SIR in 12 States: Election Commission ने सोमवार को एक बड़ी घोषणा करते हुए देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में SIR की प्रक्रिया शुरू करने का ऐलान किया है।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि बिहार में इस प्रक्रिया की सफलता के बाद अब दूसरे चरण में 12 राज्यों में SIR लागू किया जाएगा।
इसके तहत इन राज्यों की मतदाता सूची (Voter List) आज रात से ही फ्रीज (Freeze) कर दी जाएगी, यानी अब इसमें तुरंत कोई नया बदलाव नहीं किया जाएगा।
Pure Electoral Rolls Strengthen Democracy #ECI
Phase 1 – #SIR Successfully Completed in Bihar with Zero Appeals
Phase 2 – To start in 12 States / UTs pic.twitter.com/EgfroWoDJZ
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राजस्थान, MP और UP समेत 12 राज्यों में होगा SIR
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने सोमवार को बताया कि आज रात से ही इन 12 राज्यों और UT की वोटर लिस्ट फ्रीज हो जाएगी।
नीचे देखें 12 राज्यों की लिस्ट जहां SIR होगा…
- मध्य प्रदेश, 2. छत्तीसगढ़, 3. राजस्थान, 4. उत्तर प्रदेश, 5. पश्चिम बंगाल, 6. तमिलनाडु
7. गोवा, 8. गुजरात, 9. केरल, 10. लक्षद्वीप, 11. अंडमान निकोबार, 12. पुडुचेरी

SIR वाले राज्यों में विधानसभा चुनाव कब
- 2026: पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु, पुडुचेरी
- 2027: गोवा, गुजरात, उत्तर प्रदेश
- 2028: छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान। अंडमान निकोबार, लक्षद्वीप में विधानसभा नहीं।
क्या है SIR, क्या है इसका मकसद?
- SIR का पूरा नाम है ‘स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन’।
- यह मतदाता सूची को अपडेट करने की एक खास और बहुत गंभीर प्रक्रिया है।
- इसका मुख्य उद्देश्य मतदाता सूची से दोहरे मतदाताओं (Duplicate Voters) के नाम हटाना, नए पात्र मतदाताओं के नाम जोड़ना और यह सुनिश्चित करना है कि सूची में नाम दर्ज हर व्यक्ति एक वास्तविक भारतीय नागरिक है, न कि कोई अवैध प्रवासी।
मुख्य चुनाव आयुक्त के अनुसार, देश के अधिकांश राज्यों में आखिरी बार यह समीक्षा 2002 से 2004 के बीच हुई थी, यानी लगभग 21 साल पहले।
Key Steps of #SIR #ECI pic.twitter.com/BicelMJrlp
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कैसे काम करेगी SIR प्रक्रिया? घर-घर जाएंगे BLO
यह प्रक्रिया पूरी तरह से जमीनी स्तर पर काम करने वाले बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) पर केंद्रित होगी।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने स्पष्ट किया कि जिन-जिन इलाकों में SIR चलाया जाएगा, वहां का हर BLO हर एक घर का दौरा करेगा और वह ऐसा तीन-तीन बार करेगा।
इस पूरी प्रक्रिया के कुछ प्रमुख चरण इस प्रकार हैं:
- विशिष्ट गणना प्रपत्र (EFs) का वितरण: सबसे पहले, निर्वाचन कर्मचारी 27 अक्टूबर, 2025 तक हर मतदाता के लिए एक विशिष्ट गणना प्रपत्र (EFs) तैयार करेंगे। इस फॉर्म में मतदाता सूची में दर्ज उसके सभी जरूरी विवरण शामिल होंगे।
- BLOs का पहला दौरा: BLO इन फॉर्म्स को लेकर हर एक पंजीकृत मतदाता के घर जाएंगे और उन्हें यह फॉर्म सौंपेंगे।
- पुराने रिकॉर्ड से मिलान में मदद: BLO मतदाताओं की उनके पिछले रिकॉर्ड से तुलना करने में मदद करेंगे। चूंकि ज्यादातर राज्यों में 2002-2004 के बीच आखिरी SIR हुआ था, इसलिए BLO मतदाताओं को उस जमाने की सूची में दर्ज उनके या उनके परिवार के सदस्यों के नाम से मिलान करने में सहायता प्रदान करेंगे। इसके लिए, मतदाता और BLO चुनाव आयोग के अखिल भारतीय डेटाबेस (https://voters.eci.gov.in/) का भी इस्तेमाल कर सकेंगे।
- दूसरा और तीसरा दौरा: सत्यापन और सुधार की प्रक्रिया को पूरा करने और किसी भी शंका का समाधान करने के लिए BLO दो बार और घर-घर जाएंगे।
Key Functionaries of #SIR#ECI pic.twitter.com/kRUQPkds6p
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इस पूरी प्रक्रिया के दौरान, 31 दिसंबर, 2025 तक जो भी व्यक्ति 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुका होगा, उसे नए मतदाता के रूप में शामिल किया जाएगा।
बिहार का सफल मॉडल और भविष्य की योजना
चुनाव आयोग ने SIR की इस पहल की शुरुआत बिहार से की थी।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बिहार के अनुभव को “कामयाब” बताया और कहा कि वहां इसके परिणाम शून्य शिकायतों के रूप में सामने आए हैं।
बिहार में लगभग 7.5 करोड़ मतदाताओं ने इस प्रक्रिया में भाग लिया।
इस सफलता के बाद, आयोग ने देश के सभी 36 राज्य निर्वाचन अधिकारियों के साथ दो बैठकें आयोजित करके इस रूपरेखा को अंतिम रूप दिया।
आयोग ने यह भी संकेत दिया कि भविष्य में पूरे देश में SIR प्रक्रिया शुरू करने पर विचार चल रहा है।
#SIRPhase2 Schedule #ECI #SIR pic.twitter.com/dkm1VHoVgj
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SIR की जरूरत क्यों पड़ी?
आंकड़े बताते हैं कि पिछले दो दशकों में मतदाताओं की संख्या में भारी इजाफा हुआ है, जिसमें दोहरे पंजीकरण और त्रुटियों की संभावना बढ़ गई है। उदाहरण के लिए:
- आंध्र प्रदेश में 2003-04 में 5.5 करोड़ मतदाता थे, जो अब बढ़कर 6.6 करोड़ हो गए हैं।
- उत्तर प्रदेश में 2003 में 11.5 करोड़ मतदाताओं की संख्या अब 15.9 करोड़ है।
- दिल्ली में 2008 में 1.1 करोड़ मतदाता थे, जबकि अब यह संख्या 1.5 करोड़ है।
इसके अलावा, अवैध प्रवासन एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है।
Need for #SIR #ECI pic.twitter.com/slrtZYvfO0
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SIR का एक प्राथमिक उद्देश्य विदेशी अवैध प्रवासियों के जन्म स्थान की जांच करके उन्हें मतदाता सूची से बाहर निकालना है, खासकर उन राज्यों में जहाँ यह समस्या अधिक गंभीर मानी जाती है।
विवाद और चुनौतियां
भले ही बिहार के SIR को आयोग ने सफल बताया, लेकिन इस पर काफी विवाद भी हुआ है।
विपक्षी दलों ने बिहार में इस प्रक्रिया के दौरान ‘वोट चोरी’ के आरोप लगाए थे और इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाया गया था।
हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग की प्रक्रिया को सही ठहराया था।
इससे पता चलता है कि यह प्रक्रिया राजनीतिक रूप से अत्यंत संवेदनशील है और आयोग पर इसे पारदर्शी और निष्पक्ष ढंग से चलाने की बड़ी जिम्मेदारी है।
List of Indicative (not Exhaustive) Documents #SIR #ECI pic.twitter.com/Pjyp85XVxr
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कुल मिलाकर, चुनाव आयोग की यह नई पहल देश की मतदाता सूचियों को और अधिक स्वच्छ, पारदर्शी और विश्वसनीय बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
BLOs द्वारा घर-घर जाकर सीधे मतदाताओं से जुड़ने की इस प्रक्रिया से न केवल खामियां दूर होंगी, बल्कि लोगों का चुनावी प्रक्रिया में विश्वास भी बढ़ेगा।


