Gopichand P. Hinduja: भारतीय मूल के दिग्गज उद्योगपति और हिंदुजा समूह के अध्यक्ष गोपीचंद परमानंद हिंदुजा का सोमवार, 4 नवंबर को लंदन के एक अस्पताल में 85 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
वे कई हफ्तों से बीमार चल रहे थे और अस्पताल में भर्ती थे।
उनके निधन से उद्योग जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।
गोपीचंद हिंदुजा, जिन्हें व्यापारिक हलकों में प्यार से ‘जीपी’ कहा जाता था, ने हिंदुजा समूह को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई थी।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा: मुंबई की गलियों से निकला सफर
गोपीचंद हिंदुजा का जन्म 29 जनवरी, 1940 को सिंध (जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है) के एक सिंधी व्यापारिक परिवार में हुआ था।
उनके पिता, परमानंद दीपचंद हिंदुजा ने 1914 में हिंदुजा समूह की नींव रखी थी और बाद में 1919 में व्यापार का विस्तार ईरान तक किया था।

गोपीचंद का बचपन मुंबई की गलियों में बीता, जहां उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की।
उन्होंने मुंबई के जय हिन्द कॉलेज से स्नातक (ग्रेजुएशन) की डिग्री प्राप्त की।
शिक्षा के प्रति उनके लगन और व्यापार में योगदान को देखते हुए बाद में लंदन की वेस्टमिंस्टर विश्वविद्यालय ने उन्हें मानद डॉक्टरेट ऑफ लॉ और रिचमंड कॉलेज ने मानद डॉक्टरेट ऑफ इकोनॉमिक्स की उपाधि से सम्मानित किया।
पारिवारिक व्यवसाय में प्रवेश
गोपीचंद हिंदुजा ने 1959 में ही स्नातक करने के बाद पारिवारिक व्यवसाय में कदम रख दिया।
उस समय समूह का मुख्यालय मुंबई में था।
वे अपने तीन भाइयों श्रीचंद, प्रकाश और अशोक के साथ मिलकर काम करते थे।
चारों भाई शाकाहारी थे और शराब से दूर रहते थे।
उनकी यही सादगी और एकजुटता उनकी सफलता का एक बड़ा रहस्य थी।

लंदन स्थानांतरण
1979 में ईरान में हुई इस्लामिक क्रांति ने परिवार के व्यवसाय को एक बड़ा झटका दिया।
इस घटना के बाद परिवार ने अपना मुख्यालय मुंबई से लंदन स्थानांतरित कर लिया।
गोपीचंद हिंदुजा लंदन में बस गए और उन्होंने हिंदुजा ऑटोमोटिव लिमिटेड की कमान संभाली।
यह कदम हिंदुजा समूह के लिए एक स्थानीय व्यापार से वैश्विक साम्राज्य में तब्दील होने की शुरुआत साबित हुई।

1980 का दशक: दो बड़े अधिग्रहण और वैश्विक विस्तार
1980 का दशक गोपीचंद हिंदुजा के नेतृत्व में समूह के लिए सुनहरा दौर साबित हुआ। इस दशक में दो ऐतिहासिक अधिग्रहणों ने समूह की दिशा ही बदल दी:
- 1984 में गल्फ ऑयल का अधिग्रहण: इस सौदे ने हिंदुजा समूह को ऊर्जा क्षेत्र में एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया।
- 1987 में अशोक लेलैंड का अधिग्रहण: यह भारत में NRI (अनिवासी भारतीय) का पहला बड़ा निवेश माना जाता था। आज अशोक लेलैंड भारत की प्रमुख वाणिज्यिक वाहन निर्माता कंपनियों में से एक है। हिंदुजा ऑटोमोटिव का टर्नओवर 2021 में लगभग 2 अरब यूरो (करीब 23,187 करोड़ रुपये) तक पहुंच गया था।
48 से अधिक देशों में फैला है व्यापार
गोपीचंद के नेतृत्व में समूह ने ऊर्जा और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में भी जबरदस्त विस्तार किया और भारत में बड़े पैमाने पर बिजली संयंत्र स्थापित किए।
आज हिंदुजा समूह का व्यापार दुनिया के 48 से अधिक देशों में फैला है और इसके व्यवसायों में बैंकिंग, वित्त, आईटी, स्वास्थ्य सेवा, रियल एस्टेट, मीडिया और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
समूह लगभग 2 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करता है।

पारिवारिक जीवन और विरासत
गोपीचंद हिंदुजा का विवाह सुनीता हिंदुजा से हुआ था।
इस दंपति के दो बेटे, संजय और धीरज, और एक बेटी, रीता हैं।
उनके बड़े बेटे संजय हिंदुजा की शादी 2015 में उदयपुर की डिजाइनर अनु महतानी से हुई थी।
इस भव्य शादी समारोह में लगभग 15 मिलियन पाउंड (करीब 154 करोड़ रुपये) का खर्च आया था और इसमें अंतरराष्ट्रीय सितारे जेनिफर लोपेज और निकोल शेरजिंगर ने अपने परफॉर्मेंस से समा बांधा था।

गोपीचंद हिंदुजा ने अपने 75वें जन्मदिन पर एक अलग ही राह पकड़ी।
उन्होंने कोई भव्य पार्टी करने की बजाय परिवार के साथ ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन आश्रम और हरिद्वार में तीन दिवसीय आध्यात्मिक शिविर में भाग लिया। इसी मौके पर ‘ब्लेसिंग्स’ नामक एक किताब भी रिलीज की गई।
मई 2023 में अपने बड़े भाई श्रीचंद हिंदुजा के निधन के बाद गोपीचंद हिंदुजा ने हिंदुजा समूह के अध्यक्ष का पदभार संभाला था।
उनके नेतृत्व, व्यावसायिक सूझ-बूझ और अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण ने समूह को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
उनका निधन न केवल हिंदुजा परिवार, बल्कि भारतीय उद्योग जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है।


