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जानें क्या है 20 साल पुराना IRCTC घोटाला, जिसमें फंसा लालू परिवार? बिहार चुनाव पर क्या होगा असर

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Lalu Yadav IRCTC Scam: दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने सोमवार 13 अक्टूबर को RJD के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और बेटे तेजस्वी यादव के खिलाफ IRCTC होटल घोटाले के मामले में आरोप तय कर लिए हैं।

यह फैसला बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले आया है, जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है।

कोर्ट ने तीनों पर धोखाधड़ी (धारा 420) और आपराधिक साजिश रचने के आरोपों के तहत मुकदमा चलाने का आदेश दिया है।

इसके साथ ही, लालू परिवार के खिलाफ कानूनी लड़ाई का एक नया और महत्वपूर्ण अध्याय शुरू हो गया है।

कोर्ट में क्या हुआ?

कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव की मौजूदगी में आरोपों को सुनाया।

कोर्ट ने कहा कि सबूतों से पता चलता है कि लालू यादव ने अपने सरकारी पद (रेल मंत्री) का दुरुपयोग करते हुए साजिश रची और टेंडर प्रक्रिया में गलत तरीके से दखल दिया, जिससे उनके परिवार को फायदा हुआ।

जब कोर्ट ने तीनों से उनके बचाव में कहने के लिए कहा, तो सभी ने आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया:

  • लालू प्रसाद यादव ने कहा, “मैं दोषी नहीं हूं, मैंने कुछ नहीं किया।”
  • राबड़ी देवी ने कहा, “मैं किसी तरह की साजिश और धोखाधड़ी में शामिल नहीं हूं।”
  • तेजस्वी यादव ने भी आरोपों को गलत बताया।

इस फैसले का मतलब है कि अब इस मामले में तीनों के खिलाफ एक संपूर्ण मुकदमा (ट्रायल) चलेगा, जहां सबूतों और गवाहों की जांच-पड़ताल के बाद यह तय होगा कि वे दोषी हैं या निर्दोष।

क्या है IRCTC होटल घोटाला? 

IRCTC होटल घोटाला लालू प्रसाद यादव के केंद्रीय रेल मंत्री रहने के दौरान (2004-2009) की एक घटना से जुड़ा है।

यह मामला रांची और पुरी स्थित दो विरासत (हेरिटेज) BNR होटलों के रख-रखाव और सुधार के टेंडर से संबंधित है।

CBI के अनुसार, इस टेंडर प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां की गईं और साजिश के तहत लालू परिवार को फायदा पहुंचाया गया।

घोटाले की पूरी टाइमलाइन:

  1. रेल मंत्री बने लालू यादव (2004): लालू प्रसाद यादव केंद्र में UPA सरकार के रेल मंत्री बने।

  2. होटलों का ट्रांसफर (2004-05): रेलवे बोर्ड ने रांची और पुरी के BNR होटलों का प्रबंधन और रख-रखाव IRCTC को सौंपने का फैसला किया। IRCTC ने इन्हें लीज पर देने की योजना बनाई।

  3. टेंडर में हेराफेरी (2005-06): CBI का आरोप है कि लालू यादव ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए टेंडर प्रक्रिया में दखल दिया। आरोप है कि टेंडर की शर्तों को विनय कोचर (Kochar Brothers) की कंपनी ‘मेसर्स सुजाता होटल्स’ के पक्ष में बदला गया और उन्हें ही यह अनुबंध दिया गया।

  4. जमीन की गुपचुप डील (25 फरवरी, 2005): CBI के मुताबिक, टेंडर मिलने के बदले में, विनय कोचर ने पटना के बेली रोड स्थित 3 एकड़ की एक बेशकीमती जमीन को सरला गुप्ता की कंपनी ‘मेसर्स डिलाइट मार्केटिंग कंपनी लिमिटेड’ (DMCL) को मात्र 1.47 करोड़ रुपये में बेच दिया। हैरानी की बात यह है कि उस समय बाजार में इस जमीन की कीमत लगभग 1.93 करोड़ रुपये थी। इसे कृषि भूमि बताकर सर्कल रेट से भी कम दाम पर बेचा गया और स्टाम्प ड्यूटी में भी धोखाधड़ी की गई।

  5. FIR दर्ज (7 जुलाई, 2017): CBI ने इस मामले में लालू यादव समेत 5 लोगों के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज की और 12 ठिकानों पर छापेमारी की।

  6. चार्जशीट दाखिल (16 अप्रैल, 2018): जांच पूरी होने के बाद CBI ने कोर्ट में लालू, राबड़ी और तेजस्वी के खिलाफ आरोप पत्र (चार्जशीट) दाखिल किया।

  7. लालू परिवार को जमीन ट्रांसफर (2010-2014): CBI की जांच में पता चला कि 2010 से 2014 के बीच, यही 3 एकड़ जमीन (जिसकी उस समय बाजार कीमत लगभग 94 करोड़ रुपये और सर्कल रेट 32 करोड़ रुपये थी) को लारा प्रोजेक्ट नाम की कंपनी को महज 65 लाख रुपये में ट्रांसफर कर दिया गया। यह कंपनी लालू यादव के परिवार से जुड़ी हुई बताई जाती है।

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CBI का आरोप है कि लालू यादव ने रेल मंत्री रहते हुए टेंडर में हेराफेरी करवाकर एक निजी कंपनी को फायदा पहुंचाया और बदले में उस कंपनी ने लालू परिवार को बेहद कम दाम में बेशकीमती जमीन देकर उन्हें गलत तरीके से फायदा पहुंचाया।

लैंड फॉर जॉब स्कैम: एक और बड़ा मामला

IRCTC घोटाले के समानांतर, लालू परिवार पर एक और बड़ा आरोप ‘लैंड फॉर जॉब स्कैम’ का है।

यह मामला भी लालू यादव के रेल मंत्री काल (2004-2009) से जुड़ा है।

का आरोप है कि इस दौरान रेलवे में ग्रुप-डी जैसे निचले पदों पर नौकरियां दिलाने के एवज में, लोगों से उनकी जमीनें लालू परिवार के सदस्यों के नाम करवाई गईं या बेहद कम दाम पर खरीदी गईं।

लैंड फॉर जॉब स्कैम की प्रमुख डील्स:

  • कम कीमत पर जमीन का हस्तांतरण: CBI ने अपनी जांच में पाया कि कम से कम 7 अलग-अलग मामलों में, लोगों ने अपनी जमीनें बाजार मूल्य से काफी कम दाम पर राबड़ी देवी, मीसा भारती (बेटी) और हेमा यादव (बेटी) के नाम कर दीं।
  • नौकरी का लालच: इन जमीनों के मालिकों या उनके परिवार के सदस्यों को रेलवे की नौकरियां दी गईं। जांच में पाया गया कि जमीन ट्रांसफर करने से पहले ही उन्हें नौकरी का ऑफर मिल गया था या फिर ट्रांसफर के तुरंत बाद नौकरी मिल गई।
  • गिफ्ट डीड का सहारा: कई मामलों में जमीन को ‘गिफ्ट डीड’ के जरिए ट्रांसफर किया गया, यानी बिना पैसे लिए दान में दे दिया गया, जबकि दान लेने और देने वाले के बीच कोई नजदीकी रिश्तेदारी भी नहीं थी।
  • कुल मिलाकर लाभ: CBI का दावा है कि इस तरह लालू परिवार ने बिहार में 1 लाख वर्ग फीट से ज्यादा जमीन महज 26 लाख रुपये में हासिल कर ली, जबकि उस समय उस जमीन की सर्कल रेट के अनुसार कीमत करीब 4.39 करोड़ रुपये थी।

हालिया कार्रवाई: इसी मामले में जनवरी में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने लालू यादव और तेजस्वी यादव से लंबी पूछताछ भी की थी। यह मामला अभी भी कोर्ट में लंबित है।

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बिहार चुनाव से पहले क्यों अहम है ये फैसला?

यह कोर्ट का फैसला बिहार की राजनीति के लिए एक अहम मोड़ साबित हो सकता है।

RJD बिहार की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है और तेजस्वी यादव वर्तमान में विपक्ष के नेता हैं।

विधानसभा चुनावों से ठीक पहले पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ आरोप तय होना उनके लिए एक बड़ी चुनौती है।

  • विपक्ष का हमला: विपक्षी दल, खासकर भाजपा, इस मौके का इस्तेमाल RJD और लालू परिवार पर ‘भ्रष्टाचार’ का तमगा लगाने के लिए कर सकते हैं। वे आरोप लगा सकते हैं कि RJD परिवारवाद और भ्रष्टाचार में डूबी हुई पार्टी है।
  • RJD की चुनौती: RJD को अब न केवल कोर्ट कचहरी में लड़ाई लड़नी होगी, बल्कि जनता के बीच अपनी छवि सुधारने और इस मुद्दे का जवाब देने की भी जरूरत होगी। पार्टी पहले ही आरोप लगा चुकी है कि यह सब केंद्र की BJP सरकार द्वारा चलाया जा रहा एक राजनीतिक विरोधी अभियान है।
  • जनता का रुख: अंततः, बिहार की जनता का फैसला ही तय करेगा कि यह मामला उनके वोटिंग व्यवहार को किस तरह प्रभावित करता है। क्या वे इसे भ्रष्टाचार का सबूत मानेंगी या फिर इसे राजनीतिक दुश्मनी की साजिश समझकर नजरअंदाज कर देंगी।
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