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दिवाली के बाद खत्म नहीं हुआ त्यौहारों का सिलसिला, नवंबर में आएंगे ये फेस्टिवल

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

November vrat tyohar list: नवंबर 2025 का महीना हिंदू धर्म के लिए अत्यंत ही शुभ और महत्वपूर्ण घटनाओं से भरा हुआ है।

इस महीने देवउठनी एकादशी के साथ शुभ कार्यों की शुरुआत होगी, भगवान विष्णु चार महीने की नींद से जागेंगे और तुलसी विवाह जैसे खास पर्व मनाए जाएंगे।

आइए, नवंबर 2025 में पड़ने वाले सभी प्रमुख व्रत-त्योहारों की तिथि, महत्व और विधि के बारे में विस्तार से जानते हैं।

शुभ कार्यों की शुरुआत का संकेत: देवउठनी एकादशी

नवंबर महीने की शुरुआत ही एक बेहद महत्वपूर्ण त्योहार से हो रही है।

1 नवंबर, शनिवार को देवउठनी एकादशी (जिसे हरिप्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं) मनाई जाएगी।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योग निद्रा (गहरी नींद) से जागते हैं।

इस दिन से ही पृथ्वी पर सभी शुभ कार्यों जैसे विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन आदि की फिर से शुरुआत हो जाती है।

एकादशी का व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।

  • तिथि: 1 नवंबर 2025, शनिवार
  • महत्व: भगवान विष्णु के जागने का दिन, शुभ कार्यों की शुरुआत।

धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा का अनूठा त्योहार: तुलसी विवाह

देवउठनी एकादशी के अगले ही दिन, यानी 2 नवंबर, रविवार को तुलसी विवाह का शुभ त्योहार मनाया जाएगा।

इस दिन तुलसी के पौधे का विवाह भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप से कराया जाता है।

तुलसी के पौधे को दुल्हन की तरह सजाया जाता है और पूरे विधि-विधान से शादी की रस्में अदा की जाती हैं।

ऐसा माना जाता है कि तुलसी विवाह में शामिल होने से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है और कुंडली के विवाह संबंधी दोष दूर होते हैं।

  • तिथि: 2 नवंबर 2025, रविवार
  • महत्व: तुलसी और शालिग्राम का विवाह, दांपत्य जीवन के लिए शुभ।

पुण्य, दान और ज्ञान का पर्व: कार्तिक पूर्णिमा और गुरु नानक जयंती

5 नवंबर, बुधवार का दिन बेहद खास है क्योंकि इस दिन एक साथ तीन प्रमुख पर्व मनाए जाएंगे।

  1. कार्तिक पूर्णिमा: इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान-पुण्य और दीपदान का विशेष महत्व है। इसे ‘देव दीपावली’ के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि मान्यता है कि इस दिन देवता पृथ्वी पर आते हैं। काशी (वाराणसी) में इस दिन घाटों पर लाखों दीप जलाए जाते हैं, जो एक मनोरम दृश्य प्रस्तुत करते हैं।
  2. गुरु नानक जयंती: यह सिख समुदाय का सबसे बड़ा त्योहार है। इस दिन सिख धर्म के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी की जयंती मनाई जाती है। इस बार उनकी 556वीं जयंती है। गुरुद्वारों में विशेष कीर्तन, लंगर और नगर कीर्तन का आयोजन किया जाता है।
  3. देव दीपावली: कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही देवताओं की दीपावली मनाने की परंपरा है।
  • तिथि: 5 नवंबर 2025, बुधवार
  • महत्व: पवित्र स्नान, दान, गुरु नानक देव के प्रकाश पर्व का उत्सव।

वर्ष की पहली एकादशी: उत्पन्ना एकादशी

मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली उत्पन्ना एकादशी को वर्ष की पहली एकादशी माना जाता है।

इस बार यह 15 नवंबर, शनिवार को पड़ रही है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी दिन एकादशी देवी का प्राकट्य हुआ था।

इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से पापों का नाश होता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

  • तिथि: 15 नवंबर 2025, शनिवार
  • महत्व: वर्ष की पहली एकादशी, मनोकामना पूर्ति का दिन।

भगवान राम और माता सीता के विवाह का प्रतीक: विवाह पंचमी

25 नवंबर, मंगलवार को विवाह पंचमी मनाई जाएगी।

यह त्योहार भगवान राम और माता सीता के विवाह के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

अयोध्या और मिथिला क्षेत्र में इस दिन को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।

मान्यता है कि इस दिन का व्रत रखने और भगवान राम-सीता की पूजा करने से वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है और कुंवारे लोगों को योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति होती है।

  • तिथि: 25 नवंबर 2025, मंगलवार
  • महत्व: भगवान राम और माता सीता के विवाहोत्सव का दिन।

नवंबर 2025 के अन्य प्रमुख व्रत-त्योहारों की सूची

  • 3 नवंबर, सोमवार: सोम प्रदोष व्रत (भगवान शिव की पूजा)
  • 4 नवंबर, मंगलवार: बैकुंठ चतुर्दशी (भगवान विष्णु और शिव की संयुक्त पूजा)
  • 6 नवंबर, गुरुवार: मार्गशीर्ष मास का प्रारंभ
  • 8 नवंबर, शनिवार: संकष्टी चतुर्थी (भगवान गणेश की पूजा)
  • 12 नवंबर, बुधवार: कालभैरव जयंती (भगवान शिव के कालभैरव रूप की पूजा)
  • 17 नवंबर, सोमवार: सोम प्रदोष व्रत
  • 18 नवंबर, मंगलवार: मासिक शिवरात्रि
  • 20 नवंबर, गुरुवार: मार्गशीर्ष अमावस्या

नवंबर 2025 का यह महीना आस्था, उल्लास और नए शुभारंभ का साक्षी बनेगा।

इन सभी तिथियों और व्रतों का पालन करके भक्त जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की कामना कर सकते हैं।

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