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दिल्ली में प्रदूषण से निपटने के लिए बड़ा फैसला: 50% कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम अनिवार्य

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Delhi pollution-work from home: दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण के गंभीर स्तर को देखते हुए दिल्ली सरकार ने एक बड़ा और सख्त फैसला लिया है।

राजधानी में अब सभी सरकारी और प्राइवेट कार्यालयों में 50% कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम अनिवार्य कर दिया गया है।

यह निर्णय गुरुवार से प्रभावी होगा और इसका उद्देश्य सड़कों पर वाहनों की आवाजाही कम करके वायु गुणवत्ता में सुधार लाना है।

दुनिया का तीसरा प्रदूषित शहर दिल्ली

दिल्ली की वायु गुणवत्ता लगातार ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बनी हुई है।

बुधवार सुबह एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 328 दर्ज किया गया, जबकि मंगलवार को यह 377 तक पहुंच गया था।

स्विस कंपनी आईक्यूएयर के अनुसार, दिल्ली दुनिया का तीसरा सबसे प्रदूषित शहर बन गया है, जहां पाकिस्तान का लाहौर पहले और बोस्निया हर्जेगोविना का सारायेवो दूसरे स्थान पर है।

दिल्ली के श्रम मंत्री कपिल मिश्रा ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस नए नियम की घोषणा करते हुए बताया कि यह कदम लगातार खराब हो रहे वायु मानकों को देखते हुए उठाया गया है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि यह नियम सभी प्रतिष्ठानों पर लागू होगा, चाहे वे सरकारी हों या निजी।

किन सेवाओं को मिली छूट?

हालांकि, सभी प्रतिष्ठान इस नियम से बंधे नहीं होंगे। कुछ आवश्यक सेवाओं को इससे छूट दी गई है:

  • स्वास्थ्य सेवाएं (हेल्थकेयर)
  • फायर सर्विस
  • जेल प्रशासन
  • सार्वजनिक परिवहन (पब्लिक ट्रांसपोर्ट)
  • आपदा प्रबंधन (डिजास्टर मैनेजमेंट)
  • वन विभाग
  • जल बोर्ड

मंत्री ने चेतावनी दी है कि गाइडलाइंस का पालन न करने वाले प्रतिष्ठानों पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा।

मजदूरों को मिलेगा मुआवजा

नए नियमों का एक महत्वपूर्ण पहलू निर्माण मजदूरों के लिए मुआवजे की व्यवस्था है।

दिल्ली सरकार ने घोषणा की है कि ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के तीसरे चरण के तहत 16 दिनों तक निर्माण कार्य बंद रहने से प्रभावित सभी पंजीकृत और सत्यापित निर्माण मजदूरों के खातों में 10,000 रुपये का मुआवजा सीधे ट्रांसफर किया जाएगा।

कपिल मिश्रा ने स्पष्ट किया कि जब तक GRAP-4 लागू रहेगा, इसी तरह मजदूरों को मुआवजा दिया जाता रहेगा।

दिल्ली-एनसीआर में 18 दिसंबर की सुबह 8 बजे से GRAP का चौथा चरण लागू किया जाएगा।

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GRAP-4 के तहत प्रमुख पाबंदियां

GRAP-4 के अंतर्गत कई सख्त प्रतिबंध लागू किए गए हैं:

  1. निर्माण कार्य पर पूर्ण प्रतिबंध (आपातकालीन परियोजनाओं को छोड़कर)
  2. ईंट भट्ठे, स्टोन क्रशर और हॉट मिक्स प्लांट बंद
  3. कोयला और फर्नेस ऑयल पर चलने वाले उद्योगों पर रोक
  4. BS-III पेट्रोल और BS-IV डीजल वाहनों पर प्रतिबंध
  5. ट्रकों की एंट्री बंद (आवश्यक सेवाओं को छोड़कर)
  6. स्कूलों को बंद करने या ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित करने का आदेश
  7. सरकारी और निजी कार्यालयों में 50% वर्क फ्रॉम होम

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बिना PUC वाले वाहनों को ईंधन नहीं

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने प्रदूषण पर प्रभावी अंकुश नहीं लगने पर माफी मांगते हुए नई योजनाओं की घोषणा की।

उन्होंने बताया कि गुरुवार से दिल्ली के पेट्रोल पंपों पर बिना प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (PUC) वाले वाहनों को ईंधन नहीं दिया जाएगा।

साथ ही, दिल्ली में केवल BS-6 मानक वाले बाहरी वाहनों को प्रवेश की अनुमति होगी।

निर्माण सामग्री के परिवहन पर भी प्रतिबंध जारी रहेगा और इस नियम का उल्लंघन करने वाले वाहनों को जब्त किया जा सकता है।

वायु गुणवत्ता की वर्तमान स्थिति

बुधवार सुबह 9 बजे के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली के 40 वायु गुणवत्ता मॉनिटरिंग स्टेशनों में से 30 पर हवा की गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई।

बवाना क्षेत्र में सबसे खराब AQI 376 दर्ज किया गया।

सुबह के समय शहर के कई इलाकों में स्मॉग और कोहरे के कारण दृश्यता भी काफी कम रही।

नागरिकों की जिम्मेदारी

दिल्ली सरकार ने नागरिकों से अपील की है कि वे इन नियमों का पालन करें और प्रदूषण कम करने में अपना योगदान दें।

सार्वजनिक परिवहन का उपयोग बढ़ाना, वाहन साझा करना और अनावश्यक यात्राओं से बचना इस संकट से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए यह एक अस्थायी उपाय है और वायु गुणवत्ता में सुधार होते ही इन प्रतिबंधों में ढील दी जाएगी।

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