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धन लक्ष्मी से विद्या लक्ष्मी तक: अष्टलक्ष्मी के किस रूप की पूजा करने से कौन-सा फल मिलता है?

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Ashtalakshmi: हिंदू धर्म में मां लक्ष्मी को धन, समृद्धि, सौभाग्य और ऐश्वर्य की देवी माना गया है।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि मां लक्ष्मी का स्वरूप केवल भौतिक धन तक सीमित नहीं है?

शास्त्रों और पुराणों में मां लक्ष्मी के आठ दिव्य स्वरूपों का वर्णन मिलता है, जिन्हें सामूहिक रूप से ‘अष्टलक्ष्मी’ कहा जाता है।

ये आठों स्वरूप जीवन के आठ अलग-अलग क्षेत्रों में सफलता, शांति और संपन्नता प्रदान करते हैं।

मान्यता है कि इनकी सच्चे मन से आराधना करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं और उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है।

आइए, जानते हैं मां लक्ष्मी के इन आठ स्वरूपों के बारे में और किस स्वरूप की पूजा से कौन-सा फल प्राप्त होता है…

1. आदि लक्ष्मी: सृष्टि की आदि शक्ति

आदि लक्ष्मी मां लक्ष्मी का मूल और सबसे प्राथमिक स्वरूप मानी जाती हैं।

यह सृष्टि की आदि शक्ति हैं, जिनसे समस्त चराचर जगत की उत्पत्ति हुई है।

कुछ ग्रंथों में इन्हें महालक्ष्मी के नाम से भी जाना जाता है।

  • महत्व: आदि लक्ष्मी की पूजा से साधक को आध्यात्मिक शक्ति, आंतरिक शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह स्वरूप स्थिरता और वैराग्य प्रदान करता है। ऐसा माना जाता है कि इन्होंने ही त्रिदेवों – ब्रह्मा, विष्णु और महेश को प्रकट किया है।
  • किसके लिए है महत्वपूर्ण: उन सभी साधकों के लिए जो आध्यात्मिक उन्नति और जीवन के मूल उद्देश्य को समझना चाहते हैं।

2. धन लक्ष्मी: भौतिक संपदा की दात्री

धन लक्ष्मी मां लक्ष्मी का वह स्वरूप है जो सीधे तौर पर भौतिक धन, वैभव और ऐश्वर्य से जुड़ा है।

इन्हें धन-संपदा की अधिष्ठात्री देवी कहा जाता है।

  • महत्व: इस स्वरूप की कृपा से व्यक्ति के जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती। कर्ज से मुक्ति मिलती है और भौतिक सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है। पद्मपुराण और लक्ष्मी तंत्र में इनके महत्व का विस्तार से वर्णन है।
  • किसके लिए है महत्वपूर्ण: उन सभी के लिए जो आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हैं, व्यवसाय में स्थिरता चाहते हैं या धन का अभाव है।

3. धान्य लक्ष्मी: अन्न की देवी

धान्य लक्ष्मी का ‘धान्य’ शब्द अन्न या अनाज को दर्शाता है।

यह स्वरूप हमें यह याद दिलाता है कि सच्ची संपदा केवल नोट-सिक्के ही नहीं, बल्कि अन्न भी है।

  • महत्व: धान्य लक्ष्मी की कृपा से घर में अन्न का भंडार भरा रहता है। परिवार के सदस्यों का पोषण अच्छे से होता है और कभी भोजन की कमी नहीं होती। अथर्ववेद में अन्न को ब्रह्म स्वरूप कहा गया है।
  • किसके लिए है महत्वपूर्ण: किसानों, अन्न उत्पादन से जुड़े लोगों और उन परिवारों के लिए जहाँ अन्न की समृद्धि चाहते हैं।

4. गज लक्ष्मी: ऐश्वर्य और राजसी सुख की प्रतीक

गज लक्ष्मी का स्वरूप अत्यंत मनोहर और राजसी है।

इन्हें हाथियों द्वारा स्नान कराते हुए दर्शाया जाता है, जो ऐश्वर्य और शक्ति का प्रतीक है।

  • महत्व: गज लक्ष्मी की पूजा से सामाजिक प्रतिष्ठा, यश, कीर्ति और राजसी सुखों की प्राप्ति होती है। हरिवंश पुराण और श्रीमद्भागवत में इनका उल्लेख मिलता है। इन्हें कृषि और उर्वरता की देवी भी माना जाता है।
  • किसके लिए है महत्वपूर्ण: जो लोग समाज में मान-सम्मान, नौकरी में पदोन्नति और जीवन में ऐश्वर्य चाहते हैं।

5. संतान लक्ष्मी: संतान सुख की अधिष्ठात्री

संतान लक्ष्मी मां लक्ष्मी का वह पावन स्वरूप है जो संतान के सुख, स्वास्थ्य और उनकी दीर्घायु के लिए पूजी जाती हैं।

  • महत्व: इस स्वरूप की आराधना से संतान की प्राप्ति होती है, उनका स्वास्थ्य अच्छा रहता है और वे लंबी उम्र तक जीवित रहते हैं। स्कंद पुराण में संतान लक्ष्मी के पूजन का विशेष महत्व बताया गया है। इन्हें स्कंदमाता के समान ही संतान की रक्षा करने वाली माना गया है।
  • किसके लिए है महत्वपूर्ण: उन दंपत्तियों के लिए जिन्हें संतान सुख की कामना है या जो अपनी संतान के स्वस्थ और सुखी जीवन की कामना करते हैं।

6. वीर लक्ष्मी: साहस और पराक्रम की देवी

वीर लक्ष्मी मां लक्ष्मी का वह रौद्र और शक्तिशाली स्वरूप है जो भक्तों को आंतरिक साहस, धैर्य और पराक्रम प्रदान करती हैं।

  • महत्व: कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी व्यक्ति को हिम्मत नहीं हारने की शक्ति वीर लक्ष्मी की कृपा से मिलती है। यह स्वरूप धर्म की रक्षा के लिए युद्ध में विजय दिलाता है। महाभारत काल में इस स्वरूप का उल्लेख मिलता है।
  • किसके लिए है महत्वपूर्ण: सैनिकों, नेताओं, और उन सभी लोगों के लिए जो जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए साहस और मानसिक बल चाहते हैं।

7. विद्या लक्ष्मी: ज्ञान और शिक्षा की अधिष्ठात्री

विद्या लक्ष्मी ज्ञान, शिक्षा, कला और विद्या की देवी हैं।

यह स्वरूप हमें बताता है कि सच्चा धन तो ज्ञान है।

  • महत्व: विद्या लक्ष्मी की कृपा से विद्यार्थियों को शिक्षा के क्षेत्र में सफलता मिलती है, बुद्धि का विकास होता है और कला में निपुणता प्राप्त होती है। देवी भागवत और वेदों में इनकी स्तुति की गई है।
  • किसके लिए है महत्वपूर्ण: सभी विद्यार्थियों, शिक्षकों, कलाकारों और ज्ञान की खोज में लगे लोगों के लिए।

8. विजय लक्ष्मी: विजयश्री की देवी

विजय लक्ष्मी का नाम ही सफलता और जीत का प्रतीक है।

यह स्वरूप जीवन के हर क्षेत्र में सफलता दिलाने वाला माना गया है।

  • महत्व: विजय लक्ष्मी की आराधना से हर प्रकार के शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है, कोर्ट-कचहरी के मामलों में सफलता मिलती है और शुरू किए गए हर कार्य में सिद्धि प्राप्त होती है।
  • किसके लिए है महत्वपूर्ण: उन सभी के लिए जो किसी प्रतियोगिता, परीक्षा, व्यवसायिक सौदे या कानूनी लड़ाई में सफलता चाहते हैं।

अष्टलक्ष्मी की पूजा का महत्व और विधि

  • महत्व: अष्टलक्ष्मी की पूजा विशेष रूप से दीपावली, वसंत पंचमी और अन्य शुभ अवसरों पर की जाती है। इनकी उपासना से व्यक्ति को धर्म (धार्मिकता), अर्थ (धन), काम (इच्छाएं) और मोक्ष (मुक्ति) – ये चारों पुरुषार्थ प्राप्त होते हैं।
  • पूजा विधि: अष्टलक्ष्मी की पूजा करते समय आठ दीपक जलाएं, आठ प्रकार के फल और मिठाइयाँ चढ़ाएं। ‘अष्टलक्ष्मी स्तोत्र’ का पाठ करना अत्यंत फलदायी माना गया है। पूजा स्थल को स्वच्छ रखें और पूरे विधि-विधान से आराधना करें।

लक्ष्मी का सच्चा स्वरूप

मां लक्ष्मी के ये आठ स्वरूप हमें सिखाते हैं कि समृद्धि का अर्थ केवल पैसा कमाना नहीं है।

सच्ची समृद्धि में स्वास्थ्य, ज्ञान, साहस, संतान सुख, अन्न की प्रचुरता और आध्यात्मिक शांति सभी शामिल हैं।

इन सभी को प्राप्त करने के लिए अष्टलक्ष्मी की कृपा आवश्यक है।

इसलिए, दिवाली जैसे शुभ अवसर पर केवल महालक्ष्मी की ही नहीं, बल्कि इन आठों स्वरूपों की कृपा पाने का प्रयास करना चाहिए।

साथ ही, यह याद रखें कि मां लक्ष्मी का वास उसी घर में होता है जहां साफ-सफाई, सेवा-भाव और परिवार में प्रेम-सद्भाव होता है।

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