Consensual Sex Is Not Rape: मध्यप्रदेश के सतना जिले की एक महिला ने कुछ दिनों पहले 376 का मामला दर्ज कराया था। जिसमे महिला ने अपने डॉक्टर साथी पर रेप का आरोप लगाया था।
इस पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर खंडपीठ ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि – सहमति से बनाए गए संबंध को रेप नहीं माना जायेगा।
10 साल का रिलेशन, कोर्ट ने खारिज की FIR
दिलचस्प बात है ये कि महिला ने 10 साल तक रिलेशन में रहने के बाद ये मामला दर्ज कराया था। लेकिन हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए रेप की याचिका को खारिज कर दिया। महिला द्वारा करवाई गई 376 और 372(2) की FIR भी खारिज कर दी है।
हाईकोर्ट ने कहा- आपसी सहमति से बनाए गए संबंध रेप की श्रेणी में नहीं आता। महिला और पुरुष के आपसी संबंध ब्रेकडाउन होने पर नहीं बनता 376 का मुकदमा।
क्या है पूरा मामला
याचिकाकर्ता महिला पेशे से शिक्षिका है और लखनऊ में अपने पति के साथ रहती थी। साल 2012 में फेसबुक के जरिये वो आरोपी के संपर्क में आई थी। इसके बाद वो अपने ब्वॉयफ्रेंड से मिलने भोपाल आने लगी और उसके साथ संबंध भी बनाती थी।
पुलिस के अनुसार, आरोपी ने कथित तौर पर महिला से शादी करने का वादा किया था। FIR दर्ज होने से पहले दोनों भोपाल में ही कई सालों तक पति-पत्नी की तरह साथ रह रहे थे, जैसा कि धारा 164 CRPC के बयान में बताया गया है।
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पति से लिया तलाक को ब्वॉयफ्रेंड ने भी छोड़ा
महिला ने आरोप लगाया है कि पति से तलाक लेने के बाद आरोपी ने भी उसे छोड़ दिया और किसी दूसरी लड़की से शादी करने का फैसला किया। इस पर महिला ने भोपाल के पिपलानी थाने में शादी का झांसा देकर कथित प्रेमी के विरुद्ध दुष्कर्म किए जाने का मामला दर्ज करवाया था, जिसे हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया।
ये जानकारी याचिकाकर्ता के वकील मनीष दत्त ने दी।
शादी का झूठा वादा करके संबंध बनाए गए थे
मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि किसी अन्य पुरुष के साथ लगातार संबंध में रहने वाली विवाहित महिला इस तर्क का सहारा नहीं ले सकती है कि उससे शादी का झूठा वादा करके संबंध बनाए गए थे।
दिल्ली हाईकोर्ट ने भी दिया था ऐसा ही फैसला
इससे पहले अप्रैल 2024 में दिल्ली हाईकोर्ट ने भी ऐसा ही फैसला दिया था। जहां हाईकोर्ट में एक महिला ने एक व्यक्ति पर आरोप लगाया था कि उसने शादी के बहाने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए, और बाद में अपने वादे से मुकर गया।
हाईकोर्ट ने इस आरोप पर बड़ा फैसला देते हुए कहा था, “जब कोई महिला सोच-समझकर शारीरिक संबंध बनाने का निर्णय लेती है, तो वो जब तक कि शादी के झूठे वादे का स्पष्ट सबूत नहीं देती, तब तक सहमति को धोखे से हासिल किया गया नहीं माना जा सकता.”
आपसी मतभेद सुलझाकर की शादी
इस मामले में दिलचस्प मोड़ तब आया जब दोनों पक्षों ने अदालत को सूचित किया कि जोड़े ने मतभेद सुलझा लिए हैं और कानूनी रूप से शादी कर ली है।
महिला ने अपनी FIR वापस ले ली और स्वीकार किया कि आरोपी की शादी के प्रति अनिच्छा पारिवारिक दबाव के कारण थी, न कि अविश्वास या धोखे के कारण।
उड़ीसा हाईकोर्ट में भी ऐसा मामला
साल 2023 में उड़ीसा हाईकोर्ट (Orissa High Court) ने भी रेप के मामले में ऐसा ही फैसला सुनाया था। अदालत ने कहा था कि अगर किसी रिश्ते में कड़वाहट आ जाती है और कोई व्यक्ति अपने पार्टनर से शादी नहीं करने का फैसला करता है, तो पहले बनाए गए शारीरिक संबंध को बलात्कार नहीं माना जाना चाहिए।
कोर्ट ने कहा था कि किसी भी रिश्ते की शुरुआत दोस्ती से होती है। इसके बाद रिश्ता धीरे-धीरे आगे बढ़ जाता है।
पुरुष, लड़की से शादी का वादा करता है और वह सहमति से शारीरिक संबंध बना लेता है। इसके बाद रिश्ते में खटास आ जाती है तो उसके खिलाफ रेप संबंधी कानून का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।
यह फैसला जस्टिस आरके पटनायक की पीठ ने 3 जुलाई सुनाया था।
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