उज्जैन। शिप्रा नदी में गंदे नाले का पानी मिलाने के विरोध में तराना से कांग्रेस विधायक और उज्जैन लोकसभा सीट से उम्मीदवार महेश परमार नदी में बहने वाले नाले के पानी में बैठ गए।
परमार इतने पर ही नहीं रूके। उन्होंने नदी में मिल रहे गंदे पानी में डुबकी भी लगाई और आचमन कर विरोध दर्ज कराया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उज्जैन की शिप्रा नदी में सोमवार की शाम साढ़े 6 बजे से ही नाले का गंदा पानी गिर रहा है और इसे रोकने का कोई उपाय नहीं किया गया है।
कांग्रेस विधायक महेश परमार ने कहा कि
ये लड़ाई राजनीतिक नहीं, हमारे गौरव और अस्तित्व की है। पिछले 20 साल से मध्य प्रदेश में और 10 साल से देश में भाजपा की सरकार है। लगातार सालों से इनके सांसद, विधायक और महापौर हैं। भाजपा और शासन-प्रशासन के लोग हमें कलंकित कर रहे हैं। 500 करोड़ खर्च करने के बाद भी ये स्थिति है फिर से 600 करोड़ का नया बजट आया है। हमारे भाजपा के सांसद पिछले 5 साल में यहां एक बार भी नहीं आए हैं। धर्म के नाम पर राजनीति करने वाले लोग कहां हैं? 40-50 लाख इंदौर वासियों का मल-मूत्र रोज इसमें मिलता है।
भाजपा के एजेंट बन गए हैं कलेक्टर
उन्होंने उज्जैन कलेक्टर पर आरोप लगाते हुए कहा कि कलेक्टर साहब कह रहे हैं कि पीने के पानी की पाइपलाइन फूटी है। वे भाजपा के एजेंट बन गए हैं।
कसा तंज, कहा- दिख रहा है सांसद का विकास
भाजपा अनिल फिरोजिया को लेकर उन्होंने कहा कि सांसद अनिल फिरोजिया का विकास दिख रहा है। वे बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, 5 लाख पार (वोट से जीत का दावा), भगवान महाकाल और मां शिप्रा उन्हें शिप्रा से पार कर देंगी।
इस कारण मिल रहा गंदा पानी
सोमवार शाम साढ़े 6 बजे रामघाट क्षेत्र सिंह द्वार के पास पीएचई की 750 एमएम की मेन राइजिंग पाइपलाइन (गंभीर वाली) लीकेज हो गई थी। तेजी से बहे पानी से 1600 एमएम की सीवरेज पाइपलाइन के चैंबर ओवरफ्लो हो गए। तब से ही शिप्रा में लगातार गंदा पानी मिल रहा है।
सनातन की बात करने वाले मां शिप्रा को शुद्ध नहीं कर पाए
कांग्रेस विधायक परमार ने कहा कि मां शिप्रा अशुद्ध हो रही हैं। सीएम ने मां शिप्रा को शुद्ध करने की शपथ ली थी। टिकट मिलने पर डुबकी लगाई थी। 600-1000 करोड़ खर्च हो गए। बात सनातन, महाकाल और प्रभु श्रीराम की करते हैं, मां शिप्रा को शुद्ध नहीं कर पाए।
कमलनाथ ने गलती पर संभागायुक्त-कलेक्टर को हटाया था
कमलनाथ सरकार की तारीफ करते हुए विधायक परमार ने कहा कि जब कमलनाथ सरकार थी, तब शनिचरी अमावस्या के स्नान के दिन गलती होने पर संभागायुक्त और कलेक्टर को हटा दिया गया था, कर्मचारियों पर बड़ी कार्रवाई की गई थी। मुख्यमंत्री जी दृढ़ इच्छाशक्ति दिखाइए।
जानकारी के लिए बता दें कि 2019 में शनिचर अमावस्या पर शिप्रा में गंदा पानी मिलने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कलेक्टर और कमिश्नर दोनों को हटा दिया था।
अधिकारी बोले- साफ पानी है, हल्का सा कचरा है
पीएचई के असिस्टेंट इंजीनियर एनके भास्कर ने शिप्रा में गंदा पानी मिलने के सवाल पर कहा कि गंदा पानी नहीं है। पीने के पानी की पाइपलाइन लीकेज हुई है। यही पानी ओवरफ्लो हुआ है। कचरा और बदबूदार पानी के सवाल पर उनका कहना था कि हल्का सा कचरा है।
दूसरी तरफ, उज्जैन कलेक्टर नीरज सिंह की ओर से प्रेस नोट जारी कर कहा गया है कि पानी गंभीर नदी की पाइपलाइन का है। वहीं, विधायक परमार ने कलेक्टर की शिकायत निर्वाचन आयोग से करने की बात कही है।