Amir Khan Muttaqi Deoband: तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी के भारत दौरे पर विवादों के बादल छाए हुए हैं।
उनकी यूपी के देवबंद में होने वाली स्पीच अचानक रद्द कर दी गई, साथ ही दिल्ली स्थित अफगान दूतावास में तालिबानी झंडे को लेकर तीखी बहस हुई।
इससे पहले अफगान दूतावास मे शुक्रवार को महिला पत्रकारों के साथ हुआ व्यवहार भी चर्चा का विषय बना हुआ है।
आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला…
देवबंद में क्यों रद्द हुआ अफगान विदेश मंत्री का भाषण?
दारुल उलूम देवबंद में शनिवार को तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी के भाषण का कार्यक्रम रखा गया था, लेकिन इसे अचानक रद्द कर दिया गया।
मुत्तकी तय समय से ढाई घंटे पहले ही देवबंद से रवाना हो गए।
उन्हें शाम 5 बजे तक रुकना था, लेकिन वह दोपहर ढाई बजे ही चले गए।
VIDEO | Saharanpur, UP: Afghanistan’s Foreign Minister Mawlawi Amir Khan Muttaqi arrives at Darul Uloom Deoband.#Afghanistan #AmirKhanMuttaqi #DarulUloomDeoband
(Full video available on PTI Videos – https://t.co/n147TvrpG7) pic.twitter.com/WZY52W1Cim
— Press Trust of India (@PTI_News) October 11, 2025
स्थानीय प्रशासन और आयोजकों का कहना है कि भीड़ बढ़ने के कारण सुरक्षा व्यवस्था चिंताजनक हो गई थी, जिसके चलते यह फैसला लिया गया।
अधिक भीड़ की वजह से टूटा सुरक्षा घेरा
दरअसल, मुत्तकी के देवबंद पहुंचने पर छात्रों ने उनका जोरदार स्वागत किया।
भीड़ इतनी अधिक थी कि सुरक्षा घेरा टूट गया और पुलिस को छात्रों को धक्का देकर हटाना पड़ा।
इस हंगामे के बाद मुत्तकी को गार्ड ऑफ ऑनर भी नहीं दिया जा सका।
हालांकि, आधिकारिक तौर पर अभी तक स्पीच रद्द होने का कारण नहीं बताया गया है।
Warm welcome of Amir Khan Muttaqi by the students of Darul Uloom Deoband. ♥️♥️#AmirKhanMuttaqi #darululoom pic.twitter.com/sVFmuNYaya
— Abu Zaid Sarooji (@Sarooji_) October 11, 2025
दिल्ली दूतावास में झंडे को लेकर हुई तीखी बहस
मुत्तकी के भारत दौरे के दौरान एक और विवाद दिल्ली स्थित अफगान दूतावास में हुआ।
यहां मुत्तकी की टीम ने तालिबान सरकार के झंडे को लगाने की कोशिश की, लेकिन दूतावास के स्टाफ ने इसका विरोध किया।
दूतावास के कर्मचारियों ने कहा कि भारत सरकार ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को अभी तक मान्यता नहीं दी है, इसलिए नया झंडा नहीं लगाया जा सकता।

इस मामले को लेकर दोनों पक्षों के बीच तीखी बहस हुई, लेकिन अंत में दूतावास स्टाफ की बात माननी पड़ी और तालिबानी झंडा नहीं लगाया गया।
बता दें कि दिल्ली में अफगान दूतावास में अभी भी पुराने झंडे का इस्तेमाल हो रहा है।
महिला पत्रकार विवाद
मुत्तकी के दौरे के दौरान महिला पत्रकारों के साथ हुए व्यवहार ने भी सवाल खड़े किए हैं।
देवबंद में कार्यक्रम की कवरेज के लिए पहुंची महिला पत्रकारों को दारुल उलूम के मीडिया प्रभारी अशरफ उस्मानी ने पर्दे के पीछे अलग बैठने के लिए कहा।
इससे पहले, शुक्रवार को दिल्ली में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी कोई महिला पत्रकार मौजूद नहीं थी।
The real reason behind the failed strike in Afghanistan is this: Pakistan could never have imagined that a day would come when India and the Taliban would sit across the same table — and in India, no less.Ufffffff NA KARE JANAB NA KARE#Afghanistan #IndiaAfghanBhaiBhai pic.twitter.com/50AMd11VlJ
— Pathan Bhai (@PathanBhaiii) October 10, 2025
इस मामले पर कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने सवाल उठाते हुए पीएम मोदी से पूछा, “भारत में हमारे ही देश की कुछ सबसे सक्षम महिलाओं का अपमान कैसे होने दिया गया?”
पूरी खबर पढ़ें…
भारत में महिला पत्रकारों के साथ भेदभाव: तालिबान मंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस में एंट्री न मिलने पर विपक्ष ने उठाए सवाल
मुत्तकी ने क्या कहा?
अपने दौरे के दौरान मुत्तकी ने देवबंद के लोगों के स्वागत की सराहना की और कहा,
“मैं इस गर्मजोशी भरे स्वागत के लिए देवबंद के उलेमा और क्षेत्र के लोगों का शुक्रगुजार हूं। भारत-अफगानिस्तान संबंधों का भविष्य बहुत उज्ज्वल दिखाई देता है।”
उन्होंने दारुल उलूम में पढ़ रहे अफगान छात्रों से भी बातचीत की और आगरा जाने की योजना बनाई।
मुत्तकी के मुताबिक, उनका अब तक का सफर बहुत अच्छा रहा है।
#WATCH | Saharanpur, Uttar Pradesh | Afghan FM Amir Khan Muttaqi says, “The journey has been very good so far. Not just the people of Darul Uloom, but all people of the area have come here. I am grateful to them for the warm welcome they extended to me… I am thankful to the… pic.twitter.com/TQ7dUwRqPU
— ANI (@ANI) October 11, 2025
जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष ने क्या कहा?
जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने मुत्तकी के दौरे को ऐतिहासिक बताया।
उन्होंने कहा, “हमारे और अफगानिस्तान के रिश्ते इल्मी नहीं, बल्कि ऐतिहासिक हैं। हिंदुस्तान के मुसलमानों और दारुल उलूम का अफगानिस्तान से गहरा नाता रहा है।”
मदनी ने यह भी कहा कि अब अफगानिस्तान से किसी भी देशद्रोही या आतंकवादी को भारत में मदद नहीं मिलेगी, जिससे दोनों देशों के रिश्तों में नई शुरुआत होगी।
देवबंद जाने और ले जाने पे
पीछे बड़ी डिप्लोमेसी है।इंडिया और अफगान भी ने बड़ा इशारा दिया है।#deoband #AmirKhanMuttaqi pic.twitter.com/8qOO6BuEAu
— Shadab A Khan (@ShadabJourno) October 11, 2025
दारुल उलूम का ऐतिहासिक महत्व
दारुल उलूम देवबंद की स्थापना 30 सितंबर 1866 को हुई थी।
यह 156 साल पुराना इस्लामिक शिक्षा केंद्र है, जिसकी स्थापना अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन को मजबूत करने और उर्दू भाषा को बचाने के लिए की गई थी।
यहां से निकले छात्र देश-विदेश में धार्मिक शिक्षा का प्रसार कर रहे हैं।

अफगान विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी का भारत दौरा कई मायनों में चर्चा में रहा।
दिल्ली दूतावास में झंडे को लेकर विवाद और महिला पत्रकारों के साथ हुए व्यवहार ने इस दौरे को विवादास्पद बना दिया।
हालांकि, दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने की उम्मीदें अभी भी बरकरार हैं।


