Who Is Ahmed Al Ahmed: सिडनी का बॉन्डी बीच आमतौर पर खुशनुमा माहौल के लिए जाना जाता है लेकिन रविवार 14 दिसंबर की शाम ये खूबसूरत जगह एक भयानक हमले का गवाह बन गई।
यहूदी समुदाय के हनुक्का त्योहार के जश्न में डूबे सैकड़ों लोग अचानक ताबड़तोड़ गोलीबारी की आवाजों से सहम गए।
दो हथियारबंद हमलावरों ने निर्दोष लोगों पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई और दर्जनों घायल हो गए।
इस कोहराम के बीच एक शख्स ने अपनी जान दांव पर लगाकर एक आतंकी पर हमला कर दिया, जिसकी वजह से आज पूरी दुनिया उसे ‘हीरो’ कह रही है।
उस शख्स का नाम है – अहमद अल अहमद। जिसकी चर्चा इस वक्त पूरी दुनिया में हो रही है।

आइए जानते हैं अहमद की पूरी कहानी, वो कौन हैं, कहां से आया और कैसे इस हमले में लोगों की जान बचाई?
15 सेकंड में 44 साल के अहमद ने दिखाई जांबाजी
जिस वक्त हर कोई जान बचाने के लिए छिपने और भागने में लगा था, 44 वर्षीय अहमद अल अहमद ने एक अलग ही राह चुनी।
सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक 15 सेकंड के वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि कैसे अहमद पहले एक कार के पीछे छिपे हैं, फिर अचानक बाहर निकलकर एक हमलावर (जिसे बाद में साजिद अकरम पहचाना गया) की ओर दौड़ पड़ते हैं।
बिना किसी हथियार के, पीछे से झपट्टा मारकर वह उसकी गर्दन पकड़ लेते हैं, उसकी राइफल छीनकर जमीन पर गिरा देते हैं और फिर उसी राइफल को हमलावर की तरफ तान देते हैं।
After Brown University, massive shooting was seen during the festival of Hanukkah on the Jewish people at Bondi Beach in Sydney Australia
Seen here is a brave man single handedly taking down on the shooter
Incredible pic.twitter.com/DfoFzVKYjv
— Dennis jacob (@12431djm) December 14, 2025
एक साधारण इंसान की असाधारण कहानी
अहमद अल अहमद मूल रूप से सीरिया के रहने वाले हैं।
2006 में सीरियाई गृहयुद्ध से बचकर वह ऑस्ट्रेलिया आए और यहां एक सामान्य जीवन जीने लगे।
उनकी एक तंबाकू की दुकान है और वह पांच व छह साल की दो बेटियों के पिता हैं।
उनके चचेरे भाई मुस्तफा के मुताबिक, अहमद को बंदूक चलाने का कोई अनुभव नहीं है।
वह सिर्फ उस इलाके से गुजर रहे थे, जब उन्होंने गोलीबारी की आवाज सुनी और बेगुनाहों को मरते देखा।
अपने भाई को शांत करते हुए उन्होंने कहा, “मैं उनसे निपटने जा रहा हूं।”
उनके भाई ने जब रोकने की कोशिश की, तो अहमद ने जवाब दिया, “अगर मुझे कुछ हुआ, तो परिवार को बताना कि मैं लोगों की जान बचाते हुए गया।”

हमले की पूरी कहानी: बाप-बेटे थे हमलावर, यहूदी त्योहार था निशाना
पुलिस जानकारी के मुताबिक, यह हमला दो हमलावरों ने किया था, जो बाप-बेटे थे।
50 वर्षीय पिता साजिद अकरम को मुठभेड़ में मार गिराया गया, जबकि उसका 24 वर्षीय बेटा नावेद अकरम गंभीर रूप से घायल अवस्था में अस्पताल में है।
यह हमला हनुक्का त्योहार के पहले दिन आयोजित कार्यक्रम पर किया गया था, जिसमें बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे शामिल थे।
न्यू साउथ वेल्स पुलिस ने इस घटना को आतंकवादी हमला घोषित किया है।
इजराइल के विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की है कि पीड़ितों में एक इजराइली नागरिक भी शामिल है।
SYDNEY MASSACRE UPDATE:
THIS MAN IS A HERO!!!!!!!! pic.twitter.com/dcdLtq3KT5— Mossad Commentary (@MOSSADil) December 14, 2025
नायक भी घायल: अहमद को लगी दो गोलियां, मगर हौसला बरकरार
अहमद ने जैसे ही पहले हमलावर साजिद को पकड़ा, दूसरे हमलावर (बेटे नावेद) ने उन पर गोलियां चला दीं।
दो गोलियां अहमद के बाएं कंधे में लगीं और वे बेहोश होकर गिर पड़े।
उन्हें तुरंत सेंट जॉर्ज अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी सर्जरी हुई।
फिलहाल उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है।
उनके पिता ने बताया कि अहमद अच्छे मूड में हैं और वे भगवान का शुक्रिया अदा कर रहे हैं कि उनके बेटे ने निर्दोष लोगों की जान बचाई।

दुनिया दे रही सलामी: ऑस्ट्रेलियन PM से ट्रम्प तक ने की तारीफ
अहमद के इस अद्भुत साहस की पूरी दुनिया में प्रशंसा हो रही है।
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज़ ने उन्हें “हीरो” करार दिया है और कहा है कि ऑस्ट्रेलियाई खतरे में भी दूसरों की मदद के लिए दौड़ पड़ते हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी टिप्पणी करते हुए कहा, “ऑस्ट्रेलिया में एक बहादुर व्यक्ति ने हमलावरों में से एक पर सीधे हमला किया… उनके प्रति मेरे मन में बहुत सम्मान है।”
🇦🇺 Donald Trump PRAISES Muslim hero, Ahmed Al Ahmed, who saved Jewish lives by stopping Australian gunman at Bondi Beach. pic.twitter.com/4GaAw4AzCu
— Muslim (@Muslim) December 14, 2025
न्यू साउथ वेल्स के प्रीमियर क्रिस मिन्स ने भी अहमद की बहादुरी को सलाम किया है।
जनता का प्यार: अहमद के लिए जुटाए गए 3.43 करोड़ रुपये
लोगों ने अहमद के सम्मान और उनकी मदद के लिए एक जन-भावना से ऑनलाइन फंडिंग अभियान चलाया।
GoFundMe प्लेटफॉर्म पर चलाए गए अभियान में अब तक 570,000 डॉलर (लगभग 3.43 करोड़ रुपये) से अधिक की राशि जुट चुकी है।
इन दानदाताओं में अमेरिकी अरबपति बिल एकमैन भी शामिल हैं, जिन्होंने 100,000 डॉलर दान दिए हैं।
यह राशि अहमद के इलाज और उनके परिवार के भविष्य के लिए इस्तेमाल की जाएगी।
नागरिकता का सफर
अहमद का ऑस्ट्रेलिया में बसने का सफर आसान नहीं रहा।
2019 में उनकी नागरिकता आवेदन को कुछ आरोपों के कारण ठुकरा दिया गया था, हालांकि बाद में वे आरोप हटा दिए गए और 2022 में उन्हें ऑस्ट्रेलियाई नागरिकता मिल गई।
अब उनके वकील और समर्थक उम्मीद कर रहे हैं कि उनकी इस बहादुरी के बाद, ऑस्ट्रेलियाई सरकार उनके बुजुर्ग माता-पिता को भी नागरिकता दिलाने में सहयोग करेगी, ताकि परिवार एक साथ रह सके।
This is 43-year-old Ahmed al Ahmed, a Sydney local who owns a fruit shop in Sutherland.
The father-of-two was shot twice during the unbelievable act of heroism in Bondi today. pic.twitter.com/XoITC4WMBa— ⭕️Faerie 🧡 (@LiquidFaerie) December 14, 2025
मानवता की मिसाल
बॉन्डी बीच का यह हमला नफरत और हिंसा की एक काली घटना है। लेकिन इसी के बीच से अहमद अल अहमद जैसे साधारण इंसानों का असाधारण साहस उभरकर सामने आया है।
उनकी इस हिम्मत ने न सिर्फ कई जिंदगियां बचाईं, बल्कि यह संदेश भी दिया कि आतंकवाद के आगे घुटने टेकना कोई विकल्प नहीं है।
अहमद अल अहमद आज सिर्फ एक शख्स नहीं, बल्कि साहस, मानवता और निस्वार्थ बलिदान के प्रतीक बन गए हैं।
पूरा ऑस्ट्रेलिया और दुनिया उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना कर रही है, ताकि वे फिर से अपने परिवार के बीच लौट सकें।
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