CJI Shoe Attack: सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट रूम नंबर 1 में एक ऐसी घटना घटी जिसने पूरे न्यायिक तंत्र को हिलाकर रख दिया।
एक वरिष्ठ वकील ने देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बी. आर. गवई पर जूता फेंकने का प्रयास किया।
यह घटना न्यायपालिका की गरिमा के खिलाफ एक गंभीर हमला माना जा रहा है।
पुलिस ने आरोपी वकील को हिरासत में लिया है।
आइए जानते है इस घटना के पीछे की असली वजह…
कोर्ट रूम में क्या हुआ?
यह घटना तब हुई जब CJI जस्टिस बी. आर. गवई की अगुवाई वाली पीठ एक मामले की सुनवाई कर रही थी।
अचानक, वकील राकेश किशोर कुमार (उम्र 60 वर्ष) ने खड़े होकर CJI की तरफ एक जूता फेंका।
खबरों के मुताबिक, जूता बेंच तक नहीं पहुंच सका और सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत वकील को पकड़ लिया।
जैसे ही सुरक्षाकर्मी उन्हें कोर्ट रूम से बाहर ले जा रहे थे, राकेश किशोर ने जोरदार नारा लगाया: “सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान!”
An incident occurred today in the court of Chief Justice of India BR Gavai, as a lawyer tried to throw an object at him.
Security personnel present in court intervened and escorted the lawyer out and detained.
While being escorted out of the courtroom, he uttered “Sanatan ka… pic.twitter.com/7JdNWwvEdE
— ANI (@ANI) October 6, 2025
CJI बोले- इन चीजों से फर्क नहीं पड़ता
इस पूरे घटनाक्रम के दौरान CJI गवई शांत और संयमित रहे।
उन्होंने कोर्ट में मौजूद अन्य वकीलों से कहा, “इस सबसे परेशान न हों। मैं भी परेशान नहीं हूं, इन चीजों से मुझे फर्क नहीं पड़ता।”
घटना के तुरंत बाद भी कोर्ट की कार्यवाही बिना किसी अतिरिक्त देरी के जारी रही।

आखिर क्यों भड़का वकील?
इस हमले के पीछे का कारण 16 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में हुई एक सुनवाई को माना जा रहा है।
उस दिन, CJI गवई की बेंच ने मध्य प्रदेश के खजुराहो स्थित जवारी (वामन) मंदिर में रखी भगवान विष्णु की 7 फुट ऊंची खंडित मूर्ति की पुनर्स्थापना की मांग वाली एक याचिका पर सुनवाई की थी।
याचिकाकर्ता का दावा था कि यह मूर्ति मुगल आक्रमणों के दौरान क्षतिग्रस्त हो गई थी और उसकी मरम्मत करके श्रद्धालुओं के पूजा के अधिकार की रक्षा की जानी चाहिए।
इस याचिका को खारिज करते हुए CJI ने टिप्पणी की थी, “जाओ और भगवान से खुद करने को कहो। तुम कहते हो भगवान विष्णु के कट्टर भक्त हो, जाओ उनसे प्रार्थना करो।”
यह टिप्पणी सोशल मीडिया पर वायरल हो गई और कई लोगों ने इसे सनातन धर्म का अपमान बताकर इसकी आलोचना की।
हालांकि, 18 सितंबर को CJI ने स्पष्टीकरण दिया कि उनकी टिप्पणी को गलत तरीके से पेश किया गया है और वह सभी धर्मों का सम्मान करते हैं।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी कहा कि CJI एक धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति हैं और सोशल मीडिया पर बातें बढ़ा-चढ़ाकर पेश की जाती हैं।
माना जा रहा है कि वकील राकेश किशोर इसी मामले से नाराज थे और उन्होंने अपना गुस्सा इस हिंसक तरीके से जाहिर किया।
वकीलों की प्रतिक्रिया: जांच की मांग
इस घटना की पूरे न्यायिक समुदाय और देशभर में कड़ी निंदा हुई है…
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वकीलों की प्रतिक्रिया: सीनियर वकील इंदिरा जय सिंह ने इस घटना को “भारत के सर्वोच्च न्यायालय पर एक स्पष्ट जातिवादी हमला” बताया। उन्होंने मांग की कि सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीशों को एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इसकी निंदा करनी चाहिए और स्पष्ट करना चाहिए कि न्यायालय वैचारिक हमलों को बर्दाश्त नहीं करेगा।
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VHP की प्रतिक्रिया: विश्व हिंदू परिषद (VHP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने एक पोस्ट लिखकर कहा कि न्यायालय न्याय का मंदिर है और सभी का कर्तव्य है कि इस पर समाज का विश्वास बना रहे। उन्होंने सभी पक्षों से, चाहे वे वकील हों या न्यायाधीश, अपनी वाणी में संयम बरतने का आग्रह किया।
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सोशल मीडिया की भूमिका: इस पूरे मामले ने एक बार फिर सोशल मीडिया की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं। जस्टिस विनोद चंद्रन ने इसे ‘एंटी-सोशल मीडिया’ कहा, जबकि सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि सोशल मीडिया की वजह से वकीलों को रोजाना दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

सोचने पर मजबूर करती है घटना
सुप्रीम कोर्ट में हुई यह घटना एक बहुत ही गंभीर और सोचने पर मजबूर करने वाली घटना है।
यह दर्शाती है कि कैसे धार्मिक मामलों पर अदालती टिप्पणियों को गलत समझा जा सकता है और कैसे सोशल मीडिया इन गलतफहमियों को हवा देकर स्थिति को और विस्फोटक बना सकता है।
हालांकि, किसी भी स्थिति में न्यायपालिका पर इस तरह का शारीरिक या वैचारिक हमला उचित नहीं ठहराया जा सकता।