New Criminal Laws: एक जुलाई 2024, याद रखिएगा ये दिन सालों पुरानी तारीख यानि इतिहास बदलने जा रहा है।
कानून की वो किताब बदली जा रही है जिसकी बिना पर अपराध और अपराधियों पर अंकुश लगाने और दोषियों को सजा दी जाती रही है।
देश में एक जुलाई से 3 नए कानून (New Criminal Laws) नए बदलाव के साथ आईपीसी यानी इंडियन पीनल कोड अब भारतीय न्याय संहिता कहलाएगी और सीआरपीसी कहलाएगी भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता।
ये बदलाव समय काल और परिस्थितियों को मद्देनजर रखकर किए गए हैं क्योंकि आज के हाईटेक युग में अपराधों का तरीका बदल चुका है।
अपराधी भी अपराध के नए तौर तरीके अपनाने लगे हैं। लिहाजा विशेषज्ञों की टीम ने आईपीसी को बदलकर भारतीय न्याय संहिता और सीआरपीसी को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता तैयार की है।
क्या कुछ परिवर्तन इन कानून (New Criminal Laws) किताबों में किए गए हैं आइए जानते हैं –
भारतीय न्याय संहिता (BNS)
- 164 साल पुरानी आईपीसी में 511 धाराएं थीं
- बीएनएस-2023 में 358 धाराएं हैं
- बीएनएस में 21 नए अपराध जोड़े गए हैं
- 41 धाराओं में सजा बढ़ाई गई है
- पहली बार 6 अपराधों में सामुदायिक सेवा की सजा जोड़ी गई है
- बीएनएस में पीड़ित को न्याय देने पर फोकस है
इसी तरह से सीआरपीसी की जगह अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता बनाई गई है।
आइए जानते हैं इसमें क्या नए प्रावधान किए गए हैं –
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS)
- सीआरपीसी में 484 धाराएं थीं
- बीएनएसएस में धाराएं बढ़ाई गईं हैं
- 47 नई धाराओं के साथ अब कुल 531 धाराएं होंगी
- 154 में दर्ज होने वाली FIR अब 173 में दर्ज होगी
- BNSS में नागरिक सुरक्षा पर जोर दिया गया है
भारतीय साक्ष्य अधिनियम
- 152 साल पुराना है भारतीय साक्ष्य अधिनियम
- पहले इसमें 167 धाराएं थीं, अब 170 धाराएं होंगी
- 15 नई धाराएं और परिभाषाएं जोड़ी गई हैं
- 24 में संशोधन किया गया है
- 10 धारा-परिभाषाओं को खत्म किया गया है
- सजा का प्रावधान 90 प्रतिशत हो ये ध्यान दिया गया है
- पूरे कानून को तकनीक और फॉरेंसिक के मुताबिक तैयार किया गया है
देखा जाए तो अपराधों पर अंकुश लगाने और हर पीड़ित को न्याय दिलाने के मकसद से ये तीन नए कानून लोगों की जिंदगी में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए बनाए गए हैं।
देखना ये है कि लोगों की जिंदगी में कितना परिवर्तन इन नए कानूनों से आता है और ये कानून पुलिस के लिए कितना मददगार होंगे।