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बंदर बनकर विधानसभा पहुंचे कांग्रेस विधायक: फसल मुआवजे को लेकर हंगामा, विपक्ष का वॉकआउट

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

MP Vidhan Sabha Monkey Protest: भोपाल में मध्यप्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन गुरुवार को किसानों को फसल मुआवजा न मिलने के मुद्दे पर जबर्दस्त हंगामा हुआ।

विपक्षी कांग्रेस ने मंत्री के जवाब से असंतुष्ट होकर सदन से वॉकआउट किया और विधानसभा परिसर में नारेबाजी की।

सत्र शुरू होने से पहले ही एक कांग्रेस विधायक ने बंदर के हुलिए में हाथ में उस्तरा लेकर सरकार पर करारा तंज किया।

बंदर बने विधायक और हाथ में उस्तरा लेकर प्रदर्शन

सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले जुन्नारदेव से कांग्रेस विधायक सुनील उईके खाद समेत कई मुद्दों को लेकर अनूठा प्रदर्शन करते नजर आए।

वह हाथ में पोस्टर लेकर बंदर के वेश में विधानसभा पहुंचे।

उनके हाथ में एक उस्तरा भी दिखा, जिसे उन्होंने सरकार और सिस्टम का प्रतीक बताया।

इस दौरान नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार भी मौजूद रहे।

ये प्रदर्शन सदन में चर्चा का विषय रहा।

उमंग सिंघार ने कहा कि “ये बंदर के हाथ में उस्तरा…कहावत का सांकेतिक प्रदर्शन है।

भाजपा सरकार के हाथ में सत्ता का उस्तरा आ जाने से वह प्रदेश की जनता के हितों को लगातार चोट पहुंचा रही है।

बंदर रूपी भाजपा सरकार के हाथ में उस्तरा आ गया है, और वह युवाओं के रोजगार, प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था, कानून-व्यवस्था और किसानों के अधिकारों पर बेरहमी से उस्तरा चला रही है।”

“16,000 रुपये प्रति हेक्टेयर मुआवजा नहीं मिला”, मंत्री के जवाब से नाराज विपक्ष

सदन की औपचारिक कार्यवाही शुरू होने के बाद कांग्रेस विधायकों ने खराब फसलों के मुआवजे का मुद्दा जोरशोर से उठाया।

श्योपुर के विधायक बाबू जंडेल ने आरोप लगाया कि उनके जिले के किसानों के खाते में अतिवृष्टि (बाढ़) से हुए नुकसान की राहत राशि नहीं पहुंची है।

उन्होंने कहा कि प्रति हेक्टेयर 16,000 रुपये के हिसाब से मुआवजा दिए जाने की घोषणा की गई थी, लेकिन अभी तक किसानों के खातों में पैसा नहीं आया है।

इस पर राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा ने जवाब दिया कि कुछ खातों में राशि नहीं पहुंची है, जिसे जल्दी पहुंचा दिया जाएगा। हालांकि, यह जवाब कांग्रेस विधायकों को संतुष्ट नहीं कर सका।

उनका आरोप था कि सरकार इस मामले में स्पष्ट जवाब देने से बच रही है।

इसके बाद कांग्रेस के सदस्यों ने सदन से वॉकआउट कर दिया और बाहर ‘किसानों का मुआवजा दो’ जैसे नारे लगाए।

CM मोहन का पलटवार, पुरानी और नई सरकार के मुआवजे का जिक्र

हंगामे के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा कि उनकी सरकार किसान हितैषी है।

उन्होंने दावा किया कि पिछली कांग्रेस सरकार में जनहानि (मृत्यु) पर 50,000 रुपये दिए जाते थे, जबकि अब उनकी सरकार 4 लाख रुपये दे रही है।

इसी तरह पशु हानि पर ढाई लाख रुपये और प्रति हेक्टेयर फसल मुआवजा 4,000 रुपये के बजाय अब 16,000 रुपये दिया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार किसानों के हित में लगातार काम कर रही है।

10 बच्चों से कम वाले स्कूल होंगे दूसरे स्कूलों में मर्ज

इस सत्र में एक और महत्वपूर्ण घोषणा स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने की।

उन्होंने बताया कि राज्य में 10 से कम बच्चों वाले सरकारी स्कूलों को 1 किलोमीटर के दायरे में स्थित बड़े स्कूलों में मर्ज (विलय) किया जाएगा।

इसका उद्देश्य संसाधनों का बेहतर उपयोग करना और शिक्षा की गुणवत्ता सुधारना है।

इन छोटे स्कूलों के शिक्षकों को दूरस्थ इलाकों के खाली पड़े स्कूलों में तैनात किया जाएगा।

13,476 करोड़ के अनुपूरक बजट पर होगी चर्चा

आज विधानसभा में 13,476 करोड़ 94 लाख रुपये के दूसरे अनुपूरक बजट पर चर्चा होनी है। इसमें कई विभागों के लिए अतिरिक्त धनराशि का प्रावधान है:

  • खाद्य विभाग: समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए 2001 करोड़ रुपये।
  • नर्मदा घाटी विकास: सरदार सरोवर परियोजना के डूब क्षेत्र के भू अर्जन के लिए 600 करोड़।
  • लोक निर्माण विभाग: भू अर्जन और मुआवजे के लिए 300 करोड़।
  • स्कूल शिक्षा: पीएम जनमन (समग्र शिक्षा) के लिए 122 करोड़।
  • नगरीय विकास: अमृत 2.0 योजना के लिए विभिन्न शहरों हेतु कुल 365 करोड़ रुपये।

इन सभी मुद्दों के बीच विधानसभा का शीतकालीन सत्र गर्मागर्म बहस और राजनीतिक घमासान का गवाह बना हुआ है।

किसान मुद्दा इस सत्र का केंद्रीय विषय बना हुआ है और आने वाले दिनों में भी चर्चा जारी रहने की उम्मीद है।

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