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मिर्जापुर रेल हादसा: कालका मेल से कटकर 6 महिलाओं की मौत, जानें कैसे हुआ ये भीषण हादसा

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Mirzapur train accident: उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के चुनार रेलवे स्टेशन पर बुधवार सुबह एक दर्दनाक रेल हादसा हो गया, जिसमें 6 महिला यात्रियों की मौत हो गई।

ये सभी यात्री कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर गंगा स्नान करने जा रहे थे।

हादसा तब हुआ जब वे रेलवे ट्रैक पार कर रहे थे और उसी समय गुजर रही कालका मेल एक्सप्रेस की चपेट में आ गए।

घटना इतनी भीषण थी कि मृतकों के शरीर के अंग ट्रैक पर करीब 50 मीटर तक बिखरे पाए गए।

यह देश के अंदर अगले 24 घंटों में हुआ दूसरा बड़ा रेल हादसा है।

इससे पहले, छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में एक मेमो ट्रेन के मालगाड़ी से टकरा जाने से 11 लोगों की मौत हो गई थी।

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मुआवजे की घोषणा

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया और मृतकों के परिवारों को 2-2 लाख रुपये की तत्काल आर्थिक सहायता देने की घोषणा की।

उन्होंने अधिकारियों को मौके पर पहुंचकर राहत और बचाव कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए।

कैसे हुआ भीषण हादसा? 

बुधवार सुबह लगभग 9:30 बजे चोपन से आने वाली एक पैसेंजर ट्रेन चुनार रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 4 पर रुकी।

ट्रेन से उतरे श्रद्धालुओं का एक समूह गंगा घाट की ओर जल्दी पहुंचने के लिए पैदल ही ट्रैक पार करने लगा।

चूंकि स्टेशन पर कार्तिक पूर्णिमा के कारण भारी भीड़ थी, कुछ यात्री गलत दिशा से, यानी सीधे ट्रैक पर उतरकर, प्लेटफॉर्म नंबर 3 की ओर बढ़े।

उसी समय, प्लेटफॉर्म नंबर 3 के रास्ते से कालका मेल एक्सप्रेस तेज रफ्तार से गुजरनी थी।

ट्रैक पर लाशें और शरीर के अंग बिखरे 

चुनार में इस ट्रेन का कोई स्टॉपेज नहीं है, इसलिए इसकी गति 60 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक थी।

अचानक ट्रेन को आता देख यात्री घबरा गए।

पुरुष तेजी से दौड़कर प्लेटफॉर्म पर चढ़ने में सफल रहे, लेकिन महिलाएं ऐसा नहीं कर पाईं और ट्रेन की सीधी चपेट में आ गईं।

ट्रेन के गुजरते ही ट्रैक पर लाशें और शरीर के अंग बिखरे पड़े थे।

कौन थीं मृतक? पूरा गांव शोक में डूबा

रेलवे पुलिस (जीआरपी) द्वारा पुष्टि किए गए सभी छह मृतक महिलाएं हैं।

इनमें मिर्जापुर जिले के राजगढ़ थाना क्षेत्र के खमरिया गांव की पांच और सोनभद्र जिले की एक महिला शामिल हैं।

खमरिया गांव से ही 15 से अधिक श्रद्धालु इस यात्रा पर निकले थे।

पांच लोगों की एक साथ मौत की खबर से पूरा गांव सदमे और शोक में डूब गया है।

मृतकों की पहचान इस प्रकार है:

  • सविता (28) – पति राजकुमार
  • साधना (15) – पिता विजय शंकर
  • शिवकुमारी (17) – पिता विजय शंकर (साधना और शिवकुमारी सगी बहनें हैं)
  • अंजू देवी (20) – पिता श्यामा प्रसाद
  • सुशीला देवी (60)
  • कलावती देवी (50) – सोनभद्र निवासी, पति जनार्दन यादव

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जांच का ऐलान

हादसे की खबर मिलते ही प्रशासनिक और राजनीतिक स्तर पर फौरन प्रतिक्रिया हुई।

यूपी सरकार के मंत्री संजीव गौड़ और जिला मजिस्ट्रेट पवन गंगवार मौके पर पहुंचे।

उन्होंने मृतकों के परिजनों से संवाद किया और हर संभव मदद का आश्वासन दिया।

प्लेटफॉर्म पर सुरक्षा इंतजामों को लेकर सवाल उठने पर मंत्री गौड़ ने कहा कि यह जांच का विषय है।

वहीं, जीआरपी के एसपी प्रशांत वर्मा ने बताया कि पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगी थी, लेकिन कुछ यात्री विपरीत दिशा से उतर गए थे। यदि किसी की लापरवाही पाई जाती है तो कार्रवाई की जाएगी।

क्या सवाल खड़े कर रही है यह त्रासदी?

यह दुर्घटना कुछ गंभीर सवालों को जन्म देती है:

  1. सुरक्षा इंतजाम: चूंकि कार्तिक पूर्णिमा जैसे बड़े धार्मिक अवसर पर स्टेशन पर भीड़ की आशंका पहले से होती है, क्या रेलवे और पुलिस प्रशासन ने पर्याप्त और प्रभावी क्रोव्ड मैनेजमेंट प्लान नहीं बनाया था?
  2. ट्रेन की गति: भीड़भाड़ वाले स्टेशन से गुजरने वाली ऐसी ट्रेनें, जिनका वहां स्टॉपेज नहीं है, क्या उनकी गति को अस्थायी रूप से कम करने के निर्देश होते हैं? क्या इस पर विचार नहीं किया गया?
  3. जनजागरूकता: यात्रियों को ट्रैक पार न करने की हिदायत देने और उन्हें सही रास्ता दिखाने के लिए पर्याप्त साइनबोर्ड और स्टाफ की ड्यूटी थी या नहीं?

टाली जा सकती थी दुर्घटना

मिर्जापुर की यह रेल दुर्घटना सामूहिक लापरवाही और व्यवस्था में खामी का एक बड़ा उदाहरण है।

यह घटना एक चेतावनी है कि सार्वजनिक सुरक्षा और यातायात प्रबंधन के मामले में कोई कोताही बर्दाश्त नहीं की जा सकती।

आवश्यकता इस बात की है कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सख्त नीतिगत और व्यवहारिक बदलाव किए जाएं।

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