Congress MLA Court Notice: मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और दो अन्य कांग्रेस विधायकों को MP MLA (मध्य प्रदेश विधायक अधिकार) कोर्ट, जबलपुर से नोटिस मिला है।
उन पर एक सरकारी अधिकारी के खिलाफ झूठे आरोप लगाने और मानहानि करने का मामला दर्ज है।
कोर्ट ने तीनों नेताओं को 16 जनवरी 2026 को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया है।
तीन विधायकों पर मानहानि का मुकदमा: क्या है पूरा मामला?
यह विवाद नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) के जिला कार्यक्रम प्रबंधक (डीपीएम) विजय पांडे की नियुक्ति को लेकर है।
अगस्त 2025 में, विपक्ष के नेताओं ने पांडे पर आरोप लगाया था कि उन्होंने नौकरी पाने के लिए फर्जी अंकसूची (मार्कशीट) का इस्तेमाल किया है।
इस आरोप को लेकर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और 5 अगस्त 2025 को विधानसभा में हंगामा करते हुए कांग्रेस दल ने वॉकआउट किया था।

इस घटना के बाद, एनएचएम की तत्कालीन संचालक सलोनी सिडाना ने विजय पांडे को पद से हटा दिया था।
हालांकि, बाद में हुई विभागीय जांच और एमपी शिक्षा बोर्ड की पड़ताल में यह बात सामने आई कि विजय पांडे की अंकसूची पूरी तरह से सही और वैध है।
जांच में कांग्रेस नेताओं के सभी आरोप गलत और निराधार पाए गए।
इसके बाद, पांडे ने MP MLA कोर्ट में विपक्ष के नेताओं के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया।
कोर्ट का कड़ा रुख: अब नेताओं को पेश होना होगा
मामले की सुनवाई करते हुए MP MLA कोर्ट ने एक कड़ा रुख अपनाया है।
कोर्ट ने नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के अलावा, विधायक अजय सिंह ‘राहुल’ और विधायक लखन घनघोरिया को नोटिस जारी किया है।
इन सभी तीनों नेताओं को 16 जनवरी 2026 को कोर्ट में शारीरिक रूप से हाजिर होकर जवाब देना होगा।
यह नोटिस कांग्रेस के लिए एक बड़ी कानूनी चुनौती बन गया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सरकार को घेरने के लिए बिना ठोस सबूतों के आरोप लगाने की रणनीति अब विपक्ष के लिए ही मुसीबत बन सकती है।
राजनीतिक और कानूनी पेचीदगियां
यह मामला महज एक कानूनी नोटिस से कहीं आगे जाता है।
यह सवाल उठाता है कि विधायकों की संसदीय विशेषाधिकार (पार्लियामेंटरी प्रिविलेज) की सीमाएं क्या हैं और क्या विधायक किसी नागरिक के खिलाफ बिना पुख्ता सबूतों के सार्वजनिक रूप से आरोप लगा सकते हैं।
विजय पांडे का पक्ष है कि उनकी प्रतिष्ठा को झूठे आरोपों से गंभीर नुकसान पहुंचा है, जिसके लिए नेताओं को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।
इस मामले का असर मध्य प्रदेश की राजनीति पर भी पड़ेगा।
विपक्ष अब एक ऐसे मुकदमे का सामना कर रहा है जहां उनके द्वारा लगाए गए आरोप आधिकारिक जांच में झूठे साबित हो चुके हैं।
कोर्ट का अगला फैसला न सिर्फ इन नेताओं के भविष्य, बल्कि भविष्य में विधायकों की जिम्मेदारी और आचरण पर भी असर डालेगा।
पूरा राजनीतिक गलियारा अब 16 जनवरी की पेशी और कोर्ट के आगे के निर्देशों पर नजर गड़ाए हुए है।


