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अमरवाड़ा में कांग्रेस की हार के बाद क्या होगा कमलनाथ और नकुलनाथ का भविष्य?

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Rashid Ahmed
Rashid Ahmed
राशिद अहमद खान को पत्रकारिता का 16 वर्ष का अनुभव है। आप दैनिक भास्कर डिजिटल, इंडिया टीवी, न्यूज एक्सप्रेस, बंसल न्यूज, ईटीवी, आकाशवाणी-दूरदर्शन सहित विभिन्न टीवी, रेडियो और डिजिटल मीडिया संस्थानों में सेवाएं दे चुके हैं। मध्य प्रदेश शासन की सोशल मीडिया टीम को लीड कर चुके हैं।

Future Of Nath Family: छिंदवाड़ा। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा लोकसभा के बाद अमरवाड़ा विधानसभा उपचुनाव में मिली जीत से सीएम मोहन यादव ने ये संदेश दिया है कि एमपी की राजनीति से अब कमलनाथ फैक्टर पूरी तरह खत्म हो गया है।

वहीं हार से कमलनाथ और नकुलनाथ के पॉलिटिकल भविष्य को लेकर सवाल भी उठने लगे हैं।

मध्यप्रदेश की राजनीति पर करीब से नजर रखने वाले पत्रकारों की मानें तो कमलनाथ का करियर ढलान पर है, हालांकि ज्यादा खतरा उनके बेटे नकुलनाथ की सियासी पारी पर मंडरा रहा है।

नकुल यही कह पाएंगे पापा विधायक हैं हमारे…

दरअसल, नकुलनाथ की पूरी राजनीति पिता के कवच में ही हुई है। जब वो सांसद बने तो उनके पिता यानी कमलनाथ सीएम थे।

दूसरी बार चुनाव लड़े तो वो सिर्फ विधायक थे, आज भी वही हैं। इस हार के बाद नकुल के लिए मुश्किलें और बढ़ जाएंगी।

राज्य की राजनीति में जीतू पटवारी, कमलेश्वर पटेल और जयवर्धन सिंह जैसे नेताओं के बीच नकुल कितने कंफर्टेबल होंगे, ये कहना मुश्किल है।

पिता-पुत्र यानी कमलनाथ और नकुलनाथ के लिए फिलहाल तो कोई भूमिका (Future Of Nath Family) दिल्ली और भोपाल में नजर नहीं आ रही है।

अब जानिए अमरवाड़ा में क्यों हारी कांग्रेस?

छिंदवाड़ा की राजनीति को करीब से समझने वाले राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि बीजेपी यहां शुरू से ही मजबूत थी।

उनका बूथ मैनेजमेंट भी अच्छा था। खुद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव वहां 4 बार प्रचार के लिए पहुंचे और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा भी आए।

जबकि कांग्रेस के पास नया प्रत्याशी था और संगठन बिखरा हुआ था। उनके पास सिर्फ आंचलकुंड धाम का नाम था।

अमरवाड़ा उपचुनाव में कांग्रेस की हार की बड़ी वजह गोंडवाना गणतंत्र पार्टी भी रही।

गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का खतरा न तो कमलनाथ भांप पाए और न ही कांग्रेस।

कांग्रेस की हार की बड़ी वजह –

  1. कमलनाथ स्वास्थ्य कारणों से अमरवाड़ा में प्रचार नहीं कर पाए
  2. नकुलनाथ ने आखिरी 4 दिन ही प्रचार किया
  3. गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को कांग्रेस नहीं साध पाई, जिससे मुकाबला त्रिकोणीय हो गया
  4. बीजेपी से नाराज चल रही मोनिका बट्टी को कांग्रेस अपने साथ नहीं ला पाई
  5. कांग्रेस का संगठन कमजोर था, राजनीति के लिए नए धीरेन को संगठन का साथ नहीं मिला

रामनिवास रावत को अचानक मंत्री बनाकर बीजेपी अमरवाड़ा के लोगों को भरोसा दिलाने में सफल रही कि कमलेश शाह भी मंत्री बनाए जाएंगे। जाहिर है इसका फायदा बीजेपी को मिला।

वैसे जब कमलेश शाह ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया था, तब नकुलनाथ ने कहा था कि कमलेश ने गद्दारी की है। उन्हें इसका सबक जरूर सिखाएंगे।

सबक मिला, पर कमलेश शाह को नहीं, कांग्रेस और कमलनाथ को। वैसे शायद कांग्रेस इसे कभी न समझे।

अब तो बस यही कहा जाएगा कि करते रहिए मीटिग-मीटिंग, खोजते रहिए हार के कारण

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