CONGRESS IN MP-CG : मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी अपने अस्तित्व को तलाश रही है। लगातार बैठकों के जरिए पार्टी हार पर मंथन करने में जुटी है।
पहले कांग्रेस मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में सत्ता से बाहर हुई फिर लोकसभा चुनाव में पार्टी का सुपड़ा ही साफ हो गया। विधानसभा चुनाव 2018 में जीत हासिल कर जिस कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में अपने 15 साल का वनवास खत्म किया था।
उसी कांग्रेस को जनता ने 2023 के विधानसभा चुनाव में अस्वीकार कर दिया। लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने वो एक सीट भी जीत ली जिसके लिए कहा जाता था कि ये कांग्रेस का ऐसा किला है जिसे कोई नहीं भेद सकता है।
यही हाल कांग्रेस पार्टी का छत्तीसगढ़ में भी हुआ। 68 सीट लाने वाली कांग्रेस पार्टी विधानसभा चुनाव में 35 सीटों पर सिमट गई और लोकसभा चुनाव में भी बस 1 ही सीट कांग्रेस के हाथ आ पाई ।
अब वो कौन से कारण हैं जिसके चलते कांग्रेस विधानसभा के बाद लोकसभा चुनाव भी हार गई ? पार्टी से कहां चूंक हुई है ?
दिग्विजय सिंह अपने ही गढ़ राजगढ़ में लोकसभा चुनाव हार गए। कमलनाथ ने लोकसभा चुनाव में छिंदवाड़ा सीट और विधासभा उपचुनाव में अमरवाड़ा सीट गंवा दी और जीतू पटवारी से तो पार्टी के नेताओं ने ही इस्तीफा ही मांग लिया।
इसके अलावा और भी कई नेता है जिनपर अपनी ही पार्टी को डूबाने के आरोप लगे हैं। इसी का नतीजा रहा कांग्रेस पहले विधानसभा चुनाव में सत्ता से बाहर हुई और लोकसभा चुनाव में भी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा।
नाराज नेता और वरिष्ठ नेताओं के ध्यान नहीं देने से पार्टी जमीनी पकड़ कमजोर हो गई है।
मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के हार की वजह क्या है और कम बैक करने के लिए कांग्रेस पार्टी की रणनीति क्या है ? जानने के लिए देखिए चौथा खंभा के खास कार्यक्रम POSTMORTEM के इस वीडियो में।
ये खबर भी पढ़ें – धमाके के साथ गिरी प्राइवेट स्कूल की दीवार, 10 फीट नीचे गिरे स्टूडेंट्स; इतने बच्चे हुए घायल