What is Land Pooling Act: उज्जैन में साल 2028 में होने वाले सिंहस्थ कुंभ महापर्व की तैयारियों को लेकर एक बड़ा और अहम फैसला सामने आया है।
मध्य प्रदेश सरकार ने विवादास्पद ‘लैंड पुलिंग एक्ट’ (Land Pooling Act) को वापस लेने का ऐलान कर दिया है।
इस फैसले ने उज्जैन और आसपास के हजारों किसानों के चेहरे पर मुस्कान ला दी है, जो लगभग 8 महीने से इस योजना के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे।
आइए जानते हैं कि आखिर यह लैंड पुलिंग योजना थी क्या, क्यों इसे लेकर विवाद था और अब आगे क्या होगा?

क्या थी लैंड पुलिंग योजना?
सरकार ने सिंहस्थ 2028 के लिए एक स्थायी और विश्वस्तरीय आधारभूत ढांचा तैयार करने के मकसद से यह योजना बनाई थी।
इसके तहत उज्जैन के सिंहस्थ मेला क्षेत्र में करीब 2378 हेक्टेयर (लगभग 2 हजार 376 हेक्टेयर) भूमि को इस योजना में शामिल किया जाना है।
इस योजना के मुख्य प्रावधान कुछ इस तरह थे:
- 50-50 का फॉर्मूला: किसान की जमीन का 50% हिस्सा सरकार (उज्जैन विकास प्राधिकरण) ले लेती और बाकी 50% हिस्सा किसान के पास ही रहता।
- मुआवजे का अभाव: जमीन देने पर किसानों को कोई नकद मुआवजा नहीं दिया जाता।
- निर्माण पर पाबंदी: किसान अपने बचे हुए 50% हिस्से पर केवल सीमित गतिविधियां ही कर सकता था, बड़े निर्माण की इजाजत नहीं थी।
- सरकारी हिस्से पर विकास: सरकार के पास गए 50% जमीन के हिस्से पर स्थायी सड़कें, सीवरेज सिस्टम, पार्क, पार्किंग, अस्पताल, स्कूल जैसे निर्माण किए जाने थे।
सरकार का सपना था कि इस योजना के जरिए उज्जैन में एक ‘हाई-टेक कुंभ सिटी’ या ‘स्पिरिचुअल सिटी’ विकसित की जाए, जहां हर 12 साल बाद लगने वाले सिंहस्थ के दौरान आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं मिल सकें।
हालांकि, यह सपना किसानों को रास नहीं आया।
#WATCH ‘Kisan ki baddua mat lo,’ farmers stage protest against land pooling scheme in Ujjain#ujjan #FarmersProtest pic.twitter.com/KgUzSaG5K9
— Free Press Madhya Pradesh (@FreePressMP) April 23, 2025
क्यों कर रहे थे किसान विरोध?
लैंड पुलिंग योजना का किसानों ने जमकर विरोध किया। उनकी मुख्य मांगें और चिंताएं इस प्रकार थीं:
- जमीन पर मालिकाना हक खत्म: किसानों को डर था कि उनकी जमीन का आधा हिस्सा देने के बाद भी बची हुई जमीन पर उनका पूरा अधिकार नहीं रहेगा। उन पर पाबंदियां लग जाएंगी।
- मुआवजा न मिलना: जमीन सरकार दे रहे हैं, लेकिन उसके बदले में उन्हें कोई आर्थिक मुआवजा नहीं मिल रहा था, जो उनके लिए सबसे बड़ा मुद्दा था।
- स्थायी निर्माण का विरोध: किसान नहीं चाहते थे कि उनकी कृषि भूमि पर स्थायी कंक्रीट के निर्माण हों। वे चाहते थे कि सिंहस्थ जैसे त्योहारों के लिए अस्थायी व्यवस्था की जाए, जैसा पारंपरिक रूप से होता आया है।
- भविष्य की चिंता: किसानों को लगता था कि यह योजना उनकी आने वाली पीढ़ियों की आजीविका छीन लेगी।
इस विरोध के चलते भारतीय किसान संघ और किसान संघर्ष समिति लगातार आंदोलन कर रहे थे।
उन्होंने ‘घेरा डालो-डेरा डालो’ जैसे आंदोलन की घोषणा भी कर दी थी, जिसके तहत किसान परिवार सहित कलेक्ट्रेट पर डेरा डालने वाले थे।
इसी बढ़ते दबाव के बीच मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को कदम पीछे खींचने पड़े।
सिंहस्थ–2028 का आयोजन न केवल उज्जैन, बल्कि संपूर्ण मध्यप्रदेश के लिए गौरव एवं प्रतिष्ठा का विषय है। देश-विदेश से पधारने वाले श्रद्धालुओं के लिए उत्कृष्ट, सुरक्षित एवं सुव्यवस्थित व्यवस्थाएँ सुनिश्चित की जा रही हैं।
साधु-संतों के मार्गदर्शन में सिंहस्थ को भव्य एवं दिव्य स्वरूप… pic.twitter.com/29OkjXAiFl
— Chief Minister, MP (@CMMadhyaPradesh) November 18, 2025
कैसे हुई लैंड पुलिंग योजना की वापसी?
सोमवार की रात यह पूरा मामला सुलझा। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भोपाल में भारतीय किसान संघ के पदाधिकारियों के साथ दो घंटे चली एक उच्च-स्तरीय बैठक की।
इस बैठक में सीएस अनुराग जैन, संभागायुक्त, कलेक्टर और BJP प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल भी मौजूद थे।
बैठक में किसान नेताओं ने अपनी मांगों पर अड़े रहने का दबाव बनाया। अंततः सरकार ने घोषणा की कि:
- सिंहस्थ क्षेत्र के लिए लैंड पुलिंग एक्ट समाप्त किया जा रहा है।
- उज्जैन सिंहस्थ क्षेत्र से संबंधित टाउनशिप योजनाओं (TDS) का गजट नोटिफिकेशन रद्द किया जाएगा।
- किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएंगे।
- सिंहस्थ क्षेत्र में कोई स्थायी निर्माण नहीं होगा।
इस फैसले की घोषणा होते ही उज्जैन में किसानों ने खुशी का इजहार किया।
उन्होंने आतिशबाजी की, ढोल बजाकर नाचते हुए जश्न मनाया और सिंहस्थ भूमि से मिट्टी लेकर भूमि देवी के मंदिर में अर्पित की।
#WATCH | Bhopal, Madhya Pradesh | Bharatiya Kisan Sangh President Kamal Singh Anjana says, “…Today is a great occasion that the Simhastha land pooling notification has been rescinded… This is a matter of great joy. It is also a matter of great happiness for Ujjain that… pic.twitter.com/boYk2ZGTTf
— ANI MP/CG/Rajasthan (@ANI_MP_CG_RJ) November 18, 2025
सहमति और मुआवजे के साथ बनेगी सड़क
लैंड पुलिंग एक्ट के रद्द होने के बाद अब सवाल उठ रहा है कि सिंहस्थ 2028 की तैयारियां कैसे होंगी?
सरकार और प्रशासन ने इसका एक नया रोडमैप तैयार किया है:
- सड़क निर्माण जारी रहेगा: अब 50 किलोमीटर लंबी और 18 मीटर चौड़ी एक सीमेंटेड सड़क बनाई जाएगी। इसके लिए लगभग 125 हेक्टेयर भूमि की जरूरत होगी।
- भूमि अधिग्रहण अब नए नियमों से: इस सड़क के लिए जमीन अब लैंड पुलिंग के बजाय भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत ली जाएगी। इसका मतलब है कि किसानों को उनकी जमीन का पूरा मुआवजा मिलेगा। अनुमान है कि करीब 250 करोड़ रुपये का मुआवजा वितरित किया जाएगा।
- सहमति को प्राथमिकता: प्रशासन का कहना है कि वह पहले किसानों की सहमति से जमीन लेगा। अगर कोई किसान सहमत नहीं होता, तभी भूमि अधिग्रहण अधिनियम के प्रावधान लागू होंगे।
- अस्थायी निर्माण ही: अब सिंहस्थ क्षेत्र में सभी अखाड़ों और संस्थाओं को केवल अस्थायी निर्माण की ही अनुमति होगी। स्थायी निर्माण पर पूरी तरह रोक रहेगी।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने स्पष्ट किया कि, “सिंहस्थ दिव्य, भव्य और विश्वस्तरीय होगा। हम साधु-संतों और किसानों की भावनाओं का पूरी तरह से सम्मान करेंगे। अब सभी कार्य सहमति से किए जाएंगे।”
राजनीतिक रिएक्शन: कांग्रेस ने उठाए सवाल
जहां एक तरफ किसान जश्न मना रहे हैं, वहीं विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले पर सवाल खड़े किए हैं।
कांग्रेस नेताओं ने पूछा है कि जिस योजना को विधानसभा में सही बताया गया था, उसे अचानक वापस लेने का आधार क्या है?
उन्होंने यह भी मांग की है कि सरकार स्पष्ट करे कि क्या यह एक्ट सिर्फ उज्जैन के लिए रद्द हुआ है या पूरे प्रदेश से इसे खत्म किया गया है।
मध्य प्रदेश सरकार का लैंड पुलिंग एक्ट वापस लेना किसानों की एक बड़ी जीत मानी जा रही है।
यह फैसला न सिर्फ उज्जैन के किसानों के लिए, बल्कि पूरे प्रदेश में भूमि अधिग्रहण की नीतियों पर चल रही बहस के लिए एक अहम मिसाल कायम करता है।


