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ठंडे बस्ते में गई लाड़ली बहनों के लिए शिवराज सिंह की लाई यह योजना!

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Ladli Behna Awas Yojna: कर्ज में डूबी मध्यप्रदेश सरकार के लिए हर एक योजना को चलाना मुश्किल होता जा रहा है। तभी तो पूर्व मुख्यमंत्री जनता से वादे कर के चले गए और नई सरकार आने के बाद से योजनाएं ठंडे बस्ते में है।

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की एक योजना पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग पर बेहद भारी पड़ रही है। ये है लाड़ली बहना आवास योजना।

1.20 लाख की आर्थिक सहायता, 63 लाख 28 हजार आवेदन जमा

लाड़ली बहना योजना की सफलता से उत्साहित तत्कालीन शिवराज सरकार ने प्रदेश की बहनों को आवास देने का वादा कर दिया था। जिसके तहत पक्के मकान बनाने के लिए सरकार 1 लाख 20 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देती।

विधानसभा चुनाव नजदीक थे तो आनन-फानन में आवेदन लेने का काम भी शुरू हो गया, लेकिन फिर नई सरकार बनी और सीएम भी नए चुने गए। इसके बाद योजना पर काम भी बंद हो गया।

अब तक 63 लाख 28 हजार आवेदन जमा हो चुके है और अब इन आवेदनों को संभालने से लेकर हितग्राहियों का सामना करना विभाग के अफसरों के लिए मुश्किल हो गया है।

25% लाड़ली बहनों के पास नहीं हैं पक्के मकान

विधानसभा चुनाव 2023 में बीजेपी के लिए गेमचेंजर साबित हुई लाड़ली बहना योजना को मोहन सरकार चला रही है। करीब सवा करोड़ से अधिक महिलाओं को हर माह 1250 रुपये की राशि दी जा रही है।

इनमें से करीब 25 फीसद महिलाओं के पास अब भी पक्के आवास नहीं है। सरकार गठन के 6 महीने से ज्यादा बीत जाने के बाद भी लाड़ली बहना आवास योजना को लेकर कोई अपडेट नहीं है।

विभाग का कहना है कि सरकार ने अब तक योजना की कोई गाइड लाइन भी तैयार नहीं की है। केंद्र सरकार से प्रधानमंत्री आवास का आवंटन होने के बाद इस योजना पर आगे का काम किया जाएगा।

कर्ज में डूबी सरकार के पास नहीं है योजना के लिए बजट

प्रदेश के सीएम का पदभार संभालते ही डॉ. मोहन यादव ने खुद कहा था कि पूर्व सरकार की कोई योजना बंद नहीं होगी।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को लग रहा था कि इस मामले (Ladli Behna Awas Yojna) में सरकार कुछ फैसला लेगी, लेकिन बजट में इस योजना के लिए न तो राशि का प्रावधान किया गया है और न ही इसका उल्लेख हुआ।

अब सवाल ये है कि आखिर ऐसी क्या मजबूरी है जो सीएम डॉ. मोहन यादव पूर्व मुख्यमंत्री की घोषणा को पूरा नहीं कर पा रहें हैं।

तो वजह है सरकार की माली हालत। सरकार हर साल भारी भरकम कर्ज लेकर अपना काम चला रही है और ऐसे में अगर इस योजना पर काम करना है तो सरकार को भारी राशि का इंतजाम करना पड़ेगा।

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