के प्रति देवी की प्रतिबद्धता के प्रमाण के रूप में खड़ा है।

3. त्रिशूल: तीन गुणों पर विजय का प्रतीक

मां दुर्गा के सबसे शक्तिशाली अस्त्रों में से एक त्रिशूल भगवान शिव से प्राप्त हुआ था।

इसके तीन फलक हमारे तीन गुणों – सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण का प्रतिनिधित्व करते हैं।

त्रिशूल का अर्थ है इन तीनों गुणों पर विजय पाना और मन की स्थिरता प्राप्त करना।

यह साहस और शक्ति का भी प्रतीक है।

इससे मिलने वाली सीख यह है कि जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए हमें अपने मन और इंद्रियों पर नियंत्रण रखने की आवश्यकता है।

4. तलवार: विवेक और निर्णय की धार

मां दुर्गा के एक हाथ में विराजमान यह तलवार भगवान गणेश का उपहार है।

तलवार ज्ञान और विवेक का प्रतीक है।

इसकी तेज धार अज्ञानता के अंधकार को चीरने का काम करती है।

यह हमें सिखाती है कि बुराई का सामना करने और सही निर्णय लेने के लिए तेज बुद्धि और दृढ़ इच्छाशक्ति का होना आवश्यक है।

जिस प्रकार तलवार काटने का काम करती है, ठीक उसी प्रकार विवेक की तलवार हमें अच्छे-बुरे में भेद करना सिखाती है।

5. धनुष-बाण: लक्ष्य पर केंद्रित ऊर्जा

मां दुर्गा के हाथों में धनुष-बाण वायु देव का प्रसाद है। बाण ऊर्जा और एकाग्रता का प्रतीक है।

धनुष पर चढ़ा बाण यह दर्शाता है कि हमारी ऊर्जा और प्रयास हमेशा लक्ष्य पर केंद्रित होने चाहिए।

जीवन में सफलता पाने के लिए जरूरी है कि हम अपनी सारी शक्ति को एक लक्ष्य पर केंद्रित करें, न कि उसे बिखेरें।

यह संकल्प और दृढ़ निश्चय की भी प्रेरणा देता है।

6. घंटी

विभिन्न अस्त्र-शस्त्रों के साथ-साथ देवी के हाथ में घंटी भी है।

पुराणों के अनुसार, यह घंटा भगवान इंद्र के वाहन ऐरावत ने दुर्गा को दिया था. घंटे की ध्वनि से असुरों का तेज क्षीण हो जाता है।

7. गदा: आंतरिक शक्ति और अनुशासन

मां दुर्गा को यमराज द्वारा प्रदान की गई यह गदा आंतरिक शक्ति, अनुशासन और न्याय का प्रतीक है।

गदा भौतिक और आध्यात्मिक दोनों प्रकार की शक्ति को दर्शाती है।

यह हमें सिखाती है कि जीवन में अनुशासन और आत्म-नियंत्रण के बिना सच्ची शक्ति प्राप्त नहीं की जा सकती।

यह दृढ़ संकल्प का भी प्रतीक है जो बाधाओं को तोड़ने की क्षमता रखता है।

8. वज्र: अडिग साहस और दृढ़ निश्चय

इंद्रदेव के दिए वज्र का अर्थ है अजेय शक्ति और अटूट साहस।

जिस प्रकार वज्र आकाश से गिरकर कठोर से कठोर चीज को चकनाचूर कर देता है, उसी प्रकार यह हमें सिखाता है कि जीवन की कठिनाइयों और बुराइयों का सामना दृढ़ निश्चय और साहस के साथ करना चाहिए।

यह प्रतीक है कि सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति कभी पराजित नहीं होता।

9. ढाल: सुरक्षा और संरक्षण

यमराज द्वारा प्रदान की गई ढाल सुरक्षा और संरक्षण का प्रतीक है।

जैसे ढाल योद्धा को शत्रु के प्रहार से बचाती है, वैसे ही संयम, सदाचार और मां की कृपा की ढाल हमें जीवन की विपरीत परिस्थितियों और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षित रखती है।

यह मां के उस मातृत्व भाव को दर्शाती है जो हमेशा अपने भक्तों को हर तरह के संकट से बचाती हैं।

10. कुल्हाड़ी और फरसा

मां दुर्गा के हाथ में स्थित फरसा, भगवान विश्वकर्मा ने प्रदान किए. फरसा को बुराई से लड़ने का प्रतीक माना जाता है।

इसी तरह कुल्हाड़ी को भी भगवान विश्वकर्मा ने मां दुर्गा को प्रदान किया था।

कुल्हाड़ी प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने में निडरता, विनाश और निर्माण दोनों की शक्ति का प्रतिनिधित्व करती है।

इससे देवी बिना किसी हिचकिचाहट के बुराई का सामना करती हैं।

अन्य दिव्य उपहार

कमल का फूलवैराग्य और पवित्रता

ब्रह्मा जी द्वारा दिया गया। देवी के एक हाथ में सुशोभित कमल का फूल वैराग्य और पवित्रता का अद्भुत प्रतीक है।

कमल कीचड़ में खिलकर भी उससे अछूता और सुंदर बना रहता है।

ठीक इसी प्रकार, यह हमें सिखाता है कि हमें संसार रूपी कीचड़ में रहते हुए भी लोभ, लालच, वासना और द्वेष जैसी नकारात्मकताओं से अपने आप को अलग रखना चाहिए।

बाहरी परिस्थितियों से प्रभावित हुए बिना अपने चरित्र और गुणों को विकसित करना ही मां के कमल का वास्तविक संदेश है।

शंख: आनंद और पवित्रता की ध्वनि

शंख की ध्वनि को पवित्र और दिव्य माना जाता है। यह आनंद और विजय का प्रतीक है।

मान्यता है कि शंखनाद से नकारात्मक शक्तियां और अंधकार दूर भागता है।

हमारे जीवन के संदर्भ में, शंख हमें प्रेरणा देता है कि हमें अपने अंदर की पवित्रता और आंतरिक आनंद की ध्वनि को फैलाना चाहिए, जो हमारे और हमारे आस-

सिंह: नियंत्रित शक्ति और आत्मविश्वास

इसके अलावा मां दुर्गा की सवारी सिंह है, जो उग्रता, शक्ति और हिंसक प्रवृत्ति का प्रतीक है।

मां का सिंह पर सवार होने का तात्पर्य यह है कि उन्होंने इस उग्र शक्ति पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त कर लिया है।

यह हमें सिखाता है कि वास्तविक शक्ति वह है जो हमारी अपनी हिंसक, क्रोधी और उग्र प्रवृत्तियों पर नियंत्रण रख सके।

आत्म-नियंत्रण ही सच्ची शक्ति की निशानी है।

नाग

कहा जाता है कि इन दस अस्त्रों के अलावा मां दुर्गा को भगवान शिव ने एक सर्प (नाग) भेंट किया था।

नाग सुरक्षा का प्रतीक है यह हमें सिखाते हैं कि मां दुर्गा न केवल रक्षक हैं।

इसके अलावा देवी दुर्गा एक हाथ से भक्तों को आशीर्वाद देती हैं. इस हाथ में ‘ऊं’ इंगित है।

ऊं परमात्मा का बोध कराता है और इसी में सभी शक्तियां निहित है ।

मां दुर्गा के दस हाथ और उनमें सजे ये अस्त्र-शस्त्र हमें सिखाते हैं कि जीवन की लड़ाई सिर्फ बाहरी शत्रुओं से नहीं, बल्कि अपने अंदर की कमजोरियों – अज्ञान, क्रोध, लोभ और वासना से भी लड़नी है।

मां दुर्गा के ये प्रतीक हमें आंतरिक शक्ति, साहस, विवेक, वैराग्य और धर्म पर अडिग रहने का मार्गदर्शन देते हैं।

नवरात्रि का यह पावन समय हमें इन्हीं गुणों को अपने अंदर विकसित करने और अपनी आंतरिक दुर्गा को जागृत करने का अवसर प्रदान करता है।

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